10 हजार से अधिक मामलों का हुआ निबटार नहीं टूटा पिछला रिकार्ड, बैंक पदाधिकारियों ने किया लोक अदालत का बंटाधार फोटो संख्या-4 से 7 कैप्सन- लोक अदालत का उद्घाटन करते जिला जज राजेश्वर तिवारी, प्रभारी डीएम मुकेश पांडेय, शिविर में उपस्थित पदाधिकारी व इंतजार करती महिलाएं प्रतिनिधि, कटिहारशनिवार को व्यवहार न्यायालय परिसर में लगे राष्ट्रीय मेगा लोक अदालत में कुल 10377 मामलों का निपटारा किया गया. एक ओर वर्ष 2013 में हुए राष्ट्रीय लोक अदालत में पच्चीस हजार से अधिक मामलों का निपटारा कर राष्ट्रीय स्तर पर कटिहार को नयी पहचान मिली थी. वहीं इस राष्ट्रीय लोक अदालत में राष्ट्रीयकृत बैंकों के नकारात्मक एवं कठोरात्मक व्यवहार के कारण काफी कम मामलों का निष्पादन किया जा सका. राष्ट्रीय लोक अदालत का उद्घाटन करते हुए जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकार राजेश्वर तिवारी ने कहा कि लोग इस राष्ट्रीय लोक अदालत का पूर्ण लाभ उठावें. राष्ट्रीय लोक अदालत के अलग-अलग कुल 25 बेंचों का गठन किया गया था. जिसमें न्यायिक पदाधिकारियों के साथ अधिवक्ता सदस्य उपस्थित थे.कितने मामलों का हुआ निष्पादन———————–राष्ट्रीय लोक अदालत में शनिवार को 10377 मामलों का निष्पादन किया गया. जिसमें रेवेन्यू के 4227, मनरेगा के 3822, बैंक से संबंधित 1164, बीएसएनएल के 12, ट्रैफिक चलान के 47, फैमिली कोर्ट के 19, न्यायालय में चल रहे अपराधिक मामलों के 192 तथा विभिन्न अनुमंडल पदाधिकारियों के न्यायालयों के सात सौ से अधिक मामलों का निष्पादन किया गया. बैंकों द्वारा लगभग तीन करोड़ रुपये की राशि का समझौता किया गया. बैंक के पदाधिकारियों ने लोक अदालत का किया बंटाधार——————————लोक अदालत को लेकर जिला विधिक सेवा प्राधिकार द्वारा कई स्तरों पर प्रचार-प्रसार निरंतर किया जाता रहा. फलस्वरूप सुबह से ही बैंकों से जुड़े मामलों को लेकर लोग व्यवहार न्यायालय में अपनी उपस्थिति दर्ज कराते देखे गये. बैंकों के पदाधिकारियों द्वारा विभिन्न ऋण मामलों में ऋणियों के साथ कठोर एवं नकारात्मक व्यवहार के कारण कई ऋण चुकाने की इच्छा रखने वाले लोगों को वापस जाते देखा गया. बैंक पदाधिकारी एवं ऋण धारकों के बीच कई काउंटरों पर सीधा-सीधा नोक-झोंक होता देखा गया. जिसे न्यायिक पदाधिकारियों के बीच-बचाव के बाद शांत किया गया.न्यायिक पदाधिकारियों का रहा काफी सहयोग—————————-एक ओर जहां बैंक पदाधिकारी अपने कठोर एवं नकारात्मक व्यवहार के कारण स्वयं को बड़े पदाधिकारी समझ रहे थे. वहीं न्यायिक पदाधिकारियों द्वारा उन्हें यह सलाह दी जा रही थी कि बैंक ऋणियों के साथ वे सकारात्मक एवं अच्छे व्यवहार करें. विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव सह अवर न्यायाधीश शशिधर विश्वकर्मा द्वारा कई बार बैंक पदाधिकारियों को निर्देश देते देखे गये. वहीं दूसरी ओर बैंक पदाधिकारी कई बार अपनी आपा को खोते देखे गये. एडीजे प्रथम रघुपति सिंह ने कई बैंकरों से लोक अदालत में आये ऋणियों के साथ अच्छे व्यवहार एवं समझौता करने के लिए कहते देखे गये. अवर न्यायाधीश सह एसीजेएम कुमार ऋषिकेश तथा मुंसफ मनोरंजन कुमार झा द्वारा बैंक पदाधिकारियों को यह निर्देश देते देखे गये कि वे ग्राहकों से सद्व्यवहार करें. कुल मिला कर बैंक के पदाधिकारियों का व्यवहार ऋणियों के प्रति अत्यंत ही खेद जनक माना जा सकता है. कई ऋणियों ने बैंक से लोन नहीं लेने की खायी कसमें—————————-मनसाही के मो अलताज ने पूर्व में लोक अदालत में बैंक के साथ समझौता कर राशि चुकता कर दिया था. फिर भी उसे इस बार बैंक से लोक अदालत में उसी लोन के बाबत बकाये राशि समझौता करने का नोटिस मिला. ऐसे कई ऋणधारक थे, जो पूर्व में बैंक के साथ समझौता कर चुके थे. लेकिन पुन: इस राष्ट्रीय लोक अदालत में उन्हें नोटिस जारी कर ऋण भुगतान करने के लिए दबाव देते देखा गया. कई ऋणियों ने कसमें खायी कि नमक-भात खाकर रह जाना है लेकिन बैंक से लोन नहीं लेना है. इसी तरह राजेंद्र प्रसाद पथ में फुटपाथी अशोक ने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया से लोन लिया था. बैंक ने अशोक से समझौता कर बकाये राशि का पूर्ण भुगतान प्राप्त कर लिया था. बैंक द्वारा सर्टिफिकेट भी जारी कर दिया गया था. फिर भी इस लोक अदालत में उसे पच्चीस हजार रुपये का भुगतान करना पड़ा.प्राधिकार द्वारा लगातार दिया जा रहा था ऋणियों को संदेश—————————-प्राधिकार को लगातार प्राय: ऐसी शिकायत मिल रही थी कि बैंक के पदाधिकारियों द्वारा समझौते की राशि एकमुश्त प्राप्त कर लेने के बावजूद उन्हें सिर्फ रिसिविंग दी जा रही थी. लेकिन उसे एनओसी नहीं जारी किया जा रहा है. इस प्रकार की शिकायतों पर प्राधिकार के सचिव सह अवर न्यायाधीश शशिधर विश्वकर्मा ने तुरंत कार्रवाई करते हुए बैंक के पदाधिकारियों को माइक के माध्यम से लगातार निर्देश देते देखे गये कि वे एकमुश्त राशि के प्राप्त करने पर बैंक ग्राहकों को एनओसी निश्चित रूप से जारी करें. कुल मिला कर बैंक के असहयोगात्मक रवैये के कारण लोक अदालत में कई मामलों का निष्पादन नहीं किया जा सका.भविष्य में राष्ट्रीय लोक अदालत में न्यायिक सक्रियता जरूरी——————————-यूं तो कटिहार जिले पर लोक अदालत में निष्पादन को लेकर पूरे राष्ट्र की नजर होती है. इसके लिए न्यायिक पदाधिकारियों से लेकर पक्षकारों एवं शामिल होने वाले पदाधिकारियों की सहभागिता शत-प्रतिशत जरूरी है. तभी किसी लक्ष्य को पूरा किया जा सकता है. पूर्व में बनाये गये रिकार्ड के मामले में इस प्रकार की बात सामने आयी थी. जब सभी पदाधिकारी एक पटल पर आकर कटिहार जिले को आगे बढ़ाने में सक्रिय रूप से कार्य किये थे. लेकिन वर्तमान में बैंक से आये पदाधिकारियों ने ऋण ग्राहकों के साथ उस प्रकार व्यवहार किया. जिससे बैंक के प्रति ऋणियों को नकारात्मक भाव खुद-ब-खुद पैदा हुआ और कई लोग बिना समझौते एवं निराश होकर वापस जाते देखे गये.
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10 हजार से अधिक मामलों का हुआ निबटार
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