कटिहार: केंद्र व राज्य सरकार जहां एक ओर युवाओं को तकनीकी शिक्षा पर जोर देते हुए विभिन्न पाठ्यक्रम आयोजित कर ट्रेंड करना चाहती है. वहीं तकनीकी शिक्षा का मंदिर (विद्यालय) में ही सुविधाओं का अभाव हो तो कैसे विद्यार्थी अपने सपने को साकार कर सकेंगे. ताजा उदाहरण के तौर पर आइटीआइ (इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टीच्यूट) में घोर सुविधाओं का अभाव है.
इस कॉलेज के क्लास रूम में गंदगी का अंबार है. ऐसी स्थिति में यहां छात्र पढ़ते हैं. कर्मशाला की बात करें तो कर्मशाला एक में मशीनें तो लगी हुई है, लेकिन जंग खा रहा है. वहीं लेथ मशीन पर भी प्रैक्टिकल नहीं कराया जाता है. जिससे यह मशीनें जंग खा रही है. कर्मशाला दो में भी कमोबेश यही स्थिति है. सिर्फ फाइल घिस कर ट्रेनिंग दिया जा रहा है.
छात्रावास की स्थिति भी बदतर
आइटीआइ छात्रावास की भी स्थिति कुछ अच्छी नहीं है. बिजली तो है लेकिन विद्यार्थियों को अपना बल्व, तार या विद्युत से उपयोग में लायी जाने वाली वस्तुओं का इस्तेमाल खुद से वहन करना पड़ता है. एक कमरा में 4 विद्यार्थी रहते हैं. पंखा नहीं है. बेड नहीं है. वहीं 44 शिक्षक की जगह 27 शिक्षक ही विद्यार्थियों को शिक्षा देते हैं. इस बात से सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस कॉलेज की शिक्षा व्यवस्था कैसी होगी.
अतिरिक्त प्रभार में प्रिंसिपल
आइटीआइ कॉलेज कटिहार में पदस्थापित प्रिंसिपल वासुदेव साहू स्थायी रूप से यहां पदस्थापित नहीं है, बल्कि सुपौल में पदस्थापित है. श्री साहू सुपौल के अलावा कटिहार और बारसोई आइटीआइ के प्रिंसिपल पद का अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे हैं.