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आज तक नहीं मिली थाने को जमीन

आज तक नहीं मिली थाने को जमीन फोटो नं.35,36 कैप्सन कुरसेला थाना का हाल. प्रतिनिधि, कुरसेला एक बड़ा अरसा गुजर जाने के बाद भी कुरसेला थाना को स्थायी तौर पर भूमि और भवन उपलब्ध नहीं हो सका है. थाना के लिए जमीन अधिग्रहण के लिए सरकारी स्तर पर अब तक किया गया प्रयास विफल रहा […]

आज तक नहीं मिली थाने को जमीन फोटो नं.35,36 कैप्सन कुरसेला थाना का हाल. प्रतिनिधि, कुरसेला एक बड़ा अरसा गुजर जाने के बाद भी कुरसेला थाना को स्थायी तौर पर भूमि और भवन उपलब्ध नहीं हो सका है. थाना के लिए जमीन अधिग्रहण के लिए सरकारी स्तर पर अब तक किया गया प्रयास विफल रहा है. बदौलत एनएच-31 के जमीन पर थाना का कार्य चलायमान बना हुआ है. स्थायी तौर थाना के नाम भूमि का अधिग्रहण नहीं होने से इसका विकसित स्वरूप अवरूद्ध है. माना जाता है कि जमीन अधिग्रहण होने पर मॉडल थाना भवन का निर्माण व पुलिस अधिकारियों, सुरक्षा बलों का आवास और बेहतर बैरक का बनना संभव हो सकेगा. बताया जाता है कि अंचल सतर पर व जिले के सम्बद्ध अधिकारियों द्वारा कुरसेला में कई स्थानों का थाना जमीन उपलब्धता को लेकर सर्वे किया जा चुका है. बावजूद जमीन अधिग्रहण का मामला सरकारी फाइलों में अटका हुआ है. अपराध नियंत्रण व सुरक्षा व्यवस्था के दृष्टिकोण से थाना भूमि का अधिग्रहण में बेहतर स्थल का होना आवश्यक समझा जाता है. कतिपय इन्हीं बिंदुओं को ध्यान में रख कर जिले के संबद्ध अधिकारियों द्वारा एनएच-31 व एसएच-77 किनारे के भूमि का अवलोकन कर सर्वे करने का कार्य किया गया था. अधिकारियों द्वारा किये गये जमीनों के सर्वे में एनएच-31 किनारे के बिहार सरकार के गड्ढे वाली भूमि भी आयी थी. बड़े गड्ढे के होने से इस पर लाखों की मिट्टी भराई कर थाना भवन बनाने की कठिनाई सामने आयी थी. इसके अलावा थाना के लिए दूसरे सर्वे किये गये जमीन को कमोबेश उपयुक्त पाया गया था. संभावना थी कि सर्वे कार्य के बाद शीघ्र ही थाना जमीन अधिग्रहण की प्रक्रियाएं पूरी होगी. वर्ष से अधिक समय गुजर गये, मगर इस दिशा में सार्थक कार्य सामने नहीं आ सका. कुरसेला में थाना स्थापना के बाद क्षेत्र के सार्वजनिक सहयोग राशि से 10 मई 1989 को थाना भवन का निर्माण किया गया. थाना संचालन कार्य के लिए यह भवन भी कम पड़ने लगा. इसके बाद थाना पुलिस के तत्परता से एक छोटे से पुलिस बैरक को बनाया जा सका. भूमि और आवश्यकता अनुरूप भवनों के नहीं होने से थाना अधिकारियों और सुरक्षा बलों को कई तरह के कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. कटिहार-पूर्णिया-भागलपुर तीन जिलों का सीमा क्षेत्र का यह थाना होने से बेहद संवेदनशील माना जाता है. उस अनुरूप सुविधा विस्तार का नहीं होना कई तरह की परेशानी बनाती है. गंगा-कोशी नदी का दियारा क्षेत्र का एक बड़ा भू-भाग थाना क्षेत्र से जुड़ा है. जहां अपराध नियंत्रण करना पुलिस के लिए चुनौती बनी रहती है. मॉडल थाना निर्माण के साथ अपराध नियंत्रण के लिए आधुनिक व पर्याप्त सुविधाओं का होना आवश्यक समझा जाता है. आवास के लिए खंडहर भवन——————–थाना परिसर के समीप थाना अधिकारियों व सुरक्षा बलों को एनएच-31 के खंडहरनुमा भवनों में निवास करने की विवशता बनी रहती है. आवासीय भवनों के अभाव में अधिकारियों को जर्जर और खंडहर का रूप ले चुके कमरों में रहते हैं. भवनों का बदत्तर हालात कभी भी हादसा का रूप ले सकता है. उस पर इन जर्जर भवनों में रहने वालों का सांप बिच्छु का डर सताये रहता है. भवनों की स्थिति देख कर सिहरन और भय दौड़ जाती है. दूसरों को सुरक्षा प्रदान करने वाला खुद असुरक्षा के साये में समय गुजारने को विवश बने रहते हैं. जिसकी सुधि सरकारी तंत्र लेने से बेखबर बना हुआ है. थाना अध्यक्ष के आवास के लिए कोल्ड स्टोरेज के समीप कुरसेला स्टेट द्वारा भवन उपलब्ध कराया जाता है. मजबूरी वश सरकारी आवासीय भवनों के अभाव में थाना अध्यक्ष को यहां निवास करना पड़ता है. चहारदीवारी का अभावसुरक्षा व्यवस्था के लिए थाना का चहारदीवारी से घेराबंदी होना आवश्यक माना जाता है. थाना के नाम भूमि नहीं होने से थाना की चहारदीवारी से घेराबंदी संभव नहीं हो पा रहा है. भूमि अधिग्रहण के पश्चात ही थाना भवन के निर्माण के साथ चहारदीवारी बन सकेगी.

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