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भोजन-पेयजल का गंभीर संकट

बाढ़ की विभीषिका. प्रशासन की आेर से चल रहा राहत कार्य नाकाफी जिले के प्रमुख नदियों के जलस्तर में लगातार कमी होने के बावजूद बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है. हालांकि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से पानी घटने के साथ ही नये इलाके में पानी प्रवेश कर रहा है. बाढ़ के पानी घटने के साथ […]

बाढ़ की विभीषिका. प्रशासन की आेर से चल रहा राहत कार्य नाकाफी

जिले के प्रमुख नदियों के जलस्तर में लगातार कमी होने के बावजूद बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है. हालांकि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से पानी घटने के साथ ही नये इलाके में पानी प्रवेश कर रहा है. बाढ़ के पानी घटने के साथ ही बाढ़ प्रभावित लोगों के बीच भोजन, पेयजल, स्वास्थ्य का गंभीर संकट उत्पन्न हो गया है. सरकारी व गैर सरकारी स्तर पर चलाये जा रहे राहत कार्य भी नाकाफी हैं.
कटिहार : प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, जिले में 7.48 लाख आबादी बाढ़ से प्रभावित है. इसमें से करीब तीन लाख से अधिक आबादी की स्थिति काफी दयनीय है.
आवागमन की स्थिति खराब होने की वजह से पर्याप्त राहत सामग्री पहुंचाने में कठिनाई भी हो रही है. बाढ़ की वजह से खासकर बच्चे व महिलाओं की स्थिति और भी खराब है. करीब सात प्रखंडों में बाढ़ की स्थिति और भी गंभीर बन गयी है. महानंदा, गंगा, कारी कोसी आदि नदियों के जलस्तर में लगातार हो रही कमी के बावजूद सोमवार को कई नये क्षेत्रों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है. वहीं बाढ़ में फंसे लोगों के बीच पर्याप्त राहत सामग्री उपलब्ध नहीं होने की वजह से उनके बीच भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गयी है. हालांकि जिला प्रशासन ने बचाव एवं राहत कार्य युद्धस्तर पर तेज कर दिया है,
लेकिन जमीनी स्तर पर स्थिति कुछ और ही है. प्रशासनिक दावे के अनुरूप बाढ़ प्रभावित लोगों के बीच राहत व बचाव कार्य नहीं चला रहा है. जिले में करीब 115 पंचायतों के करीब 700 गांव बाढ़ से प्रभावित है. सूत्रों की मानें, तो करीब 2.5 लाख की आबादी अभी भी बाढ़ से घिरी हुई है. बाढ़ से अबतक 19 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं जिला व प्रखंड मुख्यालय से सड़क संपर्क भंग हो चुका है. कई सड़कों पर पानी बह रहा है.
पशुओं के लिए चारा का गंभीर संकट उत्पन्न हो चुका है. प्रशासनिक स्तर से पशु चारा के लिए अब तक कोई व्यवस्था नहीं की गयी है. बाढ़ से पशुओं की स्थिति गंभीर हो गयी है. करीब 25 हजार से अधिक पशु बाढ़ से प्रभावित हैं. अब तक करीब 93 राहत शिविर खोले जाने का दावा जिला प्रशासन ने किया है. साथ ही जिला प्रशासन ने सूखा राशन भी वितरण किये जाने का दावा किया है. अब तक 2000 क्विंटल से अधिक चूड़ा व दो क्विंटल गुड़ के वितरण का दावा किया गया है.
विद्यालय बना है आशियाना
बाढ़ से विस्थापित परिवारों के लिए सरकारी विद्यालय आशियाना बन गया है. यूं तो जब-जब बाढ़ आती थी तो प्रभावित परिवार ऊंचे स्थलों पर शरण ले लेते थे. सड़क व बांध पर तंबू गाड़कर प्रभावित परिवार किसी तरह जीवन यापन करते थे, लेकिन इस बार स्थिति में थोड़ा बदलाव आया है. सड़क व बांध के अलावा इस बार बाढ़ व कटाव पीड़ित परिवार आसपास के विद्यालयों में शरण लिए हुए हैं. वहीं दूसरी तरफ जिला प्रशासन द्वारा भी सरकारी विद्यालय, सामुदायिक भवन आदि में राहत शिविर खोला गया है. अब तक 93 राहत शिविर का संचालन सरकारी विद्यालय व सामुदायिक भवन में किया जा रहा है. हालांकि अब भी बड़ी तादाद में प्रभावित परिवार सड़क के किनारे व तटबंध पर शरण लिए हुए हैं.
आंकड़ों में बाढ़ की स्थिति
कुल प्रभावित प्रखंड 08
कुल प्रभावित पंचायत 115
कुल प्रभावित गांव 621
प्रभावित आबादी 7.48 लाख
बाढ़ से मृत्यु 19
खोले गये राहत शिविर 93
परिचालित नाव 227
वितरित चूड़ा 2060 क्विंटल
वितरित गुड़ 02 क्विंटल
(जिला आपदा प्रशाखा के अनुसार)
बाढ़ पीड़ितों तक नहीं पहुंच रही राहत सामग्री
जिले की प्रमुख नदियों गंगा, कोसी, महानंदा, कारी कोसी आदि के जलस्तर में कमी व स्थिर रहने के बावजूद सोमवार को भी कई नये इलाके में बाढ़ का पानी प्रवेश किया है. बाढ़ से करीब आठ लाख से अधिक की आबादी प्रभावित है. हालांकि प्रशासन ने 7.48 लाख आबादी के प्रभावित होने का दावा किया है,
जबकि तीन लाख आबादी अब भी बाढ़ से घिरी हुई है. करीब 700 गांव बाढ़ की चपेट में है. बाढ़ प्रभावितों के बीच पर्याप्त राहत सामग्री का वितरण नहीं होने से उनकी स्थिति दयनीय बनी हुई है. राहत व बचाव कार्य प्रशासनिक दावों की पोल खोल रही है. हालांकि प्रशासन ने 93 राहत शिविर खोले जाने का दावा जरूर किया है. जबकि 2000 क्विंटल से अधिक चूड़ा वितरण करने का दावा किया है, लेकिन जमीनी स्तर पर इसका अत्यधिक लाभ बाढ़ पीड़ितों को नहीं मिल पा रहा है.

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