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हरी सब्जियों पर हो रहा रसायन का प्रयोग

खगड़िया : जिस प्रकार हर पीली धातु सोना नहीं होती है. ठीक उसी प्रकार बाजार में ताजी व हरी दिखने वाली हरी सब्जियां भी फायदेमंद नहीं होती हैं. आज कल सब्जी विक्रेता बासी सब्जियों को तरोताजा दिखाने के लिए तहर-तरह की दवाओं व रसायनों का प्रयोग कर रहे हैं. जो मानव स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक […]

खगड़िया : जिस प्रकार हर पीली धातु सोना नहीं होती है. ठीक उसी प्रकार बाजार में ताजी व हरी दिखने वाली हरी सब्जियां भी फायदेमंद नहीं होती हैं. आज कल सब्जी विक्रेता बासी सब्जियों को तरोताजा दिखाने के लिए तहर-तरह की दवाओं व रसायनों का प्रयोग कर रहे हैं. जो मानव स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक साबित हो रही है.

सब्जियों को अधिक दिन तक तरोताजा रखने के लिए किये जा रहे रसायन व्यक्ति के नर्वस सिस्टम को धीरे-धीरे कमजोर कर रहा है. जिसको देखते हुए ये कहना गलत नहीं होगा कि सब्जी विक्रेता अपने निजी लाभ के लिए लोगों को मीठा जहर परोस रहे हैं. कहते हैं कृषि वैज्ञानिक कृषि वैज्ञानिक निरंजन हजारी ने बताया कि सब्जियों के लिए कीटनाशक दवाओं तथा रसायनों का प्रयोग उतना ही आवश्यक है जितना शरीर के लिए भोजन आवश्यक है. पर,

जब सब्जियां को तोड़कर बाजार में बेचने के लिए लाया जाता है, तो उसपर रसायन व कीटनाशक घोल का इस्तेमाल करना घातक साबित हो सकता है. इसका प्रयोग अधिकतर सब्जी विक्रेता करते हैं. पालक को ज्यादा दिन तक हरा व ताजा रखने के लिए कबरेपीरन नामक रसायन का प्रयोग करते हैं. मिथाइल पैराथीअन नामक रसायन के घोल में गोभी को डाल कर रखते हैं.

इसी प्रकार विभिन्न रसायनों व कीटनाशक दवाओं के घोल में भिंडी, टमाटर, बैंगन आदि को डालकर रखते हैं, जिससे सब्जियां ज्यादा चमकदार व तरोताजा दिखती हैं. कृषि वैज्ञानिक का कहना है कि बड़े सब्जी विक्रेता ही अक्सर ऐसी दवाओं का प्रयोग करते हैं, जो गलत है. ऐसी दवाएं शरीर के नर्वस सिस्टम को कमजोर करने के साथ कैंसर जैसी बीमारियों को भी जन्म दे सकती हैं

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