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शक्षिा में आये समानता, तो बने बात

शिक्षा में आये समानता, तो बने बातविस चुनाव. सरकारी स्कूल में गिरते शिक्षा के स्तर को लाेगों ने माना चुनावी मुद्दा, कहाफोटो नं. 3 कैप्सन-सरकारी स्कूल का हाल.प्रतिनिधि, कटिहारविधानसभा चुनाव को लेकर कटिहार जिले के सातों सीट पर यूं तो पांच नवंबर को अंतिम चरण के तहत मतदान होना है. ऐसे में चुनाव के लिए […]

शिक्षा में आये समानता, तो बने बातविस चुनाव. सरकारी स्कूल में गिरते शिक्षा के स्तर को लाेगों ने माना चुनावी मुद्दा, कहाफोटो नं. 3 कैप्सन-सरकारी स्कूल का हाल.प्रतिनिधि, कटिहारविधानसभा चुनाव को लेकर कटिहार जिले के सातों सीट पर यूं तो पांच नवंबर को अंतिम चरण के तहत मतदान होना है. ऐसे में चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है. नामांकन में अब मात्र दो दिन बचे हैं. इस बीच विभिन्न सियासी दलों व निर्दलीय अभ्यर्थी अपनी किस्मत आजमाने के लिए चुनावी समर में कूदने को तैयार हैं. 16वीं विधानसभा के लिए हो रहे इस चुनाव में छोटे-बड़े सभी सियासी दिग्गज अपने-अपने चुनावी घोषणा-पत्र व एजेंडे को लेकर आम लोगों के बीच जा रहे हैं. इन तमाम कवायद में आम लोगों का मुद्दा पूरी तरह गौण है. चुनाव को लेकर समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े लोग क्या सोचते हैं. चुनाव और प्रत्याशियों से लोगों की क्या अपेक्षाएं हैं. इस पर किसी सियासी दल व अभ्यर्थी का ध्यान नहीं है. यहां तक कि बुनियादी जरूरत पर भी सियासी दल व अभ्यर्थी गंभीर नहीं दिख रही है. आजादी के बाद से समाज में गैर बराबरी का एक प्रमुख कारण शिक्षा व्यवस्था को भी माना जाता रहा है. सरकारी विद्यालय के हालात किसी से छिपी नहीं है. दूसरी तरफ बाजार की तरह निजी विद्यालय खुल गये हैं. इसके अलावे नवोदय विद्यालय, केंद्रीय विद्यालय जैसी विद्यालय भी यहां स्थापित है. इस तरह अलग-अलग बच्चों के लिए अलग-अलग विद्यालयों की व्यवस्था गैर बराबरी को बढ़ावा दे रही है. कहते हैं मतदाताशहर के शिव मंदिर चौक निवासी देवव्रत दास, सौरिया के जाबीर, लालकोठी के अरुण गुप्ता, डुमरिया के पूनम झा, प्रियांशु आनंद, पूर्णिमा कुमारी, तेजा टोला के दीपक गुप्ता, हरिमोहन सिंह आदि ने कहा कि बहुस्तरीय शिक्षा व्यवस्था यानी निजी विद्यालय, नवोदय विद्यालय, केंद्रीय विद्यालय आदि के होने के वजह से सरकारी विद्यालय का अस्तित्व पर संकट छाने लगा है. सरकारी विद्यालय में गरीब व मजदूर वर्ग के अधिकांश बच्चे पढ़ते हैं. सरकारी विद्यालय की बदहाल स्थिति सर्वविदित है. विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दल को समान शिक्षा व्यवस्था लागू करने को लेकर प्रतिबद्धता दिखानी चाहिए. समान शिक्षा लागू हो से न केवल समाज में फैली गैर बराबरी दूर होगी बल्कि शिक्षा में गुणात्मक सुधार भी आयेगा. इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा समान शिक्षा को लेकर दिये गये हालिया फैसले से भी यह बात साफ हो गयी है कि समान शिक्षा से समाज में समानता आ सकती है.

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