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ट्रेनों में लगा बोर्ड किसी और रूट का, ट्रेन जाती है किसी और रूट पर

ट्रेनों में लगा बोर्ड किसी और रूट का, ट्रेन जाती है किसी और रूट पर फोटो-4 कैप्सन-दूसरे जगह जाने वाली ट्रेन का लगा बोर्ड. प्रतिनिधि, कटिहार कटिहार-राधिकापुर पैसेंजर ट्रेन को अगर मनिहारी वाली रूट में चलायी जाये तो वैसे बहुत सारे यात्री होंगे जो राधिकापुर के लिए इस ट्रेन पर चढ़ जाते हैं. ऐसी गलती […]

ट्रेनों में लगा बोर्ड किसी और रूट का, ट्रेन जाती है किसी और रूट पर फोटो-4 कैप्सन-दूसरे जगह जाने वाली ट्रेन का लगा बोर्ड. प्रतिनिधि, कटिहार कटिहार-राधिकापुर पैसेंजर ट्रेन को अगर मनिहारी वाली रूट में चलायी जाये तो वैसे बहुत सारे यात्री होंगे जो राधिकापुर के लिए इस ट्रेन पर चढ़ जाते हैं. ऐसी गलती कभी-कभार नहीं होती है अपितु इस प्रकार की गलती अक्सर यात्री कर ही देते हैं. जिसका सारा श्रेय रेलवे अधिकारियों को जाता है. अमूमन जब भी आप कटिहार रेलवे स्टेशन पर पहुंचेंगे तो आपको पैसेंजर ट्रेनों में अक्सर यह देखने को मिलता है कि उसमें बोर्ड राधिकारपुर की लगी है लेकिन वह जोगबनी जा रही है. मनिहारी रूट में चलने वाली ट्रेनों में समस्तीपुर व बरौनी के बोर्ड टंगे दिखते हैं. उसी प्रकार जोगबनी जाने वाली ट्रेन में कटिहार-राधिकापुर रूट का बोर्ड नजर आता है. बहुत ऐसे पैसेंजर ट्रेन होती है, जिसमें सही बोर्ड लगा रहता है. जिस कारण यात्री इस बोर्ड को देखकर गलत रूट की ट्रेन में चढ़ जाते है. जिस कारण उसे आगे जाकर काफी कठिनाई होती है.जाने को कहां पहुंच जाते हैं कहां कटिहार प्लेटफार्म पर पहुंचते ही लोग आनन-फानन में रहते हैं. टिकट कटाने से लेकर उसे उक्त प्लेटफार्म तक पहुंचने में बहुत कठिनाई एवं भाग दौड़ रहती है. इस दौरान रेलवे के द्वारा करायी जा रही माइकिंग पर संभवत: ध्यान नहीं जाता है. सिर्फ यात्री में एक धुन ही रहती है कि ट्रेन पकड़ना है. जब वह प्लेटफार्म पर पहुंचता है तो ट्रेनों में लगा बोर्ड नजर आ गयी तो वह समान चढ़ा सीट ढूंढकर बैठ जाते हैं. जिस कारण रेल यात्री को सफर करना रहता है कहीं और का और ट्रेन चल पड़ती किसी और दिशा में, ऐसे में यात्री कभी कभी सैकड़ों किलोमीटर का सफर कर लेते हैं या फिर अगले स्टेशन पर सटीक जानकारी मिलने या अलग रूट का स्टेशन देख कर उसे ट्रेन से उतरना पड़ता है तथा पुन: उस स्टेशन से कटिहार आकर अपने गंतव्य स्थान के लिए ट्रेन पकड़नी पड़ती है. यानी एक तो समय बरबाद ऊपर से उसकी ट्रेन भी छूट जाती है तो दूसरी ट्रेन कितने देर बाद मिलेंगी या नही मिलेगी या भी एक बड़ी समस्या रहती है. आखिर सवाल यह उठता है कि रेल अधिकारियों का ध्यान उस ओर जाता नहीं है या फिर देख कर भी अनदेखा कर देते हैं. या तो वह बोर्ड न लगावे अगर लगावे भी तो सही ट्रेन व सही दिशा की. अगर यात्री की इमरजेंशी है और भागम भाग की स्थिति में वह गलत ट्रेन में चढ़ जाता है तो उसकी जिम्मेवारी किसकी. कहते हैं अधिकारीइस संदर्भ में सीनियर डीसीएम पवन कुमार ने बताया कि जिस रूट की ट्रेन होंगी. उसमें उसी रूट का बोर्ड होना चाहिए . अगर उक्त ट्रेन में दूसरे रूट का बोर्ड लगा मिला तो संबंधित विभाग के पदाधिकारी व कर्मी पर कार्रवाई की जायेगी.

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