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दहेज ने बरबाद की जिंदगी, बेघर हुई महिला

लगा रही न्याय की गुहार, अभी तक नहीं मिला न्यायमायके में रहने को मजबूर इंट्रो. समाज में आज भी दहेज एक बड़ी चुनौती बनी है. देश हर रोज तरक्की कर रहा, लेकिन सोच वहीं की वहीं है. हर दिन देश में कहीं न कहीं दहेज को लेकर किसी न किसी महिला की या तो हत्या […]

लगा रही न्याय की गुहार, अभी तक नहीं मिला न्यायमायके में रहने को मजबूर इंट्रो. समाज में आज भी दहेज एक बड़ी चुनौती बनी है. देश हर रोज तरक्की कर रहा, लेकिन सोच वहीं की वहीं है. हर दिन देश में कहीं न कहीं दहेज को लेकर किसी न किसी महिला की या तो हत्या होती हैया फिर उन्हें घर से निकाल दिया जाता है. यह कुरीति वर्षों से चली आ रही है. शहर हो या गांव हर जगह दहेज एक रोग की तरह फैला हुआ है. इसके खिलाफ कानून भी बना है, लेकिन जबतक लोगों की मानसिकता नहीं बदलेगी, तबतक कानून भी असरदार नहीं होगा. प्रतिनिधि, रामगढ़. दहेज को लेकर कुढ़नी गांव की वसीरन खातून को उसके ससुरालवालों ने अप्रैल 2013 में घर से निकाल दिया. तब से पीडि़ता लगातार इंसाफ की लड़ाई लड़ रही है. इस बाबत वह कई अधिकारियों के कार्यालय का चक्कर लगा चुकी है. लेकिन, अभी तक उसे न्याय नहीं मिला. घर से निकाली गयी महिला फिलहाल अपने मायके रामगढ़ के सदुका गांव में रह रही है. इस मामले को लेकर पीडि़ता के भाई सफीक अंसारी ने न्यायालय से जारी वारंट के आलोक में आरोपितों की गिरफ्तारी के लिए एसपी से गुहार लगा चुकी है, लेकिन इसके बावजूद भी आरोपितों को अभी तक पुलिस गिरफ्तार नहीं कर सकी है. पीडि़ता के भाई सफीक अंसारी ने बताया कि उसकी बहन की शादी कुढ़नी गांव के मोहम्मद जलील अंसारी के बेटे मोहम्मद साबिर अंसारी के साथ 2010 में हुई थी. शादी के बाद ससुराल वालों की सारी मांगे पूरी की गयीं, लेकिन इसके बावजूद भी दहेज की मांग करते हुए उसे घर से निकाल दिया गया है.

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