विभागीय सूत्र के मुताबिक जांच के अधिकांश आरोप सही था. इसके बाद एसडीओ सह गोशाला समिति के अध्यक्ष सुनील ने डीएम को मंत्री प्रदीप दहलान तथा लाल मोहन प्रसाद के विरुद्ध डीएम को रिपोर्ट भेजी है. तथा गोशाला के मंत्री से स्पष्टीकरण की मांग की है.
कार्यकारिणी समिति से न तो निर्माण की स्वीकृति ली गयी थी. यही नहीं तकनीकी व प्रशासनिक स्वीकृति भी नहीं ली गयी थी और न ही प्राक्कलन बनाया गया. गोशाला को मिलने वाले वार्षिक चंदा का कोई लेखा खोजा रखा जाता है. जांच पदाधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि गोशाला की रोकड़ पंजी पर इसे दर्ज नहीं किया गया है. गोशाला को अंकेक्षण बातें 6 वर्षो से नहीं कराया जा रहा है . जांच के क्रम में जांच पदाधिकारी को यह जानकारी दी गयी कि अंकेक्षक का स्थानांतरण हो चुका है. जिस कारण अंकेक्षण नहीं कराया जाता है . जिस पर जांच पदाधिकारी ने अपनी टिप्पणी दी है कि गोशाला का अंकेक्षण नहीं कराना मंत्री के मनमानी का घोतक है क्योंकि मंत्री ने समिति के अध्यक्ष सह एसडीओ को इसकी सूचना नहीं दी है. इसके अलावा गोशाला के गाय, बछड़ों के लिए क्रय की जाने वाली भूसा, चुन्नी, भुस्सी, दाना, खल्ली में भी मनमानी की जाती है. जांच रिपोर्ट में कहा गया है उक्त सामग्री के क्रय में गोशाला के मंत्री एवं प्रबंधक के द्वारा मनमानी तरीके से की जाती है . क्योंकि इसका कोई लेखा जोखा नहीं है. आवेदक ने अपने आवेदन पत्र में कहा था कि शहर में अवस्थित गोशाला के एक भवन को मंत्री द्वारा अपने करीबियों को किराये पर दिया गया है. 40 वर्ष पूर्व इनलोगों को यह भवन किराये पर दिया गया था.0 तथा 30 वर्ष से उसमें रह रहे लोगों से किराया नहीं लिया जा रहा है. जांच में जांच पदाधिकारी ने इस आरोप को भी सत्य बताया है.