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डीएस कॉलेज में छात्र-छात्राओं की उपस्थिति में आयी कमी

डीएस कॉलेज में छात्र-छात्राओं की उपस्थिति में आयी कमी फोटो नं. 1,2,3,4 कैप्सन-डीएस कॉलेज की बदहाल स्थिति बयां करती तस्वीर प्रतिनिधि, कटिहारजिले के मशहूर कॉलेज के रूप में जाना जाने वाला दर्शन साह महाविद्यालय कुव्यवस्था का दंश झेल रहा है. इस कॉलेज में इंटर से पीजी तक की पढ़ाई के लिए लगभग 10 हजार छात्र-छात्राएं […]

डीएस कॉलेज में छात्र-छात्राओं की उपस्थिति में आयी कमी फोटो नं. 1,2,3,4 कैप्सन-डीएस कॉलेज की बदहाल स्थिति बयां करती तस्वीर प्रतिनिधि, कटिहारजिले के मशहूर कॉलेज के रूप में जाना जाने वाला दर्शन साह महाविद्यालय कुव्यवस्था का दंश झेल रहा है. इस कॉलेज में इंटर से पीजी तक की पढ़ाई के लिए लगभग 10 हजार छात्र-छात्राएं नामांकित हैं. कॉलेज में 84 शिक्षकों का पद स्वीकृत है, पर केवल 27 शिक्षकों द्वारा पढ़ाई करायी जाती है. कॉलेज में साफ-सफाई का अभाव है. डीएस कॉलेज में 65 शिक्षकेतर कर्मी का पद रहते हुए तृतीय एवं चतुर्थ वर्गीय कर्मी की संख्या मात्र 22 है. शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मियों की कमी के कारण छात्र-छात्राओं की पढ़ाई से लेकर अन्य व्यवस्था सही नहीं है. सुविधा नगण्यकॉलेज में छात्राएं नामांकित हैं, लेकिन उनके लिए बने कॉमन रूम में हमेशा ताला लटका रहता है. इस असुविधा के चलते छात्राएं कॉलेज में पठन-पाठन के लिए आना पसंद नहीं करती हैं. यदि कॉलेज में कुछ देर ठहरना पड़ता है तो असामाजिक तत्वों के कारण परेशान होना पड़ता है. कॉलेज परिसर में गार्ड या सुरक्षा प्रहरी मौजूद नहीं हैं और ना कॉलेज की ओर से कोई व्यवस्था है. यहीं हाल कमोबेश छात्रों का भी है. इसके कारण छात्र कॉलेज आना पसंद नहीं करते हैं. कॉलेज में छात्र-छात्राओं की उपस्थित कम होती है.कॉलेज में शिक्षकों की है कमीकॉलेज में शिक्षकों की कमी के कारण पढ़ाई भी कम होती है. विषयवार शिक्षकों की कमी भी बनी हुई है. यदि शिक्षक कॉलेज में आते भी हैं, तो कॉलेज आये छात्रों को पढ़ाने में कम ही रुचि लेते हैं. इसके कारण भी छात्र कॉलेज में आने और पढ़ने के बजाय कोचिंग क्लास कर अपनी पढ़ाई पूरी करने में अधिक रुचि लेते हैं. शिक्षकेतर कर्मियों की कमी से होती है परेशानीकॉलेज में शिक्षकेतर कर्मियों की कमी के कारण छात्र-छात्राओं को कॉलेज व विश्वविद्यालय संबंधी कार्यों को कराने में परेशानी होती है. खासकर फार्म भरने, फीस आदि जमा कराने के समय परेशानी बढ़ जाती है. कॉलेज में साफ-सफाई कार्य नियमित रूप से नहीं होता है. क्लास रूम के आसपास पान-गुटके की पीक, शौचालय में गंदगी के कारण दुर्गंध फैली रहती है. क्लास रूम में बेंच आदि को व्यवस्थित नहीं रखा जाता है. पुस्तकालय में पढ़ने की व्यवस्था नहींकॉलेज में एक पुस्तकालय है, जिसमें 45000 पुस्तकें हैं, लेकिन छात्र-छात्राओं के बैठ कर पढ़ने आदि की व्यवस्था नहीं है. पुस्तकालय के बरामदे पर ही बेंच लगा कर पढ़ने की सुविधा दी गयी है. कॉलेज में ऑफिस एवं कुछ विभागों में केंट फिल्टर लगा कर पानी की व्यवस्था तो दी गयी है, लेकिन सामान्य रूप से छात्र-छात्राओं को पीने का पानी चापाकल से ही लेना पड़ता है. चापाकल से आयरन युक्त पानी का उपयोग करना इनके लिए मजबूरी है. छात्रावास में नहीं रहना चाहते हैं छात्रकॉलेज में महिला छात्रावास के अलावे कई अन्य छात्रावास भी हैं. महिला छात्रावास में छात्राओं की संख्या बहुत कम है. वहीं पिछड़ा वर्ग छात्रावास की कुव्यवस्था के कारण यहां भी छात्रों की संख्या कम है. छात्र-छात्रा कॉलेज के छात्रावास की जगह अलग से डेरा लेकर रहना पसंद करते हैं. कहते हैं प्राचार्यडीएस कॉलेज के प्राचार्य डॉ पवन कुमार झा ने कहा कि शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मियों की कमी है, लेकिन जो मौजूद हैं, उन्हीं से काम लिया जाता है. इसके बावजूद कॉलेज में छात्र-छात्राओं की उपस्थिति नहीं बढ़ पा रही है. छात्रों के अभिभावक उनको कॉलेज भेज कर पढ़ाने में रुचि कम लेते हैं, कोचिंग क्लासेस के जरिये बच्चों को पढ़ाने में रुचि अधिक लेते हैं. उन्होंने कहा कि कॉलेज परिसर में लड़कियों की सुरक्षा एवं असामाजिक तत्वों से निबटने के लिए एसपी कार्यालय को पत्र लिख कर पुलिस फोर्स की मांग की जायेगी . साफ-सफाई के मामले में उन्होंने कहा कि उनके कॉलेज में तत्काल दो सफाई कर्मी हैं, जो साफ-सफाई का कार्य करते हैं. इसके अतिरिक्त कॉलेज के संगठन एनएसएस के जरिये भी सफाई का अभियान चलाया जाता है.

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