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नाबालिग सहायिक अब बन गयी महिला पर्यवेक्षिका
खगड़िया : बाल विकास परियोजना विभाग में अजब-गजब कारनामे उजागर हो रहे हैं. अबकी नाबालिग लड़की का सहायिका पद पर चयन का खुलासा हुआ है. इतना ही नहीं नाबालिग सहायिका को कुछ महीने बाद पहले सेविका और उसके बाद महिला पर्यवेक्षिका बना दिया गया. महज 14 वर्ष की उम्र में सहायिका बनी नीलम देवी फिलहाल […]
खगड़िया : बाल विकास परियोजना विभाग में अजब-गजब कारनामे उजागर हो रहे हैं. अबकी नाबालिग लड़की का सहायिका पद पर चयन का खुलासा हुआ है. इतना ही नहीं नाबालिग सहायिका को कुछ महीने बाद पहले सेविका और उसके बाद महिला पर्यवेक्षिका बना दिया गया. महज 14 वर्ष की उम्र में सहायिका बनी नीलम देवी फिलहाल अलौली प्रखंड में महिला पर्यवेक्षिका पद पर तैनात हैं. सूचना के अधिकार से मिली जानकारी के अनुसार नीलम देवी का सहायिका पद पर चयन महज 14 वर्ष की उम्र में होना विभागीय कार्यशैली की पोल खोलने के लिए काफी है.
पूरे मामले के खुलासे बाद नाबालिग को सहायिका बनाने संबंधी सवाल का जवाब देने से विभागीय अधिकारी कन्नी काट रहे हैं. उधर, आरोपों के घेरे में आयीं महिला पर्यवेक्षिका नीलम देवी ने सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया है. इधर, आरटीआई कार्यकर्ता ने नीलम देवी की बहाली पर सवाल उठाते हुए विभाग को कटघरे में खड़ा किया है.
सहायिका से सेविका फिर बनीं महिला पर्यवेक्षिका : बताया जाता है कि अलौली प्रखंड के शुम्भा गाजीघाट की रहने वाली नीलम देवी का चयन 1986 में आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 19 में सहायिका पद पर किया गया. मैट्रिक के प्रमाण पत्र के अनुसार नीलम देवी की जन्म तिथि 01-01-72 है.
ऐसे में सहायिका बनने के वक्त उसकी उम्र महज 14 साल थी. फिर पत्रांक 56 दिनांक 02-04-92 के माध्यम से नीलम देवी का चयन सेविका पद पर हो गया. इसके बाद 10 जून, 2010 को नीलम देवी महिला पर्यवेक्षिका बन गयीं. इस पूरी प्रक्रिया में विभागीय मापदंड के अनुसार पूर्व में सहायिका व सेविका रहने के कारण नीलम देवी को इसका लाभ मिला. उधर, आरटीआइ कार्यकर्ता दीपक कुमार अकेला ने सवालिया लहजे में पूछा है कि जब नीलम देवी सहायिका बनी ही नहीं, तो फिर सेविका और अब एलएस पद पर चयन कैसे हो गया.
महज 14 वर्ष की उम्र में कोई सहायिका कैसे बन सकती है? क्या नाबालिग की भी आइसीडीएस विभाग में बहाली होती है? बिना सहायिका के नियुक्ति पत्र के ही नीलम देवी सहायिका से सेविका और अब सेविका से महिला पर्यवेक्षिका कैसे बन गयीं? पूरे मामले में जिस पत्रांक व दिनांक के माध्यम से सेविका पद पर बहाली हुई, उससे संबंधी संचिका कार्यालय में उपलब्ध नहीं है. जो पूरे मामले को संदेहास्पद बनाता है.
दीपक कुमार अकेला, आरटीआइ कार्यकर्ता
सहायिका से महिला पर्यवेक्षिका बनने के दौरान कोई भी गड़बड़ी नहीं की गयी है. सारे आरोप गलत हैं. सहायिका पद पर चयन से संबंधी कागजात बाढ़ में बह गये. हमको याद नहीं है कि सहायिका पद पर कब मेरा चयन हुआ था.
नीलम देवी, महिला पर्यवेक्षिका, अलौली
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