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मिडिल स्कूल के शिक्षक पढ़ाते हैं उच्च विद्यालय में

कटिहार: राज्य व केंद्र सरकार बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने का लगातार दावा करती रही है. बच्चों को बेहतर तालीम मिले. इसके लिए प्राथमिक से लेकर माध्यमिक विद्यालय की स्थापना की जा रही है. प्राथमिक विद्यालय को सर्वशिक्षा अभियान के तहत मध्य विद्यालय (आठवीं तक) में उत्क्रमित कर रही है. जबकि पंचायत स्तर पर मध्य […]

कटिहार: राज्य व केंद्र सरकार बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने का लगातार दावा करती रही है. बच्चों को बेहतर तालीम मिले. इसके लिए प्राथमिक से लेकर माध्यमिक विद्यालय की स्थापना की जा रही है. प्राथमिक विद्यालय को सर्वशिक्षा अभियान के तहत मध्य विद्यालय (आठवीं तक) में उत्क्रमित कर रही है. जबकि पंचायत स्तर पर मध्य विद्यालय को राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत माध्यमिक (10वीं तक) विद्यालय में उत्क्रमित किया जा रहा है. कटिहार जिले में भी विद्यालय को अपग्रेड करने की प्रक्रिया पिछले चार साल से चल रही है.

अभियान के तहत विद्यालय को अपग्रेड किया गया है. बच्चे दाखिला भी ले रहे हैं. लेकिन उसके अनुरूप आधारभूत संरचना का घोर अभाव है. इसका खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ता है. प्रभात खबर ने गुरुवार को इस मामले में एक विद्यालय की स्थिति को नजदीक से देखा है. प्रभात पड़ताल के तहत प्रभात खबर की टीम ने गुरुवार को डंडखोरा प्रखंड के उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालय द्वासय में 11.10 बजे पूर्वाह्न् में पहुंचा. उस समय करीब 140 बच्चे विद्यालय परिसर में घुड़दौर लगा रहे थे. प्रभात पड़ताल की पहली कड़ी यहां प्रस्तुत की जा रही है.

कमरे के बाहर फर्श पर बैठ कर पढ़ते हैं बच्चे : विद्यालय में प्रवेश के बाद शिक्षक सतर्क हो गये. पहली मंजिल पर जब प्रवेश किये तो कमरा तक जाने का कोई रास्ता नहीं था. कमरा के बाहर बच्चे फर्श पर बैठ कर पढ़ रहे थे. किसी तरह आगे बढ़ने पर स्थिति और भी गजब का था. दो अलग-अलग कमरे सातवीं व आठवीं की कक्षा की पढ़ाई हो रही थी. कक्षा में छात्र-छात्र की इतनी तादाद थी कि तिल रखने तक की जगह नहीं थी. कुछ बच्चे बेंच पर बैठे थे तो कुछ खड़े होकर शिक्षक के बात को ध्यान से सुन रहे थे. वर्ग कक्ष खचाखच भरा हुआ था.
कहतीं हैं प्रधानाध्यापिका : विद्यालय के प्रधानाध्यापिका लक्ष्मी साहा ने कहा कि विद्यालय में बच्चों की संख्या अधिक है. इन्हें नियंत्रित करने में परेशानी होती है. शिक्षक की कमी है. उच्च विद्यालय में एक भी शिक्षक नहीं हैं. मिडिल स्कूल के शिक्षक ही उच्च विद्यालय के बच्चे को पढ़ाते हैं.
कहते हैं ग्रामीण : डंडखोरा किसान मंच के अध्यक्ष व स्थानीय निवासी सुबोध यादव ने कहा कि ऐसा माहौल हर दिन रहता है. उच्च विद्यालय में एक भी शिक्षक नहीं हैं. शिक्षक व व्यवस्था के अभाव में बच्चे का भविष्य अंधकार में है.
आठ शिक्षक के भरोसे होती है पढ़ाई
इस विद्यालय में कुल 1408 छात्र-छात्राएं नामांकित हैं. इसमें एक से आठवीं कक्षा तक 1227 तथा नौवीं कक्षा के 181 छात्र-छात्राएं शामिल हैं. इसी साल से यहां नौवीं की पढ़ाई शुरू हुई है. आरएमएसए के तहत इस विद्यालय को उच्च विद्यालय में उत्क्रमित किया गया है. उच्च विद्यालय में अब तक एक भी शिक्षक पदस्थापित नहीं है. मध्य विद्यालय के शिक्षक नौवीं के छात्र-छात्राओं को पढ़ाते हैं. विद्यालय में आठवीं तक पढ़ाई के लिए मात्र आठ शिक्षक हैं. इसी आठ शिक्षक के भरोसे विद्यालय के 1408 बच्चों का भविष्य निर्भर है.
शिक्षक के अभाव में टाइम पास करते हैं बच्चे
विद्यालय में जब प्रवेश किये तो बच्चे घुड़दौड़ लगा रहे थे. पूछने पर पता चला कि शिक्षक की कमी है. इसलिए बच्चे खेल रहे हैं. एक समय में सात वर्ग का संचालन होता है. विद्यालय के प्रधानाध्यापक नामांकन तथा विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर अभिलेख तैयार करने में जुटी रहती है. जबकि औसतन एक शिक्षक अवकाश पर रहते हैं. ऐसे में जिस वर्ग का संचालन नहीं होता उसके बच्चे विद्यालय परिसर में रह कर टाइम पास (खेलकूद) करते हैं.

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