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सरकारी स्कूलों की सुरक्षा व्यवस्था भगवान भरोसे

भभुआ(नगर) : जिले के सरकारी स्कूलों की सुरक्षा व्यवस्था भगवान भरोसे ही चल रही है. ऐसा हम नहीं कह रहे, बल्कि जमीनी हकीकत यही बयां कर रही है. प्राथमिक से लेकर हाइस्कूलों की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कोई पहल अब तक दिखाई नहीं पड़ रही, जबकि विगत वर्षों में सरकार के आदेशानुसार जिन स्कूलों में […]

भभुआ(नगर) : जिले के सरकारी स्कूलों की सुरक्षा व्यवस्था भगवान भरोसे ही चल रही है. ऐसा हम नहीं कह रहे, बल्कि जमीनी हकीकत यही बयां कर रही है. प्राथमिक से लेकर हाइस्कूलों की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कोई पहल अब तक दिखाई नहीं पड़ रही, जबकि विगत वर्षों में सरकार के आदेशानुसार जिन स्कूलों में कंप्यूटर सिस्टम लगे हैं और इसकी पढ़ाई हो रही है, वहां नाइट गार्ड बहाल किये जाने को लेकर इसकी जिम्मेवारी विद्यालय शिक्षा समिति को दी गयी है. स्कूल से जुड़े दस्तावेज, कंप्यूटर रूम और लेबोरेटरी की सुरक्षा काफी जरूरी है, लेकिन नाइट गार्ड न होने से इन स्कूलों की सुरक्षा व्यवस्था पर प्रश्न चिह्न खड़ा हो रहा है.
हो चुकी हैं कई चोरियां : स्कूलों में नाइट गार्ड की व्यवस्था न होने से स्कूलों में चोरी की घटनाएं अक्सर होती रहती हैं. शहर के टाउन हाइस्कूल सहित जिले के कई अन्य स्कूलों में कंप्यूटर चोरी की घटनाएं हो चुकी हैं. इसके बाद तो कई स्कूलों में कंप्यूटर क्लासेज ही बंद हो चुके हैं. इतना ही नहीं प्राइवेट एजेंसियों द्वारा कंप्यूटर सिस्टम स्कूलों को हैंडओवर कर दिये जाने के बाद स्थिति और खराब हो गयी. जानकारी के अनुसार फिलहाल जिले के करीब 20 स्कूलों में नियमित रूप से कंप्यूटर क्लासेज चल रहे हैं, लेकिन इनमें भी कई स्कूलों में कंप्यूटर रूम और स्कूल की सुरक्षा को लेकर विद्यालय प्रशासन गंभीर नजर नहीं आता.
आदेशपाल निभा रहे जिम्मेवारी
जिन स्कूलों में नाइट गार्ड की बहाली नहीं हुई है, वहां इसकी जिम्मेवारी स्कूल में कार्यरत आदेशपाल निभा रहे हैं. सरकार के निर्देशानुसार जिन स्कूलों में नाइट गार्ड की जरूरत है, वहां 1500 रुपये महीने पर नाइट गार्ड रखने का अधिकार विद्यालय शिक्षा समिति को दिया गया है. फिलहाल जिले के अधिकतर प्लस टू व मिडिल स्कूलों में रखे गये दस्तावेज व उपकरणों की सुरक्षा व्यवस्था भगवान भरोसे ही चल रही है.
स्कूलों के आदेशपाल कार्यालयों में बजा रहे ड्यूटी
कर्मचारियों की कमी हर विभाग में है, जिसकी भरपाई करने के लिए एक विभाग के कर्मी को दूसरे विभाग में पोस्टिंग कर काम चलाया जा रहा है. जानकारी के अनुसार शिक्षा विभाग के ही कई आदेशपाल विभिन्न कार्यालयों व पदाधिकारियों की ड्यूटी बजा रहे हैं. अब ऐसे में कर्मियों की कमी से हर कार्यालय बेजार हैं. वहीं स्कूलों की सुरक्षा व्यवस्था को ले किसी भी स्तर से कोई कारगर पहल होती नहीं दिख रही.

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