शनिवार की सुबह वैदिक मंत्रों के बीच भगवान भास्कर की मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा शुभ मुहूर्त में की गयी. वैदिक मंत्रों के बीच दो घंटे तक चले हवन के बाद पूर्णाहुति एवं भोज का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में साधु संतों एवं ग्रामीणों ने प्रसाद ग्रहण किया.
मंदिर के संस्थापक बघिनी गांव निवासी इंजीनियर राधेश्याम राम ने बताया कि हमारे परिवार में सूर्य देव को आराध्य देव के रूप में पूजा जाता है. इस सूर्य मंदिर के निर्माण से यहां की छठ व्रतियों को पूजा-अर्चना के साथ भगवान भास्कर के अर्घ दिया जायेगा. सूर्य देव की मूर्ति के लिए राजस्थान के जयपुर से मार्बल मंगवाया गया था. जिसे त्रस कर वाराणसी के कारीगरों द्वारा सात घोड़ों के रथ पर सवार भगवान सूर्य की प्रतिमा तैयार की गयी है. जानकार बताते हैं कि मोहनिया प्रखंड का यह पहला सूर्य मंदिर है.