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कहीं मांझी, कहीं नीतीश की प्रशंसा

कटिहार: राज्यपाल द्वारा 20 फरवरी को मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को विश्वास मत हासिल करने के लिए समय देने तथा दिल्ली में नीतीश कुमार के नेतृत्व में राष्ट्रपति से मिलने के बाद की स्थिति को भी यहां के राजनीतिज्ञ व अन्य तबका अपने-अपने हिसाब से विेषण करने में जुटे हैं. दूसरी तरफ सरकारी दफ्तर व […]

कटिहार: राज्यपाल द्वारा 20 फरवरी को मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को विश्वास मत हासिल करने के लिए समय देने तथा दिल्ली में नीतीश कुमार के नेतृत्व में राष्ट्रपति से मिलने के बाद की स्थिति को भी यहां के राजनीतिज्ञ व अन्य तबका अपने-अपने हिसाब से विेषण करने में जुटे हैं. दूसरी तरफ सरकारी दफ्तर व विभिन्न चौक-चौराहा पर भी बस बिहार की मौजूद राजनीति की ही चर्चा होती है.

कोई मांझी के कदम को सही ठहरा रहे हैं, तो काई नीतीश की तारीफ कर रहे हैं. सियासी जानकार भी बिहार के बनते-बिगड़ते सियासत पर अपनी नजर रखे हुए हैं. जबकि स्थानीय राजनीति का एक घड़ा राज्यपाल पर ही सवाल उठा रहे हैं. ऐसे तबकों के अनुसार आखिर मांझी को विश्वासमत हासिल करने के लिए इतना लंबा समय क्यों दिया. राज्यपाल के फैसले को ऐसे तबका सियासी पूर्वाग्रह भी मान रहे हैं. बहरहाल गुरुवार को प्रभात खबर ने सियासत में थोड़ी-बहुत समझ रखने वालों से बिहार की राजनीति पर बात की है.

यह तो होना ही था : विभाष

बरारी के भाजपा विधायक विभाष चंद्र चौधरी ने बिहार की मौजूदा स्थिति पर कहा कि नीतीश कुमार को राज्यपाल पर भरोसा करना चाहिए. लेकिन उसे तो कुर्सी पर बैठने की जल्दबाजी है. इसलिए वह राष्ट्रपति के पास पहुंच गये. लेकिन मांझी उन्हें हर मोर्चे पर शिकस्त दे रहा है. राज्यपाल ने मांझी को बजट सत्र में चर्चा से पूर्व विश्वासमत हासिल करने को कहा है. यह तो होना ही था.

राज्यपाल का फैसला चकित करने वाला : करूणोश्वर

पूर्व मंत्री व जदयू नेता करूणोश्वर सिंह ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि राज्यपाल ने मांझी को 20 मई को विश्वासमत हासिल करने को कहा है. इतना लंबा समय राज्यपाल के द्वारा दिया गया है. राज्यपाल का यह फैसला चकित करने वाला है. जबकि बिहार की राजनीतिक अनिश्चितता को दूर करने के लिये राज्यपाल को एक-दो दिन में विश्वास मत हासिल करने का आदेश देना चाहिए.

राजनीतिक अनिश्चितता की स्थिति दुर्भाग्यपूर्ण : सूरज

डंडखोरा के प्रखंड प्रमुख सूरज कुमार साह ने कहा कि कुर्सी के लिए बिहार की जो राजनीतिक स्थिति बनी है, वह दुर्भाग्यपूर्ण है. इससे देश भर में बिहार का गलत संदेश गया है. राज्यपाल को भी बिहार की राजनीतिक अनिश्चितता दूर करने के लिए पहल करना चाहिए.

भाजपा महिला मोर्चा के क्षेत्रीय प्रभारी शोभा जयसवाल उर्फ भारती देवी ने कहा कि नीतीश कुमार सत्ता लोलूप हैं. बिहार में ऐसी राजनीतिक स्थिति पैदा करने के लिए नीतीश ही एकमात्र जिम्मेदार हैं. जब मांझी को राज्यपाल ने 20 फरवरी से विश्वासमत हासिल करने का समय दिया है, तो नीतीश को थोड़ा धैर्य रखना चाहिए.

राजनीतिक अनिश्चितता दूर करें राज्यपाल : पंकज

राकांपा के जिला प्रवक्ता पंकज तमाखुवाला ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा राजनीतिक अनिश्चितता को बिहार से निकलने में राज्यपाल को देरी नहीं करना चाहिए. इससे बिहार की जनता में गलत संदेश जा रहा है. जब नीतीश कुमार बहुमत का दावा कर रहे हैं, तो मांझी को विश्वास मत हासिल करने के लिए शीघ्र समय दिया जाना चाहिए.

राज्यपाल की वजह से अनिश्चितता : सत्यनारायण

जदयू महादलित प्रकोष्ठ के नेता व जिला पार्षद सत्यनारायण ऋषि ने कहा कि नीतीश ने बिहार में महादलित का सम्मान बढ़ाया है. लेकिन मांझी ने भष्मासुर का किरदार निभाया है. बिहार की राजनीतिक अनिश्चितता राज्यपाल की वजह से बनी हुई है. राज्यपाल चाहे, तो एक दिन में बिहार की राजनीतिक अनिश्चितता दूर हो सकती है.

नीतीश को राज्यपाल पर भरोसा रखना चाहिए : कुणाल

लोजपा के प्रदेश महासचिव समरेंद्र कुणाल ने कहा कि नीतीश कुमार को कुरसी अधिक जल्दबाजी है. इसलिए वह राज्यपाल पर भरोसा नहीं करके सीधे राष्ट्रपति से मिलने पहुंच गये. नीतीश को राज्यपाल की गरिमा का ख्याल रखना चाहिए. जब मुख्यमंत्री को 20 फरवरी को विश्वासमत हासिल करने के लिए कहा गया है, तब नीतीश 20 तक इंतजार क्यों नहीं कर सकते हैं.

नीतीश को भुगतना होगा खामियाजा : छाया

भाजपा महिला मोरचा के जिला महामंत्री छाया तिवारी ने कहा कि नीतीश की सत्ता लोलूपता को बिहार की जनता समझ गयी है. जिस तरह नीतीश ने राज्यपाल पर भरोसा नहीं कर सीधे राष्ट्रपति से मिलने चले गये. इससे उसकी सत्ता लोलूपता उजागर हो गयी है. नीतीश को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा.

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