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करोड़ों की लागत से बना रेल क्वार्टर पड़ा है बेकार, जर्जर क्वार्टरों में रहने को विवश हैं रेल कर्मी, जम्मिेवार कौन

करोड़ों की लागत से बना रेल क्वार्टर पड़ा है बेकार, जर्जर क्वार्टरों में रहने को विवश हैं रेल कर्मी, जिम्मेवार कौन फोटो नं. 7,8 कैप्सन-जर्जर क्वार्टर में रह रहे रेल कर्मी एवं करोड़ों की लागत से बना रेल क्वार्टर बेकार पड़ा हुआ प्रतिनिधि, कटिहार रेलवे क्षेत्र केंद्रीय विद्यालय के निकट वर्ष 2011 के मार्च महीने […]

करोड़ों की लागत से बना रेल क्वार्टर पड़ा है बेकार, जर्जर क्वार्टरों में रहने को विवश हैं रेल कर्मी, जिम्मेवार कौन फोटो नं. 7,8 कैप्सन-जर्जर क्वार्टर में रह रहे रेल कर्मी एवं करोड़ों की लागत से बना रेल क्वार्टर बेकार पड़ा हुआ प्रतिनिधि, कटिहार रेलवे क्षेत्र केंद्रीय विद्यालय के निकट वर्ष 2011 के मार्च महीने में तत्कालीन रेल महाप्रबंधक केशव हेंडरा के द्वारा इक्को प्रेइन रेलवे क्वार्टर निर्माण की आधारशिला रखी गयी थी. जिसे 2013 में निर्माण कार्य को पूरा किया जाना था. लेट लतीफ निर्माण कार्य को 2015 में कुछ क्वार्टरों को छोड़ निर्माण कार्य पूरा किया गया और आनन-फानन में रेलवे प्रशासन द्वारा रेल कर्मियों के नाम क्वार्टर आवंटन शुरू किया गया. नवनिर्मित क्वार्टरों मे सारी सुविधाएं जैसी बिजली, पानी आदि को व्यवस्थित किये जाने का कार्य जारी है. वहीं ओटी पाड़ा के जर्जर क्वार्टरों में रेल कर्मी रहने को विवश हैं. वैसे रेल क्वार्टरों की कमी के कारण रेल कर्मियों को रेल क्षेत्र से बाहर किराये के मकान में भी रहना एवं रेल की सेवा करना मजबूरी बनी हुई है. उपरोक्त मामले का प्रभात खबर की टीम ने जायजा लिया और जानने का प्रयास किया कि आखिर कौन सी वजह है कि करोड़ों की लागत से बना रेल क्वार्टर निर्माण कार्य पूर्ण होने के बावजूद रेल कर्मियों को रहने के लिए आवंटित नहीं किया जा रहा है. नवनिर्मित रेलवे क्वार्टर का हाल————————करोड़ों रुपये की लागत से निर्मित इक्को फ्रइन रेलवे क्वार्टर अधिकांश के निर्माण कार्य तो हो चुका है. जिसमें सारी सुविधाएं बहाल नहीं हो पायी है. इसके लिए कार्य जारी है. वहीं ड्राइवर टोला क्षेत्र के रेलवे क्वाटर में निवास कर रहे रेल कर्मियों को रेलवे प्रशासन द्वारा क्वार्टर आवंटित किया गया है. जिन-जिन क्वार्टरों में बिजली, पानी आदि की सुविधा दी गयी है, उन क्वार्टरों में रेल कर्मी डेरा डाल दिये तथा जिन क्वार्टरों में बिजली, पानी आदि सुविधा देने के लिए संवेदक द्वारा कार्य जारी है. जिसके कारण रेलकर्मी उन र्क्वाटरों में प्रवेश नहीं किये हैं. कुछ रेल कर्मी 6 माह पूर्व क्वार्टर में रहना शुरू किया. उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. क्वार्टरों में रह रहे रेल कर्मियों का मानना है कि सभी क्वार्टर तीन मंजिला है. जिन्हें भूतल क्वार्टरों में रहने वालों को प्रथम एवं द्वितीय तल पर रहने वाले रेल कर्मियों को ज्यादा आराम हैं. लेकिन उपरी मंजिल पर रहने वालों में खासकर महिलाओं को दिक्कत होती है. महिला रेल कर्मियों के मामले में उपरोक्त बातों को ध्यान में रखते हुए आवंटन किया जाना चाहिए था. क्वार्टर में रह रहे लोको कॉलमैन सुनील पासवान कहते हैं कि क्वार्टर तो मिल गया लेकिन रहन-सहन में इस क्वार्टर से ड्राइवर टोला स्थित रेलवे क्वार्टर अच्छा था. यहां परिवार के लोग बीमार रहते हैं. जबकि बिजली की सुविधा बेहतर है और पानी के लिए सप्लाई वाटर के साथ-साथ चापाकल भी है. वहीं डीएलसी विभाग की महिला रेल कर्मी कहती हैं कि उन्हें भूतल क्वार्टर की बजाय द्वितीय तल पर क्वार्टर मिल गया. जिसके कारा परेशानी होती है. नवनिर्मित क्वार्टरों के पास झाड़ जंगल—————————-उक्त नव निर्मित क्वार्टरों के दो ब्लॉक के बीच से पीसीसी सड़क तो बनाया गया है. किंतु साफ-सफाई के अभाव में झाड़-जंगल के पैदा होने से क्वार्टरों की खूबसूरती ही समाप्त हो गयी है. पानी सप्लाई की व्यवस्था सुचारु ढंग से नहीं हो पाने के कारण क्वार्टरों में रह रहे रेलकर्मियों को दिक्कत तो हो ही रही है. उक्त क्षेत्र में रहने के लिए आने वाले कर्मियों को भी मुसीबतों का सामना करना पड़ेगा. कहते हैं रेल अधिकारी—————–इस मामले में सीनियर डीसीएम पवन कुमार कहते हैं कि जिन क्वार्टरों का काम पूरा हो गया है. उसे आवंटित कर दिया गया है और जिसमें काम चल रहा है, काम पूरा होते ही रेलकर्मी रहने लगेंगे. इस वर्ष काम पूरा हो जायेगा.

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