जॉनी जॉनी यस पापा व मैडम छुट्टी दो जैसी कविताओं पर कायल हुए लोग
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नक्सलग्रस्त क्षेत्रों में बदल रही है आबोहवा, बच्चों के हाथ में कलम-कॉपी
जॉनी जॉनी यस पापा व मैडम छुट्टी दो जैसी कविताओं पर कायल हुए लोग अधौरा : कैमूर पहाड़ी पर बसे नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले बच्चे अब समाज की मुख्यधारा में शामिल होना चाहते हैं. वे पढ़ना चाहते हैं, आगे बढ़ना चाहते हैं. शनिवार को एसपी समेत अन्य पुलिस अफसर जब इस गांव में […]
अधौरा : कैमूर पहाड़ी पर बसे नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले बच्चे अब समाज की मुख्यधारा में शामिल होना चाहते हैं. वे पढ़ना चाहते हैं, आगे बढ़ना चाहते हैं. शनिवार को एसपी समेत अन्य पुलिस अफसर जब इस गांव में पहुंचे तो यहां के बच्चों ने उन्हें यही संकेत दिया. कैमूर पहाड़ी पर बसे इस गांव के नौनिहाल हथियार नहीं कलम और किताब चाहते हैं. ये बच्चे स्कूली ड्रेस में सज-धज कर विद्यालय पहुंचते हैं और ध्यान लगाकर पढ़ते हैं. इन बच्चों को और उत्साहित करने के लिए कैमूर पुलिस शनिवार को वहां पहुंची. एसपी हरप्रीत कौर की पहल पर स्कूली बच्चों में स्कूल बैग, लंच बॉक्स, कलम व किताबें बांटी गयी. अधौरा से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित लोहरा, डुमरावा एवं ताला के 625 बच्चों से एसपी ने सीधी बात की.
कैमूर पहाड़ी पर अधौरा से 15 किलोमीटर दूर जंगल से घिरा लोहरा गांव 2005 से 2010 के बीच नक्सलियों के आतंक से आतंकित था. नक्सलियों ने लोहरा से सटे लोंदा गांव के लगभग 10 किसानों को अगवा कर उनके बंदूक लूट लिये थे. तो एक एसपीओ की हत्या कर शव को वहां फेंक दिया था. नक्सलियों के आतंक से लोहरा गांव इस कदर आतंकित हुआ था कि उनके खिलाफ लोहरा और लोंदा गांव के लोगों ने कैमूर शांति सेना का गठन कर लोहा लेने के लिए कमर कसी थी. उस वक्त लोहरा के बच्चे – बूढ़े सभी ने अपनी सुरक्षा के लिए हथियार उठा लिये थे. हालत यह हो गयी थी कि नक्सलवाद पर लगाम लगाने के लिए वहां पुलिस पिकेट भी खोला गया था.
पांच साल बाद उसी लोहरा में कैमूर एसपी हरप्रीत कौर स्कूली छात्र-छात्राओं के बीच जब पठन-पाठन की सामान बांटने पहुंचीं तो वहां का नजारा बिल्कुल बदला-बदला सा था. जिन बच्चों के अभिभावकों के हाथों में हथियार हुआ करते थे उन्हीं बच्चों के हाथों में कलम और किताब थे. स्कूली बच्चों ने ‘’ जॉनी जॉनी यस पापा, मैडम जी छुट्टी दे दो’’ आदि कविताएं सुनाईं. एक छात्रा कविता ने ‘’प्रभु जी मुझे मेधावी बनाना’’ कविता सुनाकर सबको भावुक कर दिया. छात्र-छात्राएं पहली बार महिला एसपी को अपने बीच पा कर हतप्रभ और खुश थे तो दूसरी तरफ एसपी के लिए भी अधौरा के छात्रों में पढ़ाई की ललक चौंकाने वाली थी.
जिस गांव के बच्चे नक्सलवाद के कारण होश संभालते हीं अपनी रक्षा के लिए हथियार उठा लेते थे उन्हीं के बच्चों के हाथ में कलम और किताब एसपी को तसल्ली हुई. एसपी ने स्कूल बैग, लंच बॉक्स, कलम, कॉपी व टॉफी वितरित किये गये. जब एक छात्रा से एसपी ने पूछा कि एसपी कौन होता है और उसका क्या काम है तो आठवीं क्लास की ममता ने बड़े भोलेपन के साथ जवाब दिया कि एसपी जिले का मालिक होता है. एसपी सहित सभी इस जवाब से मुस्कुराये और उन्होंने कहा कि एसपी मालिक नहीं बल्कि आपका सेवादार है. साथ ही उन्होंने कहा कि मैं भी आप ही लोगों की तरह जमीन पर बैठ कर अपने गांव में पढ़ाई करके यहां तक पहुंची हूं.
मैं भी कभी निजी विद्यालय में नहीं पढ़ी. मैनें अपनी पूरी पढ़ाई सरकारी स्कूल व कॉलेजों में ही की है. आप अगर मन लगा कर पढ़ेंगे तो एसपी क्या बड़े से बड़ा आदमी बन सकते हैं. उसके बाद मध्य विद्यालय ताला पहुंच कर वहां के छात्र-छात्राओं के बीच भी पठन-पाठन सामग्री का वितरण किया गया. इस दौरान एसपी ने बताया कि हम नवंबर और दिसंबर माह में अधौरा के हर पंचायत की लड़कियों को सिलाई, कढ़ाई की ट्रेनिंग देंगे. ट्रेनर और कपड़ा का सारा खर्च कैमूर पुलिस उठायेगी. वहीं युवाओं के लिए कैमूर पुलिस की तरफ से 21 दिनों की फिजिकल ट्रेनिंग दी जायेगी.
कैमूर एसपी ने 625 छात्र-छात्राओं के बीच बांटे स्कूल बैग व टिफिन
लोहरा गांव में स्कूली बैग बांटती एसपी .
कविता सुनाती एक छात्रा .
छात्राओं की प्रतिभा देख हैरान एसपी एक छात्रा की तसवीर खींचती.
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