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पुल नर्मिाण की बाधा हटाने में हैं कई पेच

पुल निर्माण की बाधा हटाने में हैं कई पेच धीमी है प्रशासन की रफ्तार भू-अभिलेखों में नहीं मिल रहे सबूतआखिर चिह्नित भूमि है किसकी प्रतिनिधि, परबत्ताप्रखंड के दक्षिणी छोर पर स्थित अगुवानी-सुलतानगंज घाट के बीच गंगा नदी पर बनाये जा रहे फोर लेन पुल के निर्माण में विभिन्न विभागों के बीच समन्वय का अभाव निर्माण […]

पुल निर्माण की बाधा हटाने में हैं कई पेच धीमी है प्रशासन की रफ्तार भू-अभिलेखों में नहीं मिल रहे सबूतआखिर चिह्नित भूमि है किसकी प्रतिनिधि, परबत्ताप्रखंड के दक्षिणी छोर पर स्थित अगुवानी-सुलतानगंज घाट के बीच गंगा नदी पर बनाये जा रहे फोर लेन पुल के निर्माण में विभिन्न विभागों के बीच समन्वय का अभाव निर्माण कार्य को घीमा कर रहा है. मिली जानकारी के अनुसार किसानों ने जिस जमीन को निजी बता कर मुआवजा मिलने तक कार्य को स्थगित करने का दबाव बनाया है. उस जमीन के मालिकाना हक के बारे में प्रशासन अभी तक कोई ठोस राय नहीं बना सका है. बिहार सरकार के राजस्व विभाग के कर्मी इस बात का पता लगाने में व्यस्त हैं कि पुल का जहां जहां पिलर पड़ने वाला है, वह जमीन किस प्रकृति की है और किसकी है.क्या है मामलादरअसल विगत सप्ताह कुछ किसानों ने बिना भूमि का अधिग्रहण किये तथा बिना मुआवजा लिये अपनी जमीन पर पुल निर्माण के कार्य करने से मना कर दिया था. पुल निर्माण के लिये चयनित कंपनी एसपी सिंगला कंस्ट्रक्शन के अधिकारियों तथा इंजीनियरों ने उस भूमि का विवरण राजस्व विभाग को दिया जिसपर उन्हें कार्य करना था. कंपनी द्वारा दिये गये सूची के अनुसार परबत्ता अंचल के तोफिर तप्पा मौजा थाना नंबर 384/2 के खेसरा संख्या 100 , 104 , 105 , 109 , 110 , 211 , 224 तथा 225 के उपर पुल का पीलर बनना है. इन जमीनों को किसानों ने अपना बताते हुए कार्य करने से मना कर दिया है.क्या है वस्तुस्थितिमिली जानकारी के अनुसार इन सभी खेसरा की जमीन के विषय में मालिकाना हक तथा भुमि की प्रकृति से संबंधित अभिलेख अभी नहीं मिल सका है. दावेदार किसानों का कहना है कि उनके पास जमीन के मालिकाना हक से संबंधित कागजात मौजूद हैं. प्रशासन उन्हें जब नोटिस देकर बुलायेगा तब वे अपना पक्ष रखेंगे. किसानों का कहना है कि जमीन उनकी रोजी रोटी से जुड़ा मामला है. बिना मुआवजा मिले इसे छोड़ने का सवाल ही पैदा नहीं होता है।वे मुआवजे के दर तथा भुगतान मिलने की अवधि को लेकर भी सशंकित हैं.कहते हैं अंचल अधिकारीइस संबंध में पूछने पर अंचल अधिकारी शैलेन्द्र कुमार ने बताया कि पुल निर्माण कंपनी द्वारा चिह्नित भूमि की सूची दी गयी थी जिसके प्रकृति की जांच प्रक्रियाधीन है. जांच प्रतिवेदन आने के बाद ही स्पष्ट तौर पर कुछ कहा जा सकता है. लेकिन प्रथम दृष्टया किसानों और सरकार के पास उपलब्ध अभिलेख में अंतर होने का दावा किया जा रहा है. सभी अभिलेखों को देखने एवं परीक्षण करने के बाद ही स्पष्ट निर्णय लिया जा सकेगा. भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया चलती रहेगी. इससे परियोजना का कार्य प्रभावित नहीं होगा.क्या होगी पुल की विशेषता * फोर लेन पुल जिसमें दो- दो लेन के दो अलग-अलग पुल बनेंगे * गंगा की मुख्यधारा में पीलर की बजाय केबुल पर झूलता हुआ पुल होगा * बीच के दो पिलरों के बीच 125 मीटर की दूरी होगी* पुल की कुल लंबाई -3160 मीटर * पुल का प्रकार – केबल स्टेड आधारित * इन्टेलीजेन्ट ट्रॉफिक प्रणाली * पहुंच पथ की लंबाई-25 कि मी * डॉल्फिन वेधशाला * पुल प्रदर्शनी एवं रेस्ट एरिया * प्रकाश प्रणाली * व्हेकिल अंडरपास * रोटरी ट्रैफिक * 44 टॉल प्लाजा * पेसेंजर अंडरपासमहत्वाकांक्षी है यह परियोजनाबिहार सरकार की इस परियोजना को काफी महत्वाकांक्षी माना जाता है. इस परियोजना की लागत का आरंभिक मूल्यांकन 1710.77 करोड़ किया गया था. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 23 फरवरी 2014 को परबत्ता के एमडी कॉलेज मैदान में इसका शिलान्यास किया था तथा 9 मार्च 2015 को मुरारका कॉलेज सुलतानगंज के मैदान से पुल निर्माण का कार्यारम्भ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा किया गया. इस पुल के निर्माण से उत्तर तथा दक्षिण बिहार के बीच का फासला काफी कम हो जायेगा. इसके अलावा प्रति वर्ष श्रावणी मेला में देवघर जाने वाले लाखों कांवरियों को इससे फायदा होगा. इस पुल तथा सड़क के निर्माण से एनएच 31 तथा एन एच 80 आपस में जुड़ जायेंगे.

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