कटिहार : जिले में 1100 से अधिक विद्यालयों में मध्याह्न भोजन बंद होने से शैक्षणिक कार्य प्रभावित होने लगा है. विद्यालय में एमडीएम के बंद होने की वजह से छात्र-छात्राओं की उपस्थिति भी घटने लगी है. पिछले एक सप्ताह से विद्यालयों में एमडीएम बंद होने की रफ्तार तेज होने लगी है. खाद्यान्न नहीं रहने की […]
कटिहार : जिले में 1100 से अधिक विद्यालयों में मध्याह्न भोजन बंद होने से शैक्षणिक कार्य प्रभावित होने लगा है. विद्यालय में एमडीएम के बंद होने की वजह से छात्र-छात्राओं की उपस्थिति भी घटने लगी है. पिछले एक सप्ताह से विद्यालयों में एमडीएम बंद होने की रफ्तार तेज होने लगी है. खाद्यान्न नहीं रहने की वजह से विद्यालयों में एमडीएम बंद है, जबकि कुछ विद्यालयों में राशि, रसोइया व अन्य कारणों से एमडीएम बंद है.
स्थानीय एमडीएम कार्यालय की मानें तो केंद्र सरकार द्वारा खाद्यान्न का आवंटन नहीं किये जाने से जिले के विद्यालयों में एमडीएम बंद होने लगा है. सूत्रों की मानें तो अनुश्रवण व निगरानी सहित समय पर विभागीय रिपोर्टिंग नहीं होने की वजह से खाद्यान्न के आवंटन में अड़चन आती है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में विद्यालय में पढ़ने वाले सभी बच्चों को पका हुआ गरम खाना दिये जाने की व्यवस्था सरकार द्वारा की गयी है. बड़े पैमाने पर विद्यालय में एमडीएम बंद होना सुप्रीम कोर्ट के आदेश का भी उल्लंघन है.
खाद्यान्न के अभाव में बंद है एमडीएम
प्रभात खबर को एमडीएम जिला कार्यालय से सोमवार को एमडीएम आइवीआरएस रिपोर्ट हाथ लगी है. शैक्षणिक सत्र 2015-16 के अंतिम दिन यानी 31 मार्च के एमडीएम आईवीआरएस रिपोर्ट के अनुसार उस तिथि तक कुल 1047 विद्यालयों में मध्याह्न भोजन बंद हो चुका है. विभागीय सूत्रों की मानें तो सोमवार तक 1100 से अधिक विद्यालयों में एमडीएम बंद हो चुका है.
31 मार्च की रिपोर्ट के अनुसार, जिले में 949 विद्यालय में खाद्यान्न नहीं रहने की वजह से एमडीएम बंद हो चुका है, वहीं 76 विद्यालयों में राशि के अभाव में एमडीएम बंद है. तीन विद्यालय में रसोइया नहीं रहने व 19 विद्यालयों में अन्य कारणों से एमडीएम बंद है.
अधिकारी व जनप्रतिनिधि उदासीन
जिले में सोमवार तक 1100 से अधिक विद्यालयों में एमडीएम बंद था. विद्यालय में एमडीएम बंद होने से चार लाख से अधिक बच्चे स्कूल में भोजन से वंचित हैं. इतने बड़े मामले को लेकर जिला प्रशासन व स्थानीय जनप्रतिनिधि पूरी तरह उदासीन दिख रहे हैं. विभागीय अधिकारी खाद्यान्न आवंटन नहीं होने का हवाला देकर पटना के विभागीय अधिकारी व केंद्र सरकार पर इसका ठीकरा फोड़ते हैं. वहीं जनप्रतिनिधि भी इस मामले में गंभीर नहीं है, जिससे स्कूलों पर असर पड़ रहा है.