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कई पदाधिकारियों पर दायर हो सकते हैं अवमानना वाद
कटिहार : जिला शिक्षा पदाधिकारी सहित अन्य पदाधिकारियों की कारगुजारियों की वजह से उनके ही दिये आदेश उनके ही गले की फांस बन सकती है एवं उनके खिलाफ माननीय उच्च न्यायालय सहित कई जगह अवमानना वाद दायर किया जा सकता है. मामला हाइकोर्ट से लेकर जिला अपीलीय प्राधिकार में चल रहे दर्जनों लंबित मामले को […]
कटिहार : जिला शिक्षा पदाधिकारी सहित अन्य पदाधिकारियों की कारगुजारियों की वजह से उनके ही दिये आदेश उनके ही गले की फांस बन सकती है एवं उनके खिलाफ माननीय उच्च न्यायालय सहित कई जगह अवमानना वाद दायर किया जा सकता है.
मामला हाइकोर्ट से लेकर जिला अपीलीय प्राधिकार में चल रहे दर्जनों लंबित मामले को लेकर है. वर्ष 2006 तथा 2008 के प्रखंड व पंचायत शिक्षकों की विवादित रिक्तियों को आनन-फानन में जोड़ कर 22 दिसंबर से होने वाली नियोजन प्रक्रिया में उसे शामिल किये जाने को लेकर है. एक ओर जिला अपीलीय प्राधिकार में वर्ष 2006 व 2008 के अंतर्गत दर्जनों मामले पर अभी न्याय निर्णय पारित होना है.
यानी दूसरी ओर जिले के पंचायत व प्रखंड शिक्षकों के रिक्त पदों पर माननीय उच्च न्यायालय का आदेश आना लंबित है. जानकारी के अनुसार अब तक जिला शिक्षा कार्यालय द्वारा पूर्व के पांच सौ से अधिक विवादित पदों को अगले नियोजन प्रक्रिया में शामिल किये जाने का अनुमान है.
क्या था विभाग का निर्देश
शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव के पत्रंक 465 दिनांक नौ जुलाई 2012 को दिये स्पष्ट निर्देश में उल्लेख था कि वर्ष 2012 के लिए जिला द्वारा विवादित रिक्ति को छोड़ कर ही पूर्व के नियमानुसार नियोजन के लिए रिक्ति को जोड़ा जायेगा, लेकिन जिला द्वारा वर्तमान में ऐसे भी रिक्ति को जोड़ दिया गया है, जो वर्षो से अपीलीय प्राधिकार व माननीय उच्च न्यायालय में लंबित है.
क्या है रिक्तियों की गणना की प्रक्रिया
सूत्रों के अनुसार नियोजन प्रक्रिया अपनायी जाने के पूर्व विभाग द्वारा जिला से रिक्तियों की मांग की जाती है. जिला द्वारा विभिन्न प्रखंड व पंचायतों के नियोजन इकाइयों को रिक्ति खोज कर भेजने का आदेश दिया जाता है. रिक्ति खोजने के क्रम में सर्वप्रथम यह देखा जाता है कि कौन-कौन से पद निर्विवाद हैं. विभागीय पदाधिकारी सर्वप्रथम विवादित पदों को छोड़ कर रिक्ति की गणना करते हैं. तत्पश्चात जिला द्वारा अपीलीय प्राधिकार व जिला व प्रखंडों के पदाधिकारियों से लेकर पंचायत नियोजन इकाइयों से विवादित पदों के रिपोर्ट मांगी जाती है, लेकिन जानकारी के अनुसार जिला द्वारा इस प्रकार की प्रक्रिया नहीं अपनायी गयी. सभी विवादित पदों सहित रिक्तियों को अगले नियोजन प्रक्रिया के लिए भेज दिया गया.
किन-किन प्रखंडों के मामले हैं लंबित
अपीलीय प्राधिकार व उच्च न्यायालय के समक्ष ज्यादातर मामले नियोजन वर्ष 2008 के अंतर्गत लंबित हैं. यह मामले पंचायतों से लेकर प्रखंड शिक्षकों के संदर्भ में है. जिले के अमदाबाद, मनिहारी, प्राणपुर, कदवा, आजमनगर, डंडखोरा, समेली, बरारी सहित दर्जनों पंचायत के मामले वर्तमान में लंबित हैं.
तालमेल का अभाव
जिला शिक्षा कार्यालय विवाद का अंत होने देना नहीं चाहते. शिक्षा विभाग ने नियोजन से जुड़े अनियमितताओं के लिए जिला अपीलीय प्राधिकार का गठन तो किया, लेकिन अब तक प्राधिकार में निष्पादित हुए सैकड़ों मामले में एकाध मामले को छोड़ जिला कार्यालय न तो समय पर प्रतिवेदन भेजे और न ही किसी प्रतिनिधि के रूप में प्राधिकार में उपस्थित हुए.
प्राधिकार के कई बार स्मार पत्रों के भेजे जाने के बाद बीइओ या बीडीओ अपनी उपस्थिति सिर्फ आर्थिक दंड ना लग जाये, इस कारण अपनी उपस्थिति देते हैं.
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