खगड़िया : खगड़िया कारा का पुराना अभिलेख नष्ट हो चुका है. मीसा के तहत वर्ष 74 एवं 75 में कितने तथा कौन कौन से कैदी जेल आये थे. जेल प्रशासन यह बताने में असमर्थ है. जेल अधीक्षक यह लिखित रूप से बता चुके हैं कि बाढ़ के पानी में जेल के अभिलेख, प्रवेश पंजी, संचिका एवं अन्य पंजी नष्ट हो चुकी हैं.
जेल अधीक्षक द्वारा जेल आइजी पटना को हाल ही के दिनों में यह जानकारी दी गयी है कि बाढ़ के पानी में अभिलेख नष्ट हो चुके हैं. पर, जेल का अभिलेख किस वर्ष नष्ट हुआ है. इसको लेकर जेल प्रशासन के द्वारा अलग-अलग सूचनाएं दी जा रही हैं. इससे यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि आखिर किस वर्ष बाढ़ के पानी में अभिलेख नष्ट हुआ है.
जेल अधीक्षक ने आरटीआइ के तहत आवेदक शैलेंद्र सिंह तरकर को पत्रांक 1816 दिनांक सात सितंबर, 2015 को यह जानकारी दी है कि वर्ष 1987 के बाढ़ में जेल के अभिलेख यानी प्रवेश पंजी, संचिका सहित अन्य पंजी नष्ट हो गयीं. अगर जेल का अभिलेख 1987 में नष्ट हो गया, तो वर्ष 1990 में एक कैदी को कैसे प्रमाण पत्र दिया गया.
गोगरी के नरेंद्र यादव को जेल प्रशासन 8 जनवरी, 1990 को यह प्रमाण पत्र दिया गया कि वे मीसा/डीआइआ के तहत एक सितंबर 1975 से 11 मार्च, 1976 तक जेल में रहे थे. यहां यह सवाल उठता है कि अगर वर्ष 1987 में अभिलेख नष्ट हो गये थे, तो वर्ष 1990 में श्री यादव को कैसे प्रमाण पत्र दिया गया. वहीं सन्हौली के कैलाश सिंह के मामले में जेल अधीक्षक ने राज्य स्तर पर जो प्रतिवेदन भेजा है, वह चौंकाने वाला है.
जेल अधीक्षक ने जेल आइजी पटना को अपने पत्रांक 924, 9 मई , 2014 को यह जानकारी दी है कि वर्ष 2002, 2004 तथा 2007 के बाढ़ में जेल के अभिलेख नष्ट हो गये. बताते चलें कि सन्हौली निवासी कैलाश सिंह अकेला जेपी सेनानी पेंशन का लाभ नहीं मिलने के कारण हाइकोर्ट में रिट दायर किये हैं.
कहते हैं जेल अधीक्षक जेल अधीक्षक राजीव कुमार ने बताया कि बाढ़ के दौरान संचिका नष्ट हो गयी. इसके बावजूद भी अन्य संचिकाओं की खोज की जा रही है, जिससे की जेपी आंदोलन के दौरान जेल में रहने वाले बंदियों की जानकारी मिल सके.