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शांति, सत्य व शुद्धता की प्रतीक हैं छठ मईया

शांति, सत्य व शुद्धता की प्रतीक हैं छठ मईयासभी त्योहार हुए हाइटेक, पर छठ की बात ही कुछ औरफोटोप्रतिनिधि, भभुआ (नगर) तन-मन की शुद्धता, विचार वाणी की मधुरता, दोस्ती दुश्मनी के बीच शालीनता, समाज प्रेम, शांति, सत्य व शुद्धता का पर्व छठ आज है.पारंपरिक विधियां, सामूहिक गीत व प्रसाद में फलों की किस्में इसे और […]

शांति, सत्य व शुद्धता की प्रतीक हैं छठ मईयासभी त्योहार हुए हाइटेक, पर छठ की बात ही कुछ औरफोटोप्रतिनिधि, भभुआ (नगर) तन-मन की शुद्धता, विचार वाणी की मधुरता, दोस्ती दुश्मनी के बीच शालीनता, समाज प्रेम, शांति, सत्य व शुद्धता का पर्व छठ आज है.पारंपरिक विधियां, सामूहिक गीत व प्रसाद में फलों की किस्में इसे और अनोखा बनाती हैं. वर्षों से पूर्वज इस रिवाज को निभाते आ रहे हैं. आज कई पर्व आधुनिकता की भेंट चढ़ गये हैं, लेकिन छठ आज भी उसी शुद्धता, शालीनता व आस्था के बीच सदियों से चला आ रहा है. इस पर्व में बदलाव की कोई गुंजाइश नहीं. छोटे-छोटे सामान की भी होती है अहमियत छठ पर्व के दौरान महिलाओं द्वारा गाये जाने वाला पारंपरिक गीत आज भी अपने मूलस्वरूप में हैं. वहीं सस्ते व महंगे फलों की अहमियत भी है. गेहूं व चावल की प्रमुखता, दूध, दही गुड़ व कद्दू का महत्व. मिट्टी व मिट्टी के वर्तनों का महत्व. बांस के बने कल, सूप व दउरा की अनिवार्यता. धूप-अगरबत्ती के साथ आम की सूखी लकड़ियों का महत्व. रूई, रोरी, सिंदूर, आलता, पान पत्ता व धग्गी जैसे अनगिनत सामग्रियों की परम आवश्यकता होती है. अनंत वस्तुओं व सभी जाति वर्ग के लोगों का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष जुड़ाव. छठ महापर्व की गहराई में जाकर अनुभव करे, तो स्पष्ट हो जायेगा कि जो विधियां पूर्वजों ने बनायी हैं, वह वास्तव में प्रेम-भाइचारे पर आधारित शुद्धता का प्रतीक है.

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