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मदनसाही गांव के लोगों को चचरी पुल का सहारा

मदनसाही गांव के लोगों को चचरी पुल का सहारा फोटो नं. 60 से 69 कैप्सन-चचरी पुल से पार होते लोग, आमलोगों की प्रतिक्रिया -उदासीनता . जनप्रितिनधि, सरकार व प्रशासन नहीं दे रहे ध्यान-गांव में सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा सहित अन्य बुनियादी सुविधाओं का अभाव प्रतिनिधि, प्राणपुरप्रखंड के मदनसाही गांव जाने के लिए एक मात्र चचरी पुल […]

मदनसाही गांव के लोगों को चचरी पुल का सहारा फोटो नं. 60 से 69 कैप्सन-चचरी पुल से पार होते लोग, आमलोगों की प्रतिक्रिया -उदासीनता . जनप्रितिनधि, सरकार व प्रशासन नहीं दे रहे ध्यान-गांव में सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा सहित अन्य बुनियादी सुविधाओं का अभाव प्रतिनिधि, प्राणपुरप्रखंड के मदनसाही गांव जाने के लिए एक मात्र चचरी पुल ही है. उसी से होकर हजारों की आबादी का आना जाना होता है. चचरी पुल की जगह पक्की पुल बनाने की दिशा में जनप्रतिनिधियों की ओर से कभी कोई पहल नहीं किया है. जिसके कारण हजारों की आबादी प्रभावित हो रहा है. यही नहीं मदनसाही गांव विकास की रौशनी से कोसों दूर है. गांव में सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा सहित अन्य बुनियादी सुविधा भी लोगों को उपलब्ध नहीं हो रहा है. इससे ग्रामीणों में आक्रोश व्यापत है. ग्रामीणों ने बताया कि पूर्व में चचरी पुल की जगह काठ पुल था. ग्रामीणों को व्यापार करने, फसल लाने, जिला मुख्यालय जाने आदि में काफी सुविधा प्राप्त था. काठ पुल टूटने के साथ शीघ्र निर्माण जन-प्रतिनिधि एवं सरकार के द्वारा किया जाता. इलाके के हजारों ग्रामीणों को व्यापारी, फसल जाने-ले जाने व प्रखंड या जिला मुख्यालय तक जाने की काफी सुविधा प्राप्त होती. जिससे इलाके के ग्रामीणों का जीवन खुशहाल व हरा-भरा रहता. आज पूर्व के जनप्रतिनिधि एवं सरकार को इनका श्रेय जाता. चुनाव में परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता. अब मदनशाही चचरी पुल को देख कर प्रतीत होता है कि इस गांव के विकास के लिए किसी ने कभी कोई ध्यान नहीं दिया. कहते हैं ग्रामीणमदनसाही गांव के चक्रधारी मंडल ने बताया कि मदनशाही धार में जब काठ पुल था तभी मैं छोटा था. परंतु याद है कि उस समय पुल पर से प्रतिदिन बैलगाड़ी आर-पार होता था. जिससे देख कर हम सभी बच्चे काफी खुश होते थे और गांव खुशहाल था. वहीं ओम प्रकाश रंजन ने बताया कि जब से काठ पुल टूटा हमलोगों को तकरीबन 15 किलोमीटर की दूरी बढ़ गयी है. आवागमन में महसूस होता है कि जनप्रतिनिधि एवं सरकार झूठ के खेती करते हैं. वहीं सरोज कुमार मंडल ने बताया कि काठ पुल टूटने से किसान एवं व्यापारी को काफी कष्ट हो रहा है और कोई भी जनप्रतिनिधि एवं सरकार इस गांव के लिए दावा नहीं सकते. तिल्लू मंडल ने बताया कि काठ पुल टूटने से विकास पर काफी असर पड़ा है. व्यापारी को पनपने नहीं दिया गया है. कुमुद मंडल ने बताया कि किसान का आधा फसल खेत में सड़ जाता है. जनप्रतिनिधि एवं सरकार पर भरोसा, स्वास्थ्य लाभ से वंचित हैं. काठ पुल टूटने एवं निर्माण नहीं होने से प्रतीक होता है. शासन व्यवस्था काफी कमजोर है. राजकुमार मंडल ने बताया कि यातायात व्यवस्था पूर्ण रूप से ठप है. प्रशासन हो या सरकार पर भरोसा उठ चुका है. गौरव कुमार ने कहा पुल का निर्माण शीघ्र किया जाय ताकि सरकार का सभी योजना का लाभ ले सकें. पारन कुमार ने बताया पुल नहीं तो वोट नहीं. वहीं समाजसेवी प्रदीप मंडल ने बताया कि 1987 के भीषण बाढ़ ने काठ पुल को तोड़ा था. इसके बीच तीन वर्ष कांग्रेस, 15 वर्ष राजद एवं 10 वर्ष में एनडीए एवं जदयू का सरकार रहा और तीन वष्र्ज्ञ कांग्रेस के 15 वर्ष आरजेडी एवं 10 वर्ष भाजपा के एमएलए एवं 10 वर्ष कांग्रेस, 15 वर्ष बीजेपी का एमपी पद पर जिला एवं विधानसभा का बागडोर संभाला. लेकिन मदनशाही काठ पुल के काम पर सबके सब फेल रहा. ग्रामवासियों को अपना मत है. जनप्रितिनधि, सरकार व प्रशासन पर से विश्वास उठ चुका है. इन सभी के कथानुसार एमएलए, एमपी एवं सरकार से विश्वास मदनशाही काठपुल के टूटने से उठ चुका है. 28 वर्षों के बाद भी पुल का निर्माण नहीं होने से विकास कोसों दूर है.

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