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जाम से अस्त-व्यस्त हो गया शहर

कटिहार : सावन पूर्णिमा को लेकर मनिहारी गंगा घाट से जल भरकर गोरखनाथ धाम मंदिर सहित विभिन्न शिवालयों में जल अर्पण करने वाले कांवरियों की भीड़ से सोमवार को पूरा शहर अस्त–व्यस्त हो गया. चारों ओर लगे जाम की वजह से 15 मिनट का सफर लोग एक घंटे में पूरा कर रहे थे. जाम से […]

कटिहार : सावन पूर्णिमा को लेकर मनिहारी गंगा घाट से जल भरकर गोरखनाथ धाम मंदिर सहित विभिन्न शिवालयों में जल अर्पण करने वाले कांवरियों की भीड़ से सोमवार को पूरा शहर अस्तव्यस्त हो गया.

चारों ओर लगे जाम की वजह से 15 मिनट का सफर लोग एक घंटे में पूरा कर रहे थे. जाम से निबटने में पुलिस प्रशासन पूरी तरह से असफल रही. जिसके कारण लोग परेशान हुए.

दरअसल प्रत्येक वर्ष सावन पूर्णिमा के एक दिन पूर्व बड़ी संख्या में राज्य के विभिन्न जिलों सहित दूसरे राज्य पड़ोसी देश नेपाल से बड़ी संख्या में कांवरिया श्रद्धालु मनिहारी उत्तर वाहिनी गंगा घाट से जल भरकर गोरखनाथ धाम मंदिर सहित विभिन्न शिवालयों में जल चढ़ाते हैं. इसके लिए बड़ी संख्या में कांवरिया रेल मार्ग सड़क मार्ग से कटिहार पहुंचते हैं.

इसके बाद सवारी वाहन या रेल मार्ग से मनिहारी को जाते हैं. सोमवार की सुबह से ही एक साथ 50 हजार से अधिक लोग कटिहार शहर पहुंच गये. कांवरिया कोई यात्री वाहन, ऑटो तो कोई अपने निजी वाहन तो कोई दो पहिया वाहनों से मनिहारी जल्दी पहुंचने को आतुर दिखे. इस क्रम में एक दूसरे को पीछे छोड़ने के फिराक में सड़कों पर महाजाम की स्थिति उत्पन्न हो गयी. वही पुलिस की ओर से जाम नहीं लगे इसके लिए कोई व्यवस्था ही नहीं की गयी थी. ऐसे में लोग खुद से जाम हटाते देखे गये. जाम रेलवे स्टेशन जीआरपी चौक से लेकर शहीद चौक तक था.

यहां लोग वाहनों से दौड़ नहीं रहे थे बल्कि रेंग रहे थे. यह स्थिति सुबह 10 बजे से दिन के 12 बजे तक बनी रही. जब जाम की स्थिति अधिक हो गयी तो पुलिस को जाम तोड़वाने के लिए भेजा गया. यदि पूर्व में ही इसकी पुख्ता व्यवस्था की जाती तो शायद जाम लगती ही नहीं.

बस स्टैंड में अराजकता का माहौल

बस स्टैंड में कांवरियों के भीड़ के कारण अराजकता की स्थिति पूरे दिन बनी रही. कांवरिया बसों, ऑटो, चार पहिया वाहनों पर सवार होने के लिए मारामारी करते देखे गये. वाहन पर सीट मिले या नहीं उन्हें तो बस किसी भी तरह से मनिहारी पहुंचने की जल्दी थी.

वाहनों की छत पर सवार होकर गये कांवरिया

गंगा घाट से जल उठाने वाले कांवरियों की भीड़ के आगे वाहन कम पड़ गये थे. चार पहिया वाहनों के छत पर बैठकर कांवरियों को ढोया जा रहा था. वही मनमाना किराया भी वसूला जा रहा था. कांवरियों के वाहन के छत पर बैठाने का विरोध पुलिस प्रशासन की ओर से भी नहीं किया गया. ऐसे में यदि कोई दुर्घटना होती तो जिम्मेवार कौन होता.

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