प्रतिनिधि :कटिहाऱ शहर के तंग गलियों में बड़े-बड़े मार्केट फल पट्टी कहे या फिर श्यामा टॉकिज गली,
उसमें आग लगने की सूचना पाकर ही पुलिस प्रशासन हरकत में आ गयी.देखते ही देखते अग्निशमन विभाग के कई वाहन व कर्मी उक्त घटना स्थल पर पहुंच गये और आग बुझाने में जुट गये. आग बुझाने का सिलसिला आरंभ हुआ तो कभी पानी खत्म तो कभी कुछ की कमियां दिखती रही. कोई उपर से चिल्लाता भाई पानी दो लेकिन नीचे से आवाज आती दमकल पानी लाने गया है.
पानी लाने में घंटो का लग रहा था समय : आग पर तो काबू हो नहीं पाया, इधर दमकल का भी पानी समाप्त हो गया, सभी दमकल पानी लाने को निकला तो कोई एक घंटे बाद तो कोई दो घंटे बाद पानी लेकर पुन: मौके पर पहुंची. इतनी देर में फिर आग भयावह रूप धारन कर ले रही थी. क्योंकि दमकल के लिए पानी की व्यवस्था नजदीक में नहीं थी.
उन्हें कारी कोसी घाट ही जाना पड़ रहा था. साथ ही जाम भी रोड़ा बना रहा इनके घटना स्थल से जाकर लौटने में परेशानी हो रही थी.पानी की व्यवस्था शहरी क्षेत्र में नहीं : कटिहार शहरी क्षेत्र में इस प्रकार की आगजनी की घटना दशकों बाद पहली बार हुई है.
सवाल यह उठता है कि शहर की आबादी तकरीबन तीन लाख है.
लेकिन यहां दमकल के लिए बोरिंग की व्यवस्था में न तो जिला प्रशासन ने ही ठोस कदम उठाया न किसी राजनीतिज्ञ ने. भले ही घटना उपरांत सभी राजनीतिक दलों के नेता घटना स्थल पर पहुंचकर आग बुझाने वालों का हौसला अफजाई किया और इस घटना पर दुख प्रकट किया.
विभाग में कई कमियां न लेती सरकार सुध न स्थानीय जनप्रतिनिधि : कहने को तो यह अग्निशमन विभाग है. जब घटना स्थल पर थोड़ी सी विलंब होती है, तो लोगों का आक्रोश इन्हें ही झेलना पड़ता है लेकिन जब इनकी आप सुनेंगे तो दंग रह जाओगे कि किस व्यवस्था में यह कार्य करती है.
वाहन है तो चालक नहीं, गाड़ी है तो तेल नहीं, दमकल में पानी की व्यवस्था नहीं यहां तक कि इनके आवास को देखकर यह कह सकते है कि यह कम जमींदोज हो जाये लेकिन फिर भी यह काफी कमियों के बावजूद यह अपना काम पूरी निष्ठा से करती है.
इनपर न तो सरकार का ही ध्यान आकृ ष्ट हो पाता है और न स्थानीय जनप्रतिनिधि का. अगर जिला प्रशासन की भी बात की जाये तो वह भी इस मामले में एक- दो बोरिंग तक शहरी क्षेत्र में वर्षो से नही करवा पायी है. जिससे शहरी क्षेत्र में आग लगने पर बोरिंग से पानी लेकर शीघ्र दमकल पुन: घटना स्थल पर पहुंचे. आखिर इन सभी में दोष किसका.
अग्निशमन विभाग में एक जैकेट : आग की ज्वलंत ताप व धुंआ से कर्मियों की स्थिति बिगड़ जाती है. जिस कारण अग्निशमन विभाग कर्मी को पूरी जैकेट व सिर पर हैलमेट से लैश किया जाता है जिससे वह ताप व धुआं से बच सके,
लेकिन अग्निशमन विभाग कर्मियों में चार दर्जन से भी अधिक लोग आग बुझाने में जुटे थे, जिनमें मात्र एक के पास वह जैकेट था जो कि स्वयं विभाग की भी नही थी. अब सवाल उठता है कि क्या सरकार व स्थानीय जिला प्रशासन इन दावों पर ही आग पर काबू पाना चाहती है.