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यहां सड़क पर मिलेंगे हजारों तालाब, कहीं आना-जाना मुश्किल

कटिहार-गेड़ाबाड़ी सड़क पर सफर करना किसी सजा से कम नहीं वाहन दौड़ते नहीं बल्कि रेंगते हैं, जिला प्रशासन व जनप्रतिनिधियों का नहीं है कोई ध्यान कटिहार : एनएच-81 कटिहार-गेड़ाबाड़ी 20 किलोमीटर की सड़क पर चलना मुश्किल भरा साबित हो रहा है. चार चक्का, दो पहिया वाहन से इतनी दूरी तय करने में बीस मिनट लगती […]

कटिहार-गेड़ाबाड़ी सड़क पर सफर करना किसी सजा से कम नहीं

वाहन दौड़ते नहीं बल्कि रेंगते हैं, जिला प्रशासन व जनप्रतिनिधियों
का नहीं है कोई ध्यान
कटिहार : एनएच-81 कटिहार-गेड़ाबाड़ी 20 किलोमीटर की सड़क पर चलना मुश्किल भरा साबित हो रहा है. चार चक्का, दो पहिया वाहन से इतनी दूरी तय करने में बीस मिनट लगती है. लेकिन इस सड़क पर घंटे भर में सफर करना मुश्किल है. हजारों छोटे-बड़े गढ्ढे, जलजमाव व कीचड़ से लोगों की परेशानी इस कदर बढ़ गयी है कि इस सड़क से होकर गुजरने से लोग कतराने लगे हैं. बारिश होने की वजह से इस सड़क से यात्रा करना खतरनाक साबित हो रहा है. हालांकि सड़क बनाने का का कार्य नये सिरे से हो रहा है. लेकिन कार्य इतनी धीमी गति से हो रहा है कि सड़क बनने में वर्षों लग जायेंगे. सड़क को चलने लायक बनाने की दिशा में भी कोई काम नहीं हो रहा है. जिसके कारण एनएच 81 के किनारे बसे दर्जनों गांवों के हजारों लोगों का आवागमन एक मात्र साधन यह सड़क ही है. इसके साथ ही कोढ़ा,
फलका, समेली, कुरसेला, नवगछिया, भागलपुर सहित राज्य की राजधानी जाने व आने का एक मात्र सड़क है. प्रतिदिन हजारों छोटे-बड़े वाहनों का परिचालन इस होकर होता है. जरा अंदाजा लगाएं कि उनकी यात्रा किस प्रकार हो रही होगी. हालत यह है कि जो एक बार इस होकर गुजर जाते हैं वे दुबारा इस होकर जाने से कतराते हैं. ऐसे में स्थानीय निवासियों को प्रतिदिन इसी सड़क से होकर आवागमन करना पड़ रहा है. उन पर क्या बीत रही होगी सोचने वाली बात है. जबकि जिला प्रशासन व जनप्रतिनिधियों को इतनी बड़ी समस्या पर कोई ध्यान नहीं हैं. प्रभात खबर ने एनएच 81 सड़क की हालत का जायजा लिया है. जिसमें पाया गया कि कटिहार से गेड़ाबाड़ी की 20 किलोमीटर में सड़क नाम की कोई चीज नहीं है.
सड़क पर वाहन दौड़ते नहीं हैं बल्कि रेंगते हैं. सड़क पर गढ्ढे इतने अधिक हैं कि वाहन चालक एक गढ्ढे से अपने वाहन को बचाता है दूसरे गढ्ढे में जाने को तैयार रखते हैं. बस वाहन चलाने के दौरान ध्यान यह रखा जाता है कि वाहन बड़े गढ्ढे में नहीं जायें. कटिहार से निकलने के साथ ही हाजीपुर शुरू होता है. हाजीपुर मोहल्ले से होकर गुजरी करीब दो किलोमीटर की सड़क पर इतने बड़े-बड़े गढ्ढे बन आये हैं उसमें जमा बारिश का पानी दुर्घटना को आमंत्रण दे रहा है. ऐसे में समझा जा सकता है कि वाहन चालकों को कितनी परेशानी उठानी पड़ रही होगी.
कटिहार से गेड़ाबाड़ी 20 मिनट का सफर डेढ़ घंटे में
आप दो पहिया, चार पहिया या बस से एक बार इस सड़क से होकर गुजर जायेंगे तो शरीर एक-एक पाट में दर्द उठ जायेगा. 20 किलोमीटर चलने में ही आपको 200 किलोमीटर वाहन से चलने में होने वाली थकावट का अनुभव होगा. वाहन की दूरगति जो होगी सो अलग. यदि किसी अच्छी सड़क पर चला जाये तो 20 किलोमीटर की दूरी बीस मिनट में आराम से पूरी की जा सकती है. लेकिन कटिहार-गेड़ाबाड़ी 20 किलोमीटर की दूरी तय करने में वाहन से डेढ़ घंटे का समय जाया हो रहा है. इससे समय की बरबादी होती है, जर्जर सड़क से वाहन के पाट खराब हो रहे हैं. वाहन में इंधन तीन गुणा खपत हो रही है. इस सड़क से होकर मरीज या गर्भवती महिला को ले जाना खतरे से खाली नहीं है. पर दूसरा कोई विकल्प भी नहीं है. बहुत सारे वाहन चालक तो जर्जर सड़क के कारण भागलपुर जाने के लिए पूर्णिया होकर काफी दूरी तय कर आना जाना करना पसंद करते हैं.
छात्रों के बीच क्या गया होगा संदेश
हाजीपुर से कोलासी तक की सड़क की स्थिति भी काफी खराब हालत में है. बड़े व छोटे गढ्ढे की गिनती करना मुश्किल है. कोलासी में जवाहर नवोदय विद्यालय है. अभी जवाहर नवोदय विद्यालय में तीन राज्यों के 81 जवाहर नवोदय के हजारों छात्र-छात्राएं तीन दिवसीय क्रिकेट टूनामेंट में शामिल होने के लिए पहुंचे हैं. सभी विद्यालय तक रेल मार्ग से आने के बाद वाहन से ही करीब 8 किलोमीटर की सफर तय की है. इतनी खराब सड़क से होकर गुजरने के बाद विद्यालय पहुंचने पर उन्हें किन परेशानियों के दौर से गुजरना पड़ा होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है.
एनएच पर जमे पानी में तैरते हैं बत्तख
जायजा लेने के क्रम में जब हमारी टीम कोलासी से आगे दिगड़ी तक सड़क का नामों निशान नहीं है. बहुत सारे बड़े-छोटे गढ्ढों को पार कर जब समरियां पहुंचे तो वहां सड़क पर जमा पानी में बत्तख तैर रहे थे. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि एनएच की स्थिति कितनी बदहाल हो गयी है. सिमरियां चौक पर सौ से अधिक बड़े-बड़े गड्ढों में वाहन के चक्के घुसते ही छपाक, कीचड़ युक्त पानी दूर तक घरों के दीवार, दुकानों को खराब कर रही थी. स्थानीय लोगों ने बताया कि सड़क के निकट खड़ा रहना भी मुश्किल है. सबसे अधिक परेशानी स्कूली बच्चों को स्कूल जाने व घर में आने में हो रही है. सरकार व प्रशासन का सड़क को दुरुस्त करने में कोई रुचि नहीं है. बारिश शुरू होने से परेशानी अधिक बढ़ गयी है. यहां से आगे बेलवा, खेरिया, भटवारा, सेमापुर मोड के बाद गेड़ाउ़ी तक की सड़क इतनी खराब हो चुकी है. उस पर पैदल चलने लायक सड़क नहीं रह गयी है. खेरिया के दुकानदार सुबोध कुमार कहते हैं कि सड़क के कारण व्यवसाय पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है. हालत यह है कि कटिहार जिला मुख्यालय जाने में सौ बार सोचना पड़ता है. किराना दुकानदार मो सलीम कहते हैं कि नेताओं को सड़क को दुरुस्त करने की दिशा में पहल करनी चाहिए.

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