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378 आंगनबाड़ी केंद्रों को जमीन नहीं
कई केंद्र पंचायत भवन, तो कई चल रहे सामुदायिक भवन में भभुआ (नगर) : जिले में चल रहे 378 आंगनबाड़ी केंद्रों के पास जमीन नहीं, ताकि उनके भवन लिए भवन बन सके. ऐसे आंगनबाड़ी केंद्र या तो किराये के मकान में चल रहे हैं या फिर किसी पेड़ या सेविकाओं के निजी मकान में. ऐसे […]
कई केंद्र पंचायत भवन, तो कई चल रहे सामुदायिक भवन में
भभुआ (नगर) : जिले में चल रहे 378 आंगनबाड़ी केंद्रों के पास जमीन नहीं, ताकि उनके भवन लिए भवन बन सके. ऐसे आंगनबाड़ी केंद्र या तो किराये के मकान में चल रहे हैं या फिर किसी पेड़ या सेविकाओं के निजी मकान में. ऐसे में बच्चों के साथ-साथ आंगनबाड़ी सेविकाओं को भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
विभागीय से मिली जानकारी के अनुसार, जिले में कुल 1845 आंगनबाड़ी केंद्र स्वीकृत हैं. इनमें 674 ऐसे आंगनबाड़ी केंद्र हैं, जिनके लिए भवन नहीं बन सका है. यानी इन केंद्रों के पास अपनी जमीन है, पर भवन नहीं बना है.
ऐसे केंद्र भी या तो पंचायत भवन में चल रहे या किराये के मकान में. वहीं 612 आंगनबाड़ी केंद्रों के भवन निर्माण की स्वीकृति प्राप्त हुई है. आंगनबाड़ी केंद्रों का भवन निर्माण आइएपी, आरएसबीआइ, बीआरजीएफ, जिला पर्षद, जिला योजना, मुख्यमंत्री विकास योजना, 13वीं वित्त व आरआइडीएम आदि योजनाओं के तहत कराया जाना है. अबतक 344 आंगनबाड़ी केंद्रों का भवन निर्माण पूरा हो चुका है. वहीं, 251 केंद्रों का भवन निर्माणाधीन हैं.
कैसे चलाये जा रहे आंगनबाड़ी केंद्र : जिन आंगनबाड़ी केंद्रों के पास अपनी जमीन या भवन नहीं है.वह या तो पंचायत भवन में या फिर सामुदायिक भवनों में चल रहे हैं. इनमें कई केंद्र किराये के मकानों में भी चलाये जा रहे. वहीं कुछ तो सेविकाओं के निजी मकान में चल रहे. किराये पर चल रहे आंगनबाड़ी केंद्रों को प्रतिमाह 200 रुपये के हिसाब से साल में एक बार आवंटित किया जाता है.
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