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शौचालय में भर दिया जाता है माल

परेशानी. कटिहार में वेंडर व व्यापारियों की मनमानी से त्रस्त हैं रेल यात्री कटिहार से स्टेशन से खुलने वाली अधिकांश ट्रेन के डिब्बों में अनावश्यक रूप से छोटे मोटे व्यापारियों द्वारा गेट पर और टॉयलेट में सब्जी, लकड़ी आदि भर दिया जाता है. जिसका खामियाजा ट्रेन पर सवार होने वाले यात्रियों को भुगतना पड़ता है. […]

परेशानी. कटिहार में वेंडर व व्यापारियों की मनमानी से त्रस्त हैं रेल यात्री

कटिहार से स्टेशन से खुलने वाली अधिकांश ट्रेन के डिब्बों में अनावश्यक रूप से छोटे मोटे व्यापारियों द्वारा गेट पर और टॉयलेट में सब्जी, लकड़ी आदि भर दिया जाता है. जिसका खामियाजा ट्रेन पर सवार होने वाले यात्रियों को भुगतना पड़ता है. कभी कभार तो यात्री और व्यापारियों के बीच मारपीट तक की नौबत आ जाती है.
कटिहार : हाल ही में देश की राजधानी दिल्ली में रेल पदाधिकारियों का एक सेमिनार आयोजित हुआ था जिसमें कटिहार रेलवे स्टेशन को स्वच्छता मामले में बिहार में पहला स्थान मिला. बेशक यह जिला और रेल मंडल कटिहार के लिए गर्व की बात है लेकिन रेल प्रशासन की लचर व्यवस्था कहें या फिर सेटिंग गेटिंग का खेल स्टेशन से खुलने वाली अधिकांश ट्रेन के डिब्बों में अनावश्यक रूप से छोटे मोटे व्यापारियों द्वारा गेट पर और टॉयलेट में सब्जी, लकड़ी आदि भर दिया जाता है. जिसका खामियाजा ट्रेन पर सवार होने वाले ट्रेन यात्रियों को भुगतना पड़ता है.
कभी कभार तो यात्री और व्यापारियों के बीच मारपीट तक की नौबत आ जाती है. रही सही कसर स्टेशन के विभिन्न प्लेटफाॅर्म पर अवैध रूप से विचरते वेंडर पूरा कर देते हैं. ऐसे में न सिर्फ स्टेशन की साफ सफाई को बट्टा लगता है बल्कि रेल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लग जाता है. खासकर लोकल ट्रेन की बोगियों में तो हरेक प्रकार की नशीली वस्तुएं मसलन पान, गुटखा, सिगरेट, तंबाकू, भांग, गांजा आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं.
यहां तक कि ये वस्तुएं प्लेटफार्म पर भी छोटे छोटे बच्चे बेचते आसानी से दिख जाते हैं. हालांकि धूम्रपान निषेध को ले समय समय पर अभियान भी चलाया जाता है, कुछ दिनों तक तो सबकुछ ठीक-ठाक चलता है लेकिन बाद में स्थिति दोबारा वैसी ही हो जाती है.
क्या कहते हैं पदाधिकारी
इस बाबत आरपीएफ इंस्पेक्टर संजीव कुमार बासु कहते हैं कि समय समय पर सघन चेकिंग अभियान के तहत ऐसे लोगों को पकड़ा जाता है. जल्द ही दोबारा अभियान चलाया जायेगा ताकि ऐसे लोगों पर शिकंजा कसा जा सके.
सरकार को राजस्व की क्षति
लोकल और कभी कभार लंबी दूरी की ट्रेनों पर सरेआम छोटे मोटे व्यापारियों द्वारा जनरल बोगियों में भर दिया जाता है. खासकर सब्जी, दूध समेत कुछ अन्य वस्तुओं को ट्रेन के गेट पर ही डंप कर दिया जाता है. जिससे रेल यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. गेट से हटाने को लेकर रेल यात्री से कई बार झड़प भी हो जाती है. इन सामानों के लिये रेल में अलग से लगेज बोगी होती हैं लेकिन सेटिंग गेटिंग के दम पर ये व्यापारी अपना माल इधर से उधर बड़े ही आसानी से करते हैं. ऐसे में जहां रेलवे को राजस्व का चूना लगता है वहीं व्यापारियों की फौज ‘सेटिंग गेटिंग’ के दम पर करती है मौज.
ट्रेन में वेंडर बेचते हैं तंबाकू, बीड़ी गुटखा, िसगरेट व भांग
स्टेशन पर रेल प्रशासन की सख्ती का असर लंबी दूरी की ट्रेनों पर तो दिखता है लेकिन लोकल गाड़ियों पर इसका कुछ खास असर नहीं दिखता है. लंबी दूरी की ट्रेनों पर नशीले पदार्थ बेचने वाले अपना बारिया बिस्तर समेट लेते हैं और स्टेशन से ट्रेन के खुलने के बाद जब पांच दस किलोमीटर का सफर तय हो जाता है ये लोग अपनी पोटली खोलते हैं और ट्रेन में धड़ल्ले से पान, गुटखा, बीड़ी, सिगरेट, तंबाकू, भांग आदि बेचते हैं. आदतन लोग ऊंची कीमत पर ये नशीले पदार्थ खरीदते हैं और नशीले पदार्थ के झोलाछाप व्यापारियों की बल्ले बल्ले होती हैं. ऐसी बात नहीं है कि रेल प्रशासन की नजर इन झोलाछाप व्यापारियों पर नहीं पड़ती है. इसी क्रम में जब एकाध झोलाछाप व्यापारियों से जब बात की गयी तो पता चला कि इसके एवज में ‘बाबू साहेब’ को सुविधा शुल्क दिया जाता है ताकि उनका धंधा बेरोकटोक चलता रहे.

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