29.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बगैर किताब पढ़े, लाखों वद्यिार्थी देंगे परीक्षा

बगैर किताब पढ़े, लाखों विद्यार्थी देंगे परीक्षासरकारी शिक्षा स्तर को सुधारने के प्रति विभाग उदासीन शैक्षणिक सत्र 2015-16 के 2.13 लाख विद्यार्थियों को पढ़ने के लिए नहीं मिली है पुस्तकअप्रेल 2015 से शुरू है शैक्षणिक सत्र, नौ महीनें बीतेप्रभात पड़ताल फोटो नं. 7 कैप्सन-इसी तरह पढ़ाई के अभाव में विद्यालय में टहलते हैं बच्चे.प्रतिनिधि, कटिहारबिहार […]

बगैर किताब पढ़े, लाखों विद्यार्थी देंगे परीक्षासरकारी शिक्षा स्तर को सुधारने के प्रति विभाग उदासीन शैक्षणिक सत्र 2015-16 के 2.13 लाख विद्यार्थियों को पढ़ने के लिए नहीं मिली है पुस्तकअप्रेल 2015 से शुरू है शैक्षणिक सत्र, नौ महीनें बीतेप्रभात पड़ताल फोटो नं. 7 कैप्सन-इसी तरह पढ़ाई के अभाव में विद्यालय में टहलते हैं बच्चे.प्रतिनिधि, कटिहारबिहार के सरकारी विद्यालय के शिक्षा का स्तर ठीक नहीं है. यहां पढ़ने वालो बच्चों की पढ़ाई भगवान भरोसे है. कटिहार जिले के सरकारी विद्यालय की स्थिति से यह साफ हो जाता है कि सरकारी विद्यालय की शिक्षा व्यवस्था बेपटरी हो चुकी है. राज्य में नीतीश कुमार के नेतृत्व में तीन चौथाई बहुमत के साथ सरकार बन चुकी है. नीतीश की यह तीसरी पार्टी है, लेकिन शिक्षा व्यवस्था में गुणात्मक सुधार के बजाय लगातार गिरावट हो रही है. सरकारी शिक्षा व्यवस्था लगातार हो रही गिरावट के हालात ऐसे हो गये हैं कि अब सरकारी विद्यालय के छात्र-छात्राओं को बगैर पढ़े ही परीक्षा में सम्मिलित होना पड़ेगा. यह कोई चौंकाने वाली बात नहीं है, बल्कि कटिहार जिले के सरकारी विद्यालय की स्थिति यही है. प्रभात खबर ने सरकारी विद्यालय में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को मिलने वाली पाठ्य-पुस्तक को लेकर गहन पड़ताल की है. प्रभात खबर की इस पड़ताल में यह बात उभर कर सामने आयी कि कटिहार जिले 2.13 लाख छात्र-छात्राओं की शैक्षणिक सत्र 2015-16 के लिए अब पाठ्य-पुस्तक नहीं मिला है. जबकि मार्च 2016 में यह शैक्षणिक सत्र समाप्त हो जायेगा. प्रस्तुत है प्रभात खबर की पड़ताल करती यह रिपोर्ट.-2.13 लाख छात्र-छात्राओं को नहीं मिला पुस्तकजिला शिक्षा कार्यालय के सूत्रों की माने तो शैक्षणिक सत्र 2015-16 नौ महीना अब समाप्त होने को हैं. इस सत्र में अब तक 2.13 लाख छात्र-छात्राओं को पाठ्य पुस्तक नहीं मिला है. जबकि इस शैक्षणिक सत्र की वार्षिक परीक्षा मार्च 2016 में होनी है तथा अप्रैल 2016 से शैक्षणिक सत्र 2016-17 प्रारंभ होगा. विभागीय सूत्रों की माने तो पहली कक्षा से लेकर 8वीं कक्षा तक कुल छात्र-छात्राओं की संख्या 646750 है. जिला शिक्षा विभाग ने इन छात्र-छात्राओं के विरुद्ध नवंबर 2016 तक 433157 छात्र-छात्राओं के लिए पाठ्य पुस्तक का सेट प्राप्त हुआ. यानी 213593 छात्र-छात्राओं को अब तक पाठ्य पुस्तक का सेट नहीं मिला है. -राज्य सरकार उपलब्ध कराती है पुस्तकशिक्षा अधिकार कानून 2009 के तहत आठवीं कक्षा तक के छात्र-छात्राओं को सरकार द्वारा मुफ्त पाठ्य पुस्तक उपलब्ध कराने का प्रावधान है. राज्य सरकार के निर्देश पर बिहार शिक्षा परियोजना परिषद पटना द्वारा राज्य भर के प्रारंभिक विद्यालयों के छात्र-छात्राओं पाठ्य पुस्तक उपलब्ध कराया जाता है. जानकार बताते हैं कि जब से यह व्यवस्था लागू हुई, तब से कभी भी छात्र-छात्राओं को समय पर पाठ्य-पुस्तक उपलब्ध नहीं होता है. हर साल सितंबर-अक्तूबर तक छात्र-छात्राओं के पास पुस्तक पहुंचता है. चालू शैक्षणिक सत्र में तो हद ही हो गयी. दो लाख से अधिक छात्र-छात्राएं अब भी पाठ्य-पुस्तक से वंचित हैं. -मुद्दे पर हर जगह खामोशीजिले के सरकारी विद्यालयों में अध्ययनरत दो लाख से अधिक छात्र-छात्राओं को अब तक पाठ्य-पुस्तक नहीं मिला है. पुस्तक से वंचित ये बच्चे बगैर पढ़ाई किये ही शैक्षणिक सत्र 2015-16 की परीक्षा मार्च 2016 में देंगे. इतना बड़ा मुद्दा होने के बावजूद भी हर जगह खामोशी है. छोटे-छोटे व मामूली सवाल पर लोग सड़क पर उतर जाते हैं. धरना प्रदर्शन करते हैं. पत्राचार करते हैं. लेकिन बच्चों के भविष्य से जुड़ा इतना बड़ा मुद्दा पर खामोशी भी कई सवाल पैदा करता है. -जनप्रतिनिधि उदासीनसरकारी विद्यालय में शिक्षा व्यवस्था में गुणात्मक सुधार लाने को लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधि भी उदासीन हैं. भले ही विद्यालय में होने वाले कार्यक्रमों में जनप्रतिनिधि भाग लेकर बच्चों के भविष्य को लेकर बड़े-बड़े सपने बच्चों को दिखाते रहे हों, लेकिन जमीनी स्तर पर जनप्रतिनिधि अपनी भूमिका के प्रति संजीदा नजर नहीं आता है. सरकारी विद्यालय की स्थिति से जनप्रतिनिधियों की उदासीनता का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है. निजी विद्यालय को पनपने का मिला अवसर सरकार की नीतियों की वजह से बेपटरी हुई शिक्षा व्यवस्था की वजह से जिले के हर गली-मुहल्ले में निजी विद्यालय को पनपने का अवसर मिल गया है. जबकि निजी विद्यालय के स्थापना में आरटीइ के मानकों की भी अनदेखी होती रही है. यह तो सर्वविदित है कि सरकारी विद्यालयों में अधिकांश बच्चे गरीब व मजदूर वर्ग के होते हैं. -कहते हैं डीइओडीइओ श्रीराम सिंह ने बताया कि बिहार राज्य पाठ्य-पुस्तक निगम पटना के द्वारा पाठ्य पुस्तक उपलब्ध कराया जाता है. जिला से अधियाचना भेजी गयी थी. उसके विरुद्ध पुस्तक की आपूर्ति कम हुई है. विभाग को इसकी जानकारी दे दी गयी है. विद्यालयों में कक्षावार कुल छात्र-छात्राओं की स्थितिकक्षा – कुल छात्र-छात्राएं – पाठ्य पुस्तक प्राप्त छात्र-छात्रापहला – 82066 – 69714दूसरा – 86385 – 69233तीसरा – 90551 – 65599चौथा – 94391 – 65440पांचवां – 94957 – 64795छठा – 66908 – 17804सातवां – 66620 – 44566आठवां – 64872 – 36006 ——– – ——– कुल – 646750 – 433157

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें