लापरवाही. अधिकारी ही नहीं कर रहे हैं नियमों का पालन
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700 से अधिक आदेश पर अब तक नहीं हुआ अमल
लापरवाही. अधिकारी ही नहीं कर रहे हैं नियमों का पालन खगड़िया : छोटे छोटे मामलों में सरकारी बाबुओं के टेबल का चक्कर काटने से निजात के लिये मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम लागू किया है. इसके अंतर्गत लोगों से जुड़े कई मामलों की शिकायत कर लोग न्याय पा सकते […]
खगड़िया : छोटे छोटे मामलों में सरकारी बाबुओं के टेबल का चक्कर काटने से निजात के लिये मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम लागू किया है. इसके अंतर्गत लोगों से जुड़े कई मामलों की शिकायत कर लोग न्याय पा सकते हैं, लेकिन खगड़िया में सरकारी बाबू ही लोक शिकायत निवारण अधिनियम में पलीता लगाने में जुटे हुए हैं. लिहाजा, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस महत्वाकांक्षी योजना का खगड़िया में बंटाधार हो रहा है.
स्थिति यह है कि जिला लोक शिकायत निवारण अधिकारी, सदर व गोगरी अनुमंडल लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी द्वारा सुनाये गये करीब 1000 फैसले में से मात्र 223 मामलों में ही पीड़ित को इंसाफ मिल सका है. करीब 723 मामले में दिये गये फैसले का अनुपालन लोक प्राधिकार की मनमानी के कारण अटका पड़ा है. लिहाजा, लोक शिकायत निवारण अधिनियम के तहत पारित आदेश की कॉपी लेकर पीड़ित जनता कार्यालय का चक्कर काटने को विवश हैं.
दो दर्जन से अधिक लोक प्राधिकार लापरवाह
राजस्व विभाग में सर्वाधिक मामले है लंबित, स्वास्थ्य विभाग आदेश का अनुपालन करने में पीछे
अब तक जिले के तीनों पीजीआरओ ने करीब 1000 मामलों की सुनवाई कर सुनाया है फैसला
लोक प्राधिकार ने 223 फैसलों का ही कराया अनुपालन
राजस्व विभाग अधिक लापरवाह
सूत्र अनुपालन लंबित है सातों अंचल कार्यालय के साथ साथ राजस्व शाखा में करीब 350 आदेश का अनुपालन लंबित है. सभी थाना व प्रखंड कार्यालय में भी करीब 110 से अधिक मामले लंबित है. इसी तरह शिक्षा व बिजली विभाग में करीब सात दर्जन पीजीआरओ के आदेश के अनुपालन में लोक प्राधिकार आनाकानी कर रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग भी सुनाये गये दर्जनों फैसले के अनुपालन में लापरवाह बना हुआ है. जिला कल्याण सहित अन्य कार्यालय में भी आदेश लंबित है.
लिहाजा, लोगों को सुलभ न्याय का सपना खगड़िया में कराह रहा है.
700 से अधिक लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के आदेश अब भी अनुपालन के इंतजार में है. जनहित से जुड़े ये आदेश दो दर्जन से अधिक लोक प्राधिकार के दफ्तरों में धुल फांक रहा है.
आदेश की प्रति लेकर शिकायतकर्ता घूम रहे हैं. दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं लेकिन उनकी कोई नहीं सुन रहा है. विभागीय जानकारों के मुताबिक सुनवाई के बाद तीनों पीजीआरओ ने एक हजार एक मामले में आदेश का अनुपालन कराने के लिए संबंधित विभाग के पदाधिकारी के पास भेजा था. लेकिन 6 सितंबर को हुई समीक्षा के बाद यह बातें सामने आयी है कि एक हजार के विरुद्ध महज 223 आदेशों का ही लोक प्राधिकार ने अनुपालन कराया है जबकि समय सीमा समाप्त हो जाने के बात भी 768 आदेशों का अनुपालन नहीं कराया गया है.
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