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फसल हो गयी बरबाद, किसानों में निराशा

मनसाही: खेती ऐसी की काटने के लिए दिहाड़ी की मजदूरी देनी पड़े और फसल नदारद यह हाल गेहूं की फसल का है. इसमें दाना नहीं आने से किसानों की आशाओं पर मानो ब्रजपात हो गया है. पहले आलू और अब गेहूं की फसल ने किसानों को निराशा ही हाथ लगी है. ऐसे तो इसका असर […]

मनसाही: खेती ऐसी की काटने के लिए दिहाड़ी की मजदूरी देनी पड़े और फसल नदारद यह हाल गेहूं की फसल का है. इसमें दाना नहीं आने से किसानों की आशाओं पर मानो ब्रजपात हो गया है. पहले आलू और अब गेहूं की फसल ने किसानों को निराशा ही हाथ लगी है. ऐसे तो इसका असर प्रखंड के छोटे बड़े सभी किसानों में उसका असर देखा जा रहा है.

अलबत्ता प्रभात खबर ने इसके लिए फुलहारा पंचायत के एक ऐसे गांव क ा चुनाव किया जो मूलत: आदिवासी बाहुल्य है और यहां सत्तर फीसदी से ज्यादा किसान गेहूं की खेती करते हैं. छोटे बड़े सभी किसान इस मुसीबत से जूझ रहे हैं. ताला मरांडी फुलहारा संथाल टोला के किसान की खेती मारी गयी. उन्होंने बताया कि गेहूं की खेती वह सालों से करते आ रहे हैं, लेकिन ऐसी नौबत कभी नहीं आयी.

उसी गांव के तोलाय उरांव बताते है कि उन्होंने पिछले साल की तरह इस साल भी गेहूं की खेती में काफी खर्च किया लेकिन दाने नही आने के कारण अपने खेत में मजदूर रखकर फसल कटवाना पड़ा. यह सवाल पुछने पर कि मजदूरी पर इतना खर्च क्यों कर रहे है तो उन्होंने बताया कि अब अनाज तो हुआ नही कम से कम मवेशी के खाने के लिए भूषा तो मिलेगा. उसी गांव के चुन्नू सौरेन ने बताया कि वे परिवार समेत गेहूं की फसल को काट रहे है ताकि अपने मवेशी के लिए चारा जुटा सके. एक और किसान मंजू सौरेन ने बताया कि खेती के कारण उसके सर पर बहुत कर्ज हो गया है जो उनके लिए बहुत बड़ी मुसीबत का कारण बन गया है और आगे की खेती भी चौपट दिखायी पड़ती है. किसान चंगल सौरेन बताते है कि वह इतने वर्षो से खेती कर रहे है लेकिन ऐसी दुर्गति कभी नहीं हुई है. खेती करने के कारण आज वह ऋण में पूरी तरह से डूब गये है. किसान पिंकु कुमार सिंह ने बताया कि गेहूं की खेती सपनों की बात बनक र रह गयी है.

फसल काटने की बारी आयी तो लगा जैसे सपना ही टूट ही गया गेहूं की फसल में बाली ही नही आयी थी. मो ताजुद्दीन ने बताया कि सरकार को किसानों पर विशेष ध्यान देना चाहिए प्राकृतिक आपदा आने पर उचित मुआवजे की व्यवस्था करनी चाहिए. उमेश ऋषि ने बताया कि वे गेहूं की फसल अच्छी आमदनी के लिए लगायी थी लेकिन ऐसी नौबत आयेगी यह नही सोचा था. गांव के वृद्ध किसान रफीउद्दीन ने भी सरकार एवं कृषि विभाग से गेहूं की मारी गयी फसल के लिए किसानों को राहत देने की मांग की. रहटा घाट के स्थानीय दुकानदार सुरज मल लोहरा ने बताया कि उसने भी गेहूं की खेती बड़ी उम्मीद के साथ की थी लेकिन लाभ की बात तो छोड़िये घर में खाने तक का अनाज नही हो पाया.

आसपास के क्षेत्र के अन्य किसान, बबलू सोरेन, मुबारक अली, मनोहर तिवारी, सत्यनारायण सिंह, सुबोध सिंह, सुजीत सिंह, संजय सिंह, दिनेश मंडल दयानंद तिवारी, मोतीनाथ तिवारी, बसंत प्रसाद सिंह, योगेंद्र उरांव, गोविंद चौधरी, उत्तम ऋषि, राजीव कुमार सिंह, अजीत कुमार सिंह सहित अन्य किसानों ने भी लगभग ऐसी ही शिकायत की. इस बाबत फुलहारा पंचायत के पैक्स अध्यक्ष रंजीत कुमार सिंह ने बताया कि उन्होंने किसानों की समस्या को लेकर आवेदन संबंधित विभाग को दिया है एवं एक शिष्टमंडल लेकर वे जिलाधिकारी से भी मिलेगें और किसानों की मुआवजे की मांग करेंगे.

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