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हर साल काम होता है करोड़ों रुपये खर्च, हाे जाते सब बेकार

गोगरी : कोसी नदी के जलस्तर में कमी होने के साथ-साथ पौरा, बलतारा, पौरा ओपी के समीप विगत कई महोनों से भीषण कटाव शुरू हो गया है. कटाव की रफ्तार बढ़ने से पौरा ओपी के समीप बलतारा के पास तटबंध और कटाव विरोधी कार्य के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडराने लगे है. करोड़ों की […]

गोगरी : कोसी नदी के जलस्तर में कमी होने के साथ-साथ पौरा, बलतारा, पौरा ओपी के समीप विगत कई महोनों से भीषण कटाव शुरू हो गया है. कटाव की रफ्तार बढ़ने से पौरा ओपी के समीप बलतारा के पास तटबंध और कटाव विरोधी कार्य के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडराने लगे है. करोड़ों की लागत से जियो बैग टीचिंग कर तैयार कटान विरोधी कार्य तैयार होने के महीने बाद ध्वस्त होना शुरू हो गया है और सोमवार को सुबह कटाव निरोधी जियो बैग नदी में भरभरा कर समा गया.

इससे पौरा ओपी के समीप कटाव का दबाव बढ़ता जा रहा है.

पौरा ओपी के समीप कटाव और पानी का तेज रफ़्तार सीधा ठोकर मार रही है जिससे भीषण कटाव शुरू हो गया है.तकरीबन 50 फीट के दायरे में कोसी नदी कटाव का कहर बरपा रही है. जिससे तटीय गांव के लोगों में दहशत है. ज्ञात हो कि बलतारा में कटाव पर हर साल काम होता है करोड़ों रुपए खर्च नतीजा ढाक के तीन पात बलतारा और पौरा ओपी के पास तटबंध पर बीते दो दशक से हर साल करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं.नतीजा ढाक के तीन पात होते हैं हर साल तटबंध बनते हैं और कटाव की भेंट चढ़ जाते.
प्रत्येक साल बाढ़ के बाद अभियंताओं की टीम इस पॉइंट को निर्धारित कर कुछ ना कुछ कार्य के लिए प्राक्कलन बनाती है. प्राक्कलन के मुताबिक करोड़ों खर्च कर दिये जाते हैं. स्थानीय लोगों का कहना है की यदि इतने रुपए हम ग्रामीणों के विकास की दिशा में खर्च होता तो नई जमीन खरीद कर महानगरों में बसाया जा सकता था.
पौरा ओपी के समीप भीषण कटाव शुरू हो जाने से कोशी तटीय करीबन एक दर्जन गांव के अस्तित्व पर संकट के बादल मर्डर आने लगे बीते साल भी बाढ़ के समय बलतारा के समीप नदी के जल स्तर का दबाव बढ़ गया था जिससे पौरा ओपी ध्वस्त होने की संभावना प्रबल हो गई थी.

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