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विरोध करने पर करता था मारपीट

नारायणपुर/खगड़िया: आपसी रंजिश और घात प्रतिघात की लड़ाई में मारे गये घुड़सवार गिरोह के कमांडर गनौल निवासी शातिर मिथिलेश यादव के पिता सदानंद यादव ने कहा कि पुत्र के मारे जाने का दुख तो है, क्योंकि वे पिता हैं. लेकिन यह बात भी सोलह आने सच है कि मिथिलेश उसके परिवार का काला अध्याय था. […]

नारायणपुर/खगड़िया: आपसी रंजिश और घात प्रतिघात की लड़ाई में मारे गये घुड़सवार गिरोह के कमांडर गनौल निवासी शातिर मिथिलेश यादव के पिता सदानंद यादव ने कहा कि पुत्र के मारे जाने का दुख तो है, क्योंकि वे पिता हैं. लेकिन यह बात भी सोलह आने सच है कि मिथिलेश उसके परिवार का काला अध्याय था. पिता का कहना है कि बहुत प्रयास किया कि मिथिलेश मुख्य धारा में आ कर घर गृहस्थी का कार्य करे, लेकिन मिथिलेश नहीं सुधरा. मिथिलेश के कारनामे का जब वे विरोध करते थे, तो वह उनके साथ मारपीट करता था. वह अपनी मां की भी पिटाई कर देता था.

एक सप्ताह पहले ही उसने अपनी मां की पिटाई कर उसकी एक टांग तोड़ दी थी. मिथिलेश की मां प्रेमा देवी अभी भी इलाजरत है. कुछ देर बाद मिथिलेश के पिता की आंखें नम हो जाती है.

वह कहते हैं कि जब मिथिलेश पैदा लिया था तो वह स्वस्थ था. स्वभाव से चंचल मिथिलेश पर उसे नाज था, लेकिन ज्यों-ज्यों मिथिलेश बड़ा हुआ. उसका सोहबत गलत लोगों के साथ हो गया. अंतत: एक दिन पता चला कि उसका बेटा मिथिलेश इलाके का नामी पहलवान बन गया. इसके बाद की कहानी तो सबों को मालूम है. मिथिलेश के पिता कहते हैं कि इन दिनों वह इलाके में जो भी करता था, लेकिन घर गृहस्थी पर भी जरूर ध्यान देता था. यही कारण है कि मिथिलेश की बहनें उसका काफी सम्मान करती थी. मिथिलेश की बहन फूल कुमारी उर्फ कारी का कहना है कि पिता और मां बार-बार भैया को मर जाने की बात कहते थे. जो सच साबित हुई. मिथिलेश की बहनों का कहना है कि भैया उनका काफी ख्याल रखते थे.

कोई भी चीज की आवश्यकता हो तो भैया जी जान लगा कर भी पूरा कर देते थे. मिथिलेश की हत्या के बाद पूरा परिवार गहरे सदमे में हैं. मिथिलेश के परिजनों का कहना है कि उन लोगों का अपराध और अपराधियों से दूर-दूर तक वास्ता नहीं है. सभी मुख्य धारा में रहने वाले लोग हैं. मिथिलेश के हत्यारों से उन लोगों को जान माल का भय है. मिथिलेश की बहनों का कहना है कि हत्या के बाद भी हत्यारा खुले आम गांव में घूम रहा है. उन लोगों ने मामले की प्राथमिकी दर्ज करायी है, इसलिए उन लोगों को जान माल का डर है.

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