कटिहार : ऐसे मंदिर जो सार्वजनिक घोषित किये जा चुके हैं अथवा वर्ष 1960 के पहले निर्माण किया गया हो और उसे चाहरदिवारी से नहीं घेरा गया हो तो सरकार ऐसे मंदिरों के लिए ‘बिहार मंदिर चाहरदिवारी निर्माण निधि योजना 2015’ को तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है. बिहार सरकार के विधि विभाग […]
कटिहार : ऐसे मंदिर जो सार्वजनिक घोषित किये जा चुके हैं अथवा वर्ष 1960 के पहले निर्माण किया गया हो और उसे चाहरदिवारी से नहीं घेरा गया हो तो सरकार ऐसे मंदिरों के लिए ‘बिहार मंदिर चाहरदिवारी निर्माण निधि योजना 2015’ को तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है.
बिहार सरकार के विधि विभाग ने अधिसूचना जारी करते हुए इसे जिला पदाधिकारी सहित अन्य संबंधित पदाधिकारियों को इसकी सूचना दी है. दरअसल, सरकार को लगातार यह सूचना प्राप्त हो रही थी कि मंदिरों से बहुमूल्य मूर्ति, मुकुट, छत्र, आभूषण आदि की चोरी में कोई कमी नहीं हो रही है. सरकार यह मान रही थी कि ऐसे मंदिर चाहरदिवारी के अभाव में असुरक्षित रहते हैं.
क्या है यह योजना
सरकार ने यह योजना किसी भी देवालय, मठ या कोई भी पूजा स्थल जिसे सार्वजनिक घोषित किया गया है. उसके तहत मंदिरों को इस योजना के तहत शामिल किया जायेगा. मंदिरों के लिए बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद से निबंधित होना आवश्यक बनाया गया है तथा मंदिरों को अपनी जमीन भी होना एक आवश्यक मापदंड है.
इन दिनों ऐसे मंदिरों को वर्ष 1960 के पहले का निर्मित होना भी आवश्यक बनाया है अथवा ऐसे मंदिर जिसके निर्माण से बिहार में परिवर्तन की संभावना बढ़ती हो को शामिल किया गया है. जहां विधि व्यवस्था का प्रश्न उत्पन्न हो गया हो, उन मंदिरों को भी सरकार ने इस योजना के तहत शामिल करने का निर्णय लिया है.
स्थल चयन करने का अधिकार जिला प्रशासन को : जिला स्तर पर मंदिरों को चाहरदिवारी निर्माण के लिए उसका चयन जिला स्तरीय दो सदस्यीय कमेटी के द्वारा किया जायेगा. प्रत्येक जिला में कमेटी के अध्यक्ष जिला पदाधिकारी होंगे एवं उसके सदस्य सचिव आरक्षी अधीक्षक होंगे. चाहरदिवारी निर्माण संबंधी प्रस्ताव बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद द्वारा जिले में भेजी जायेगी.
कौन होगी निर्माण एजेंसी
मंदिरों के चाहरदिवारी निर्माण का कार्य बिहार राज्य भवन निर्माण निगम द्वारा किया जायेगा. यह चाहरदिवारी आठ फीट ऊंचाई की होगी. दो करोड़ से उपर तक की राशि प्राप्त हो सकती है. मंदिरों के चाहरदिवारी निर्माण के लिए जिला स्तर पर गठित कमेटी को पचास लाख तक, दो करोड़ रुपये तक की राशि को प्रमंडलीय आयुक्त तथा दो करोड़ से उपर की राशि को सचिव सह विधि परामर्शी विधि विभाग बिहार पटना के प्रशासनिक स्वीकृति के लिए सक्षम पदाधिकारी बनाया गया है.