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जो संवेदक बने, उन्हें ही नहीं मिलता है महीनों तक वेतन

कई योजनाएं खटाई में भुगतान में भी होता है विलंब कटिहार : पिछले दशक से चलायी जा रही मनरेगा योजना पिछले कुछ एक सालों से अपनी व्यवस्थागत खामियों के चलते बदतर स्थिति में पहुंच गयी है. हालात यह है कि इस योजना के तहत काम करने वाले मजदूरों को सही-सही भुगतान नहीं हो पा रहा […]

कई योजनाएं खटाई में भुगतान में भी होता है विलंब

कटिहार : पिछले दशक से चलायी जा रही मनरेगा योजना पिछले कुछ एक सालों से अपनी व्यवस्थागत खामियों के चलते बदतर स्थिति में पहुंच गयी है. हालात यह है कि इस योजना के तहत काम करने वाले मजदूरों को सही-सही भुगतान नहीं हो पा रहा है. मजदूर पिछले 6 महीने, साल भर या फिर 2 साल पहले काम कर के भुगतान के लिए कार्यालय का चक्कर काटते रहते हैं. जिले के सभी प्रखंडों में कमोवेश यही स्थिति है. काम के अधिकार को क्रियान्वित करने को लेकर चलाई जा रही योजना का यह हाल है कि कहीं योजनाएं अपने उद्धार की बाट जोह रही हैं तो कहीं मजदूरों को मजदूरी के लाले पड़े हुए हैं. सामग्री से लेकर अन्य भुगतान के लिए भी नाको चने चबाने की स्थिति बन जाती है.
वेतन के पड़े हैं लाले, बना दिया संवेदक:
मनरेगा योजना के दिशा निर्देशों के अनुरूप कार्य करना कितना कठिन है, इसका अंदाजा महज इस बात से लगाया जा सकता है कि योजनाओं के लिए जिस पंचायत रोजगार सेवक को संवेदक बनाया जाता है, उसे महीनों वेतन नहीं मिलता है. रोजमर्रा के खर्चों से लेकर घर परिवार चलाने तक को मोहताज यह मनरेगा कर्मी आखिर संवेदक के रूप में योजनाओं में निवेश कहां से करेंगे. कार्य की प्रगति के हिसाब से भुगतान करने की बाध्यता के साथ-साथ भुगतान के लिए महीनों नहीं सालों इंतजार करना पड़ता है. ऐसे में योजनाओं में निवेश के लिए कोई थर्ड पार्टी तैयार ही नहीं होती. ऐसे हालात में दो पैसे कमाने के लिए कोई भी अपना पैसा लगाकर अपने जूते घिसना नहीं चाहता है. एक तो बेहद कम मजदूरी, दूसरे भुगतान की लचर स्थिति. यह दोनों ही कारण हैं जिसने मजदूरों को इस योजना से लगभग विमुख कर दिया है. सामान्य तौर पर अभी बाजार मजदूरी दर 300 से 400 के बीच है, जबकि मनरेगा में यह दर 177 रुपये है.
दो साल पहले बने काउ शेड का अब हो रहा भुगतान :सामाजिक कार्यकर्ता एवं प्रखंड प्रमुख प्रतिनिधि अब्दुल मन्नान के अनुसार मनरेगा में भुगतान की स्थिति बेहद खराब है. सिरनिया समेत अन्य जगहों पर दो साल पहले बनाये गये काऊ शेड का भुगतान अब हो रहा है. इसी तरह कैरिज मिट्टी से लेकर ईंट के भुगतान में भी स्थिति बेहद वक्त खाऊ और सुस्ती भरा है.
बाढ़ से हुआ पौधारोपण योजना को नुकसान : पिछले दिनों प्रखंड क्षेत्र के गरभेली भंवरा दलन पश्चिम एवं सिरनिया पूरब आदि पंचायतों में बढ़ाने से पौधारोपण को काफी नुकसान हुआ है. विभाग के अनुसार नये वित्तीय वर्ष में इन स्थानों पर पुनः पौधारोपण की योजना ली जायेगी. मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना के अंतर्गत गली नाली पक्कीकरण जैसी योजनाओं क्या आधार कार्य मिट्टी भराई से लेकर ईंट सोलिंग तक मनरेगा योजना से जुड़ा हुआ है. मनरेगा योजनाओं के तहत इन आधार भूत कार्य का निष्पादन होना है. लेकिन विभागीय शिथिलता या राशि के अभाव में ज्यादातर कार्य जमीन पर नहीं उतर रहे हैं. अगर विभागीय सूचना की मानें तो प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत शौचालय निर्माण के लिए मनरेगा मद से सदर प्रखंड में भुगतान नहीं हुआ है.
कहती हैं प्रखंड प्रमुख
सदर प्रखंड प्रमुख सबीना खातून मनरेगा योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर विभागीय सुस्ती पर एतराज जताते हुए पीआरएस के पंचायत में समय नहीं देने पीटीए के एस्टीमेट नहीं देने और योजना मापी का कार्य ठीक तरह से नहीं करने को भी अहम वजह मानती हैं. उन्होंने योजना में भुगतान की प्रक्रिया को सरल बनाने की वकालत करते हुए मनरेगा को पर्याप्त राशि उपलब्ध कराने की मांग की है.

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