हालांकि उन्होंने मात्र गोगरी प्रखंड से संबंधित सूचना देने का आदेश जारी किया है, जबकि आवेदक ने सभी प्रखंडों की योजनाओं से संबंधित सूचना मांगी थी. वर्ष 2010 में आरटीआइ कार्यकर्ता मनोज कुमार मिश्र ने त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों के पारित प्रस्ताव, सभी योजनाओं का ब्योरा, खर्च का ब्योरा, वर्ष 1995 से 2009 तक की इन सूचनाओं के साथ-साथ आवेदक ने सभी जांच प्रतिवेदन एवं ऑडिट रिपोर्ट की मांग की थी.
आवेदक की सूचना बड़ी होने, सूचना देने में विभागीय कार्य प्रभावित होने का तर्क देते हुए 2010 में ही सुनवाई करते हुए तत्कालीन मुख्य सूचना आयुक्त एके चौधरी ने वाद संख्या 39624 को रद्द कर दिया था. आयुक्त के आदेश के विरुद्ध आवेदक ने हाइकोर्ट में याचिका दायर की थी. किंतु यहां भी आयोग के आदेश को ही सही ठहराया गया. इसके बाद आवेदक श्री मिश्र ने हाइकोर्ट की डबल बेंच में अपील दायर की, जहां कोर्ट ने राज्य सूचना आयोग को पुन: इस मामले की सुनवाई करने का आदेश दिया. इधर इस मामले की पुन: सुनवाई आरंभ हुई.
सुनवाई के दौरान एक बार फिर बातें सामने आयी की मांगी गयी सूचना काफी बड़ी है तथा सूचना देने में परेशानी होगी और काफी खर्च भी होगा. इस पर आवेदक ने भ्रष्टाचार का मामला बता कर सूचना दिलाने की मांग की. अंतत: आयुक्त ने फिलहाल गोगरी प्रखंड की सभी सूचनाएं देने का आदेश जारी करते हुए कहा है कि इस प्रखंड में अगर किसी प्रकार की अनियमितता एवं भ्रष्टाचार का मामला सामने आया, तो शेष सूचना की मांग आवेदक कर सकते हैं. इस मामले की पुन: सुनवाई एक जुलाई को की जायेगी.