परबत्ता. प्रखंड के गोविंदपुर पंचायत अन्तर्गत कन्हैयाचक गांव में अवस्थित राजकीय बुनियादी विद्यालय कन्हैयाचक केवल नाम का बुनियादी विद्यालय रह गया है. स्वतंत्रता सेनानी तथा कन्हैयाचक निवासी सूर्य नारायण शर्मा के प्रयासों की बदौलत इस विद्यालय की स्थापना हुई थी. शुरुआती दौर में विद्यालय में गांधीजी की परिकल्पना के अनुसार श्यामपट्ट नहीं हुआ करता था. सर्व शिक्षा अभियान के आने के बाद अन्य सरकारी विद्यालयों की तरह ही इस विद्यालय में भी बिहार टेक्स्ट बुक की पाठ्य पुस्तकें चलने लगं तथा मध्याह्न भोजन का संचालन होने लगा. कन्हैयाचक स्थित बुनियादी विद्यालय के परिसर में ही एक अन्य मध्य विद्यालय होने के कारण बुनियादी विद्यालय में कम बच्चों का नामांकन हो पाता है. इस विद्यालय में कक्षा एक से आठ तक की पढ़ाई होती है. उच्च न्यायालय पटना के निर्देश पर कुछ महीनों पूर्व नियोजित शिक्षकों को स्थानांतरित कर बुनियादी विद्यालय में शिक्षकों की कमी को दूर किया गया है. पर, पूर्व में शिक्षकों की कमी रहने के कारण छात्रों का रुझान इस विद्यालय की नहीं हो पाया, जो अबतक जारी है. अभी स्थिति यह है कि विद्यालय में छात्रों और शिक्षकों की संख्या बराबर हो गयी है. जिले में कन्हैयाचक के अलावा पसराहा, बसुआ तथा दुगार्पुर में बुनियादी विद्यालय संचालित हैं. सभी विद्यालयों में केवल नाम का ही अंतर रह गया है. इसके स्थापना की अवधारणा पीछे रह गयी है.
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सिद्धांतों से भटका बुनियादी विद्यालय
परबत्ता. प्रखंड के गोविंदपुर पंचायत अन्तर्गत कन्हैयाचक गांव में अवस्थित राजकीय बुनियादी विद्यालय कन्हैयाचक केवल नाम का बुनियादी विद्यालय रह गया है. स्वतंत्रता सेनानी तथा कन्हैयाचक निवासी सूर्य नारायण शर्मा के प्रयासों की बदौलत इस विद्यालय की स्थापना हुई थी. शुरुआती दौर में विद्यालय में गांधीजी की परिकल्पना के अनुसार श्यामपट्ट नहीं हुआ करता था. […]
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