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कहीं मिट न जाये चमनलाल पोखरे का अस्तित्व

भभुआ (नगर) : शहर स्थित वार्ड 18 में दशकों पुराना चमन लाल पोखरे का अस्तित्व खतरे में दिख रहा है, जबकि यह पोखरा इस कसबे के लोगों के नहाने व कपड़ा धोने का एक मात्र साधन है. यही नहीं दशकों पुराने इस तालाब के तट पर दुर्गा मंदिर व शिव मंदिर अवस्थित है. यहां स्थानीय […]

भभुआ (नगर) : शहर स्थित वार्ड 18 में दशकों पुराना चमन लाल पोखरे का अस्तित्व खतरे में दिख रहा है, जबकि यह पोखरा इस कसबे के लोगों के नहाने व कपड़ा धोने का एक मात्र साधन है. यही नहीं दशकों पुराने इस तालाब के तट पर दुर्गा मंदिर व शिव मंदिर अवस्थित है. यहां स्थानीय लोग तालाब में स्नान कर पूजा पाठ करने जाते हैं.

छठव्रती करती हैं सूर्योपासना

कार्तिक माह में सैकड़ों की संख्या में छठ व्रती महिलाएं सूर्योपासना करती हैं. यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है. लेकिन, उक्त तालाब में आज गंदे नाले का पानी भर रहा है.

इससे इस कसबे के लोग स्नान करना तो दूर कपड़ा साफ करना तक मुनासिब नहीं समझते.

नगर पर्षद ने बनवाया था घाट

लोगों की सुविधाओं के मद्देनजर नगर पर्षद प्रशासन इस तालाब के किनारे नये घाट का निर्माण भी कराया गया है. साथ ही स्नान करने के बाद कपड़ा बदलने के लिए महिलाओं के लिए चार कमरे बनवाये गये हैं. लेकिन, कमरों में मवेशियों के भूंसा व चारा रखा जा रहा है.

देखरेख की है कमी

लगभग सौ साल पुराने इस तालाब की देखरेख में कोताही बरतने से उक्त तालाब का पानी सूख रहा है. हालांकि पहले इसके रख रखाव के लिए नीलामी होती थी. उस वक्त तक तालाब के साफ-सफाई, दवा का छिड़काव के साथ पानी भरवाने का काम ठेकेदार द्वारा कराया जाता था.

लेकिन, लगभग एक दशक से उक्त तालाब गड्ढे का रूप लेता जा रहा है. स्थानीय लोगों की माने तो इस तालाब में पानी का भराव क रा दिया जाता तो एक ओर जहां इस कसबे के लोगों को राहत मिलती, वहीं तालाब का अस्तित्व भी कायम रहता.

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