फरकिया : सड़क न बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य भी बेहाल आजादी के वर्षों बाद भी विकास से कोसों दूर हैं फरकिया के लाखों लोग इलाके में बिजली ना सड़क, शुद्ध पेयजल बिना तड़प रहे लोग हर वर्ष बाढ़ की विपदा झेलने को विवश हैं चार पंचायत की पूरी आबादी हाई स्कूल बिना आगे की पढ़ाई से वंचित हैं छात्र-छात्राएं खगडि़या के चौथम प्रखंड की जनता पूछ रही कि कब होगा विकास प्रतिनिधि, खगड़िया राजा अकबर के शासनकाल में फरकिया नाम से चर्चित यह इलाका आज भी विकास से कोसों दूर है. एक अदद सड़क के लिये आज भी यहां के लोग नेताओं व सरकार की बाट जोह रहे हैं. इलाके मंे बिजली ना सड़क है. शुद्ध पेयजल के लिये आज भी लोग तरस रहे हैं. हाई स्कूल के बिना इलाके के छात्र-छात्राएं आगे की पढ़ाई से वंचित हैं. वर्षों से आश्वासन की घुट्टी पी-पीकर तंग आ चुकी लाखों की आबादी को आज भी बेसब्री से विकास का इंतजार है. स्थिति यह है कि हर वर्ष बाढ़ जैसी विपदा झेलने को विवश चार पंचायत की पूरी आबादी आज भी विकास का बाट जोह रहे हैं. बीते दिनों डीएम व एसपी को भी रेलवे के परित्यक्त पुल से होकर मां कात्यायनी के दरबार में पहुंचना पड़ा था. तब लगा था कि शायद सच से रूबरू होने के बाद आलाधिकारी इस इलाके के विकास के लिये पहल करेंगे. जिसका बेसब्री से इंतजार है. आवागमन के लिये एक अदद सड़क तक नहीं आज भी यहां आने जाने के लिये नाव या फिर पैदल पांव का सहारा है. मां कात्यायनी मंदिर न्यास समिति के कोषाध्यक्ष चंदेश्वरी राम बताते हैं कि धमारा घाट के पूर्वी भाग में स्थित रोहियार पंचायत के बंगलिया, बनबुड़ा, ठुठी पंचायत के अग्रहण, खरैता, भैगली, रुपनी, महनपुर, सरसवा पंचायत के शोहरवा, श्रीनगर, गुलरिया, धमारा, खड़रा, बुच्चा पंचायत के धनछड़, फनगो, सिंगरसमा, गयघाट, नोनहा, बकौल तथा पश्चिम भाग में स्थित सांभर खुर्द पंचायत के सांभर, कठमाड़ा, कचौत, कबरपुर, घोरनाहा आदि गांवों के लोग आज भी विकास को तरस रहे हैं. हर बार चुनाव में नेताजी आश्वासन देने के बाद सो जाते हैं. हाईस्कूल के बिना कुंठित हो रही प्रतिभा इलाके में एक अदद हाई स्कूल की आस में आज भी यहां रहने वाले लोगों की आंखें तरस रही है. नतीजतन हाई स्कूल की पढ़ाई से यहां के बेटे-बेटियों को वंचित रहना पड़ता है. सबसे ज्यादा परेशानी यहां रहने वाली बेटियों को होती है. हाई स्कूल में पढ़ने का सपना पाले बेटियों के अरमान चकनाचूर हो रहे हैं. जो विद्यालय हैं भी वहां की स्थिति बेहाल है. स्वास्थ्य सुविधा बेहाल कहने को इस इलाके में सरकारी स्वास्थ्य केंद्र सहित अस्पताल हैं. लेकिन इसकी दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है. एंबुलेंस सेवा सहित अन्य सरकारी स्वास्थ्य सुविधा से महरूम यहां की आबादी का स्वास्थ्य झोलाछाप चिकित्सकों के भरोसे हैं. अगर कोई गंभीर रूप से बीमार पड़ जाये तो फिर भगवान का ही सहारा बचता है. हर साल बाढ़ से होती है लड़ाई इस इलाके के अधिकांश भाग साल के छह महीने बाढ़ से बेहाल रहते हैं. हर वर्ष नदियों के तांडव में गरीबों का आशियाना बरबाद हो जाता है. साथ ही खेती की जमीन भी नदिया लील लेती है. बाढ़ से बचाव की बात छोड़िये, ऐसे समय में अन्न का दाना भी जुटाना मुश्किल हो जाता है. जानवरों को भी चारे के संकट से जूझना होता है. 12 करोड़ की योजना फाइलों में गुम प्रसिद्ध माता कात्यायनी मंदिर के विकास सहित आवागमन की सुविधा बहाली के लिये 12 करोड़ की बनी योजना फाइलों में गुम हो गयी है. मां कात्यायनी मंदिर न्यास समिति के उपाध्यक्ष युवराज शंभू ने बताया कि कुछ महीने पूर्व विकास के लिये 12 करोड़ की योजना बना कर पर्यटन विभाग को भेजा गया था. जिसमें छह करोड़ की लागत से सिरनिया बांध से मंदिर तक करीब पांच किलोमीटर तक सड़क सह पूल का निर्माण कर सुलभ यातायात बहाल करना था. साथ ही मंदिर परिसर में एक सरकारी गेस्ट हाउस, दो धर्मशाला, स्वास्थ्य उपकेंद्र, मंदिर न्यास समिति का प्रशासनिक भवन, समारोह आयोजन स्थल, ओपी, बिजली, मंदिर का सौंदर्यीकरण काम भी छह करोड़ की लागत से किया जाना था. इसके लिये विभिन्न विभागों के प्रमुख अधिकारियों से लैस टीम भी बनायी गयी. मुआयना भी हुआ, डीपीआर भी बना कर भेजा गया लेकिन आज तक काम शुरू नहीं हो पाया है. लगता है योजना की रूपरेखा फाइलों में कहां गुम हो गयी.
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फरकिया : सड़क न बिजली, शक्षिा, स्वास्थ्य भी बेहाल
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