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फर्जी अनुभव प्रमाण-पत्र पर नियोजित शिक्षकों पर लटकी तलवार

धांधली . शिक्षा विभाग के हालिया निर्देश से हड़कंप की स्थिति वर्ष 2008 के द्वितीय चरण के अंतर्गत जिले में विभिन्न पंचायत/प्रखंडों में हुए कई शिक्षकों के नियोजन पर प्रश्नचिह्न लगना तय हो गया है. चूंकि इस बार स्वयं डीइओ को अनुभव प्रमाण-पत्र को सत्यापित कर प्रतिवेदन देना है. कटिहार : शिक्षा विभाग के हालिया […]

धांधली . शिक्षा विभाग के हालिया निर्देश से हड़कंप की स्थिति

वर्ष 2008 के द्वितीय चरण के अंतर्गत जिले में विभिन्न पंचायत/प्रखंडों में हुए कई शिक्षकों के नियोजन पर प्रश्नचिह्न लगना तय हो गया है. चूंकि इस बार स्वयं डीइओ को अनुभव प्रमाण-पत्र को सत्यापित कर प्रतिवेदन देना है.
कटिहार : शिक्षा विभाग के हालिया निर्देश के अनुसार जिले में अनौपचारिक शिक्षा अनुदेशकों को सरकारी सेवा में चतुर्थ वर्ग के रिक्त पदों पर नियुक्ति की जानी है. यह नियुक्ति सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिये आदेश के आलोक में की जानी है. ऐसी स्थिति में पुन: जिले में अनौपचारिक शिक्षा अनुदेशकों के अनुभव प्रमाण-पत्र के जारी करने की प्रक्रिया एवं पूर्व में जारी किये गये अनुभव प्रमाण-पत्र के बीच एक ऐसी कड़ी बनने की संभावना प्रबल हो गयी है,
जिसमें वर्ष 2008 के द्वितीय चरण के अंतर्गत जिले में विभिन्न पंचायत/प्रखंडों में हुए कई शिक्षकों के नियोजन पर प्रश्नचिह्न लगना तय हो गया है. चूंकि इस बार स्वयं डीइओ को अनुभव प्रमाण-पत्र को सत्यापित कर प्रतिवेदन देना है. ऐसे में वर्तमान में तैयार होने वाले अनौपचारिक शिक्षा अनुदेशकों की सूची एवं पूर्व की सूची में काफी अंतर होने की संभावना प्रबल हो गयी है. फलस्वरूप फर्जी अनुभव प्रमाण-पत्र पर जिले में नियोजित लगभग पांच सौ से अधिक शिक्षकों की गरदन पर तलवार लटकने लगी है.
किस प्रकार हुआ था खेल : वर्ष 2008 के पंचायत/प्रखंड शिक्षक नियोजन में विभाग ने नियोजन नियमावली में आंशिक संशोधन करते हुए अनौपचारिक शिक्षा से जुड़े हुए अनुदेशकों को 20 अंक का अधिभार (वेटेज अंक) देने का निर्देश जारी किया था. इस निर्देश के आलोक में जन शिक्षा कार्यालय से जुड़े कर्मचारी एवं अधिकारी विभागीय निर्देश की बारिकियों को नहीं समझे एवं आननफानन में कार्यालय से वैसे लोगों को अनुभव प्रमाण-पत्र जारी करने लगे, जिसने कभी भी शिक्षक के रूप में जिले के किसी भी पंचायत में काम किया ही नहीं किया था.
अंत में स्थिति यह आ गयी कि अनौपचारिक शिक्षा से जुड़े अनुदेशकों के अनुभव प्रमाण-पत्र जिले के हरिशंकर नायक उच्च विद्यालय मिरचाईबाड़ी कटिहार के आसपास के फोटो स्टेट के दुकान से लेकर पान दुकानों पर तीस हजार रुपये में जारी किये जाने लगे.
लगभग एक हजार फर्जी प्रमाण-पत्र जारी किये जाने की संभावना : लोक सूचना के अधिकार के तहत जारी किये गये विभागीय पंजी से स्पष्ट है कि विभाग ने अंतिम रूप से द्वितीय चरण के शिक्षक नियोजन के चालू रहने के दौरान तीन मार्च 2009 तक कुल 1478 प्रमाण-पत्र जिला साक्षरता कार्यालय से जारी किये गये.
सूत्र बतातें हैं कि जिले में मात्र 600 के आसपास ही अनौपचारिक शिक्षा से जुड़े अनुदेशक कार्यरत थे. इन अनुदेशकों में भी कई ऐसे अनुदेशक थे, जिन्हें कभी भी कार्य करने के बावजूद किसी प्रकार का मानदेय प्राप्त नहीं हुआ. पर, तत्कालीन जन शिक्षा कार्यालय द्वारा 31.03.2001 तक कार्य करने की अनुमति प्रदान की गयी. तत्कालीन जिला जन शिक्षा पदाधिकारी के कार्यालय से जारी पंजी को देखा जाये तो यह स्पष्ट होता है कि कई प्रकार की त्रुटियां एक झलक में ही दिखायी पड़ जायेगी.
लगभग सभी पंजियों को देखा जाय तो उस पर लगभग एक हजार से अधिक जगह ओवरराइटिंग कर नये लोगो के नाम जोड़ने से लेकर उसके पिता का नाम, कार्यानुभव, पत्रांक आदि में छेड़छाड़ कर फर्जी प्रमाण-पत्र जारी कर दिया गया.
अनौपचारिक िशक्षा अनुदेशकों का किया जाना है समायोजन
जिला शिक्षा पदाधिकारी की अध्यक्षता में चार सदस्यीय समिति का किया गया है गठन, सूची बनाने का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर पुन: अनौपचारिक शिक्षा अनुदेशकों के प्रमाण-पत्र जारी करने का निर्देश
सर्वोच्च न्यायालय ने एक मामले में आदेश पारित कर राज्य के सभी भूतपूर्व अनौपचारिक शिक्षा अनुदेशकों का समायोजन करने का निर्देश दिया है. इस आलोक में विभाग के निदेशक डाॅ विनोनंद झा ने सूचना जारी कर जिला शिक्षा पदाधिकारी की अध्यक्षता में चार सदस्यीय समिति का गठन किया है.
इसमें विभाग ने सूची तैयार करने का निर्देश देते हुए उसकी पहचान एवं वास्तविक संख्या का पता लगाने का निर्देश दिया है. इसमें चयन पत्र, कार्यानुभव प्रमाण पत्र, भुगतान प्राप्त करने संबंधी साक्ष्य सहित कई तथ्यों की सूक्ष्मतापूर्वक जांच करने के पश्चात ही अंतिम सूची बनाने का निर्देश दिया है.
विभाग ने प्रमाण-पत्र जारी करने की क्या रखी थी शर्त
वर्ष 2008 में शिक्षा विभाग ने अनुभव प्रमाण-पत्र जारी करने की शर्तों का निर्धारण कर तो दिया, लेकिन जिला जन शिक्षा कार्यालय में तत्कालीन पदस्थापित बाबुओं ने सभी निर्देशों को दरकिनार कर कार्यालय के अभिलेख को देखना भी उचित नहीं समझा. विभाग ने यह स्पष्ट निर्देश दिया था
कि वैसे ही लोगों को अनौपचारिक शिक्षा अनुदेशक का प्रमाण-पत्र जारी किया जाये, जो चयन पत्र, कार्यानुभव प्रमाण पत्र, भुगतान प्राप्त करने संबंधी साक्ष्य आदि प्रस्तुत करें. उसे ही अनुभव प्रमाण-पत्र जारी किया जाय. लेकिन तत्कालीन जन शिक्षा कार्यालय के पदाधिकारियों ने उक्त जांच करना आवश्यक नहीं समझा एवं चंद रुपये के लोभ में फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र जारी कर दिया.
कर्मचारियों एवं पदाधिकारियों पर हुआ एफआईआर
मनिहारी के नारायणपुर निवासी जमील अख्तर ने फर्जी अनुभव प्रमाण-पत्र जारी करने के मामले में जिला कार्यक्रम पदाधिकारी साक्षरता डाॅ राजकुमारी सहित पूर्व डीपीओ साक्षरता अर्जुन राम, बीइओ डंडखोरा रामानंद मंडल, तत्कालीन कार्यालय लिपिक टुकाई सोरेन, लिपिक ललन कुमार झा, रंजीत कुमार रजक,
नियोजित शिक्षक अब्दुश सलाम, मुखिया ग्राम पंचायत राज द्वाशय नौशाबा सहित कई कर्मचारी एवं पदाधिकारियों पर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के न्यायालय में परिवाद पत्र दायर किया था. जिसे सीजेएम ने एफआईआर करने का निर्देश जारी किया था. इस मामले में सभी आरोपित पदाधिकारियों एवं कर्मचारियों के विरुद्ध सहायक थाने में इसी माह मामला दर्ज किया गया है.

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