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व्याख्याताओं की कमी, पढ़ाई बाधित

व्याख्याताओं की कमी, पढ़ाई बाधित फोटो नं. 31 कैप्सन-महाविद्यालय भवन -रामदेव शारदा महाविद्यालय प्रतिनिधि, आजमनगररामदेव शारदा महाविद्यालय कर्मियों व व्याख्याताओं की कमी का दंश झेल रहा है. सेवानिवृत्ति होने के बाद उन पदों पर बहाली नहीं होने की वजह से समस्या दिनों दिन गहराते जा रहा है. कई विभाग बिना विभागाध्यक्ष के वर्षों से संचालित […]

व्याख्याताओं की कमी, पढ़ाई बाधित फोटो नं. 31 कैप्सन-महाविद्यालय भवन -रामदेव शारदा महाविद्यालय प्रतिनिधि, आजमनगररामदेव शारदा महाविद्यालय कर्मियों व व्याख्याताओं की कमी का दंश झेल रहा है. सेवानिवृत्ति होने के बाद उन पदों पर बहाली नहीं होने की वजह से समस्या दिनों दिन गहराते जा रहा है. कई विभाग बिना विभागाध्यक्ष के वर्षों से संचालित हो रहा है. दिनों-दिन बढ़ता काम का बोझा व सेवानिवृत्त कर्मियों की जगह बहाली नहीं होने से महाविद्यालय का रूप-स्वरूप एक दम से बदल गया है. ऐसे में कार्यालय व पठन-पाठन का बोझा बाकी बचे कर्मियों व व्याख्याताओं पर आ जाने से अव्यवस्था लाजिमी है. इसको सुधारने की दिशा में किसी भी जनप्रतिनिधि ने ध्यान नहीं दिया. वर्षों से बहाली नहीं होने के कारण कई सेवानिवृत्त हो गये हैं. किसी तरह विश्वविद्यालय प्रशासन जरूरत मंद कार्यों का निष्पादन ही कर पाते हैं. पूर्वांचल के छात्रों में बारसोई अनुमंडल समेत बलरामपुर, आजमनगर, कदवा एवं प्राणपुर आदि क्षेत्रों के छात्रों की पहली पसंद भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय का एक मात्र अंगीभूत कॉलेज आरडीएस सालमारी है. 60 के दशक में महाविद्यालय की नींव पड़ी थी. 1962-63 में ललित नारायण मिश्र विश्वविद्यालय (दरभंगा) की अंगीभूत इकाई भी रही है. इतने वर्षों बाद भी अव्यवस्था दूर नहीं हो पाया है. ऐसे में अभिभावकों का कहना है कि सरकार द्वारा शिक्षा नीति में व्यापक सुधार को लेकर काम नहीं किया गया, अगर किया गया होता तो शायद आज महाविद्यालय की खस्ताहाल नहीं होता. निश्चित तौर पर इसके लिए स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने भी जिम्मेदारी नहीं दिखायी. कहते हैं छात्र-छात्राएं महाविद्यालय के छात्रों ने इस पर प्रभात खबर के साथ अपनी बातों को साझा किया है. ऋषभ शांडिल्य ने कहा कि महाविद्यालय रिक्त पड़े सीटों को भर दिये जाने से छात्र-छात्राएं अन्य विषयों की पढ़ाई बाहर करने को मजबूर नहीं होंगे. योगेश कुमार, आदर्श कुमार, ज्योति कुमारी, पूजा झा, प्रफुल्ल कुमार ने बताया कि सरकार की उदासीनता के कारण महाविद्यालय में वर्षों से कई सीट रिक्त पड़े हैं. पूर्वांचल के बच्चों की पहली पसंद रामदेव शारदा महाविद्यालय सालमारी ही है. इसके बावजूद महाविद्यालय की समस्याओं को दूर करने की दिशा में किसी भी जनप्रतिनिधि ने कोई पहल नहीं की. जिससे छात्र-छात्राओं की पढ़ाई प्रभावित हो रही है.

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