10.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

कटिहार में बढ़ी संस्थागत प्रसव कराने के प्रति रुचि

हर घंटे औसतन छह बच्चे ले रहे हैं सरकारी अस्पतालों में जन्म कटिहार : सुरक्षित प्रसव कराने के उद्देश्य से राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के द्वारा चलाये जा रहे जननी एवं बाल सुरक्षा योजना का सकारात्मक प्रभाव कटिहार जिले में पड़ रहा है. जेवीएसवाइ की वजह से लोगों में संस्थागत प्रसव कराने की प्रवृत्ति बढ़ी है. […]

हर घंटे औसतन छह बच्चे ले रहे हैं सरकारी अस्पतालों में जन्म

कटिहार : सुरक्षित प्रसव कराने के उद्देश्य से राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के द्वारा चलाये जा रहे जननी एवं बाल सुरक्षा योजना का सकारात्मक प्रभाव कटिहार जिले में पड़ रहा है. जेवीएसवाइ की वजह से लोगों में संस्थागत प्रसव कराने की प्रवृत्ति बढ़ी है. शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र के लोग अब सरकारी अस्पतालों में प्रसव कराना पसंद कर रहे हैं. वर्ष 2015-16 के विभागीय आंकड़ों की मानें तो सरकारी अस्पतालों में अधिसंख्य गर्भवती महिलाओं का प्रसव कराया गया है. सिविल सर्जन की रिपोर्ट के अनुसार इस जिले में औसतन छह महिलाओं का प्रसव सरकारी अस्पताल में हर घंटे होता है.
जेवीएसवाइ के तहत प्रसव के उपरांत महिलाओं को योजना का लाभ भी तुरंत दे दिया जाता है. उल्लेखनीय है कि महिलाओं का प्रसव पिछले कुछ वर्षों तक घरों में ही कराया जाता था. उस समय मातृ और शिशु मृत्युदर काफी अधिक था. मातृ एवं शिशु मृत्युदर को कम करने के लिए तत्कालिन यूपीए सरकार ने राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन शुरू करते हुए उसके तहत जननी एवं बाल सुरक्षा योजना प्रारंभ किया. इस योजना के तहत प्रसव कराने वाली महिला को 1400 रुपये भुगतान किया जाता है. इससे वह महिला इस राशि का उपयोग कर पोषाहार लेने तथा बच्चे की देखभाल में करती है.
सीएस की रिपोर्ट से हुआ खुलासा
जिले के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में हर घंटे औसतन छह बच्चों का जन्म सरकारी अस्पतालों में हो रहा है. सीएस के प्रगति प्रतिवेदन के अनुसार वर्ष 2015-16 में 70362 महिलाओं का प्रसव सरकारी अस्पताल यथा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, अनुमंडल अस्पताल, रेफरल अस्पताल व जिला अस्पताल में कराने का लक्ष्य रखा गया था. इसके विरुद्ध विभिन्न सरकारी अस्पतालों में वर्ष की समाप्ति यानी 31 मार्च तक 49337 महिलाओं का प्रसव कराया गया.
स्थानीय स्वास्थ्य विभाग ने लक्ष्य के विरुद्ध 70 प्रतिशत उपलब्धि हासिल की, जबकि अन्य 30 प्रतिशत घर में या दूसरे किसी निजी अस्पताल में प्रसव कराया गया. हालांकि स्थानीय स्वस्थ्य विभाग की इस रिपोर्ट में तीस प्रतिशत प्रसव के बारे में कुछ खास जानकारी नहीं दी गयी है.
मुख्य कारण जननी एवं बाल सुरक्षा योजना
पुरुष प्रधान व रूढ़िवादी परंपरा को धता बताते हुए महिलाओं ने संस्थागत प्रसव के प्रति रुचि अब बढ़ने लगी है. संस्थागत प्रसव के प्रति रुचि बढ़ने का मुख्य कारण जननी एवं बाल सुरक्षा योजना है. साथ ही गांव के स्तर पर नि:शुल्क सरकारी एम्बुलेंस की उपलब्धता भी एक प्रमुख कारण माना जा रहा है. पिछले कुछ वर्षों में संस्थागत प्रसव का प्रचलन तेजी से बढ़ा है. वर्ष 2015-16 में लक्ष्य के विरूद्ध जितनी महिलाओं का संस्थागत प्रसव हुआ,
उन्हें जेवीएसवाइ के तहत शत प्रतिशत लाभ दिया गया. इससे महिलाओं में संस्थागत प्रसव के प्रति जागरूकता बढ़ गयी है. वहीं गर्भवती महिलाओं के प्रसव की स्थिति को देखते हुए मुफ्त एम्बुलेंस सेवा मिलने की वजह से भी परिवार और समाज की रुचि संस्थागत प्रसव के प्रति बढ़ी है. साथ ही लोगों में जागरूकता भी इसका प्रमुख कारण है.
आशा की रहती है महत्वपूर्ण भूमिका
संस्थागत प्रसव को बढ़ाना देने में मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता (आशा) की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (पहले एनआरएचएम) के तहत की गयी आशा की नियुक्ति के बाद से संस्थागत प्रसव की संख्या बढ़ने लगी. दरअसल स्वास्थ्य विभाग वित्तीय वर्ष के शुरुआत में आशा के माध्यम से गर्भवती माताओं की ट्रैकिंग कराती है. फिर प्रसव होने तथा उसके बाद दो वर्ष तक उसका फालोअप कराया जाता है. मदर चाईल्ड ट्रेकिंग सिस्टम के तहत यह सब किया जाता है. इसी प्रणाली के तहत आशा गर्भवती माताओं को स्वास्थ्य जांच, टीकाकरण तथा संस्थागत प्रसव के लिए प्रेरित करती हैं. जिसका नतीजा सामने है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें