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धान खरीद पर बोनस आखिर किसको?

धान खरीद पर बोनस आखिर किसको? बिचौलिये काट लेते हैं सारी मलाई प्रतिनिधि, भभुआ(नगर) धान खरीद पर मुख्यमंत्री द्वारा बोनस की घोषणा तो कर दी गयी है. लेकिन धान अधिप्राप्ति में मुख्य सचिव द्वारा जारी गाइडलाइन में इसका कोई जिक्र नहीं है. धान खरीद में बोनस के सवाल पर विधान सभा में भी इन दिनों […]

धान खरीद पर बोनस आखिर किसको? बिचौलिये काट लेते हैं सारी मलाई प्रतिनिधि, भभुआ(नगर) धान खरीद पर मुख्यमंत्री द्वारा बोनस की घोषणा तो कर दी गयी है. लेकिन धान अधिप्राप्ति में मुख्य सचिव द्वारा जारी गाइडलाइन में इसका कोई जिक्र नहीं है. धान खरीद में बोनस के सवाल पर विधान सभा में भी इन दिनों खूब हंगामा हो रहा है. कारण यह है कि धान खरीद के पहले सरकार ने किसानों को प्रति क्विंटल तीन सौ रुपये बोनस देने की बात कही थी और जब धान खरीद शुरू हुई, तो बोनस के रुपयों का कोई जिक्र नहीं है. सरकार भले ही धान खरीद पर पिछले साल से बोनस देती आ रही है. लेकिन, बोनस का पैसा बिचौलियों की जेब में चला जाता है. सरकार धान खरीद का लक्ष्य तो पूरा कर लेती है, लेकिन खरीद लक्ष्य में किसानों का धान मात्र 20 से 25 प्रतिशत ही रहता है. 75 से 80 फीसदी धान बिचौलियों से पूरा होता है. गौरतलब है कि जब सरकार धान खरीद पर बोनस नहीं देती थी तो पैक्स समितियां अपना लक्ष्य पूरा नहीं करती थीं. लेकिन, जब से सरकारी खरीद पर बोनस देना सरकार ने शुरू किया, तो सारी पैक्स समितियां अपना खरीद लक्ष्य पूरा कर देती हैं. बोनस सहित धान खरीद प्रति क्विंटल 1710 रुपया है और बाजारों में उस धान का चावल मूल्य 1450 रुपया है. यही कारण है कि मिलर किसानों से धान नहीं खरीदते. सूत्रों के अनुसार सरकार के बोनस का फायदा बिचौलिये ले लेते हैं. यदि सरकार इस पर लगाम कसे तो इससे किसानों को ही लाभ होगा. किसी तरह जागरूक किसान अपना धान तो बेच देते हैं. लेकिन, बहुत सारे किसान अपना धान बिचौलियों को देने को मजबूर हैं. पैक्स समितियां बिचौलियों से मिल कर अपना लक्ष्य पूरा कर लेती हैं. गौरतलब है कि संसद में कैग ने बिहार में सरकारी धान खरीद में 40 हजार करोड़ रुपये घोटाले की रिपोर्ट सौंपी है. यह घोटाला वर्ष 2009 से 2014 के बीच हुआ है. हजारों टन धान की ढ़ुलाई मोटर साइकिल, टैक्सी,ऑटो रिक्शा व कार पर हुई है. ऐसे में किसानों की मेहनत से ऊगाई गई फसल पर दूसरे लोग मौज कर रहे हैं. और हर वर्ष की तरह किसानों को धान बेचने के लिये नाको चने चबाने पड़ते हैं. जरूरत के आगे बेबस किसान किसानों की आर्थिक समस्या भी अपनी मेहनत से उपजायी गयी फसल को औने-पौने दामों में बेचने को मजबूर कर रही हैं. जरूरत के आगे बेबस किसानों का दर्द कम होता नहीं दिख रहा. बिचौलियों के हाथों कम कीमत में धान बेच रहे किसान क्रय केंद्र पर बचे धान को बेचने की जद्दोजहद में जुटे हुए हैं, पर वहां भी उनकी जेब ढीली होने के आसार हैं. पैक्स अध्यक्ष किसानों को प्रति क्विंटल एक सौ से 125 रुपया खर्चा देने की सलाह दे रहे हैं.- पैक्स अध्यक्षों का भी नजरिया साफ किसानों ने बताया कि धान बेचने की खातिर पैक्स अध्यक्षों से मिले तो इन्होंने बताया कि जब खरीद शुरू होगी तो प्रति क्विंटल सौ रुपया खर्च का इंतजाम कीजियेगा. इस संबंध में पैक्स अध्यक्षों का भी नजरिया साफ है. क्योंकि चालीस किलो बोरी की पोलदारी आठ रुपये हैं. एक क्विंटल का 20 रुपये हुआ. धान लेने के दौरान खलिहान में भी कांटा करना होगा. इसके बाद गोदाम से मीलिंग के लिए धान को मिल तक पहुंचाना होगा. यही नहीं मीलिंग के बाद सीएमआर को एसएफसी के गोदाम तक जमा करना होगा.फोटो:-6.ट्रैक्टर पर लदे धान के बोरे

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