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आजादी के सात दशक बाद बही विकास की बयार

मोहनिया सदर : प्रखंड मुख्यालय से लगभग 10 किमी की दूरी पर स्थित पानापुर पंचायत का भागीरथपुर गांव में आजादी के सात दशक बाद मुखिया के अथक प्रयास से विकास की गंगा बह गयी है. आज इस गांव की गलियां व नालियां पक्की हैं. सबके घरों में बिजली है और मीटर भी लगाये गये हैं. […]

मोहनिया सदर : प्रखंड मुख्यालय से लगभग 10 किमी की दूरी पर स्थित पानापुर पंचायत का भागीरथपुर गांव में आजादी के सात दशक बाद मुखिया के अथक प्रयास से विकास की गंगा बह गयी है. आज इस गांव की गलियां व नालियां पक्की हैं. सबके घरों में बिजली है और मीटर भी लगाये गये हैं. हर घर में शुद्ध पानी पहुंच सके, इसके लिए मिनी जल मीनार का निर्माण भी शुरू हो चुका है. गांव की सड़कें साफ-सुथरी रहें और लोग खुले में शौच न करें, इसके लिए जिन घरों में शौचालय नहीं हैं, उन घरों में शौचालयों का निर्माण कराया जा रहा है. यहां 12 लाख की लागत से गली व नाली का निर्माण कराया गया है.यह गांव वर्ष 2016 के अक्टूबर तक प्रखंड का सबसे पिछड़ा गांव था.

जवानों की जननी के नाम से मशहूर है यह गांव : कैमूर का यह इकलौता गांव है जिसे कुछ लोग जवानों की जननी के नाम से पुकारते हैं. यहां की धरती ने सबसे अधिक वीर सपूतों को जन्म दिया है. इस गांव के आज भी सात जवान भारतीय थल सेना में कार्यरत हैं, जबकि 12 जवान कई बड़े युद्ध लड़ कर रिटायर हो चुके हैं और फिलहाल अपने पैतृक गांव में रह रहे हैं. इस गांव ने इतने जवान दिये, फिर भी यह गांव 69 वर्षों तक मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर रहा. इस पर न तो किसी प्रशासनिक पदाधिकारी की नजर पड़ी और न ही किसी जनप्रतिनिधि की. आज से चार माह पहले तक इस गांव की स्थिति यह थी कि मिट्टी की सड़क पर हल्की बारिश होने के बाद लोग हाथों में जूता, चप्पल लेकर गिरते संभलते अपने घरों तक पहुंचते थे.

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