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खेतों में पुआल फुंकने से बढ़ रहा धरती का ताप

मोहनिया(सदर). प्रखंड क्षेत्र के ऐसे गांव जहां खेतों में कुछ धान की फसल हो गयी है वहां किसानों द्वारा हारवेस्टर से धान की कटाई कराने के बाद पुआल ग्रामीणों को न देकर खेतों में जलाया जा रहा है. सोचिए, जहां जिले में सूखे की मार ने किसानों की कमर तोड़ दी. बारिश के अभाव में […]

मोहनिया(सदर). प्रखंड क्षेत्र के ऐसे गांव जहां खेतों में कुछ धान की फसल हो गयी है वहां किसानों द्वारा हारवेस्टर से धान की कटाई कराने के बाद पुआल ग्रामीणों को न देकर खेतों में जलाया जा रहा है. सोचिए, जहां जिले में सूखे की मार ने किसानों की कमर तोड़ दी. बारिश के अभाव में धरती प्यासी ही रह गयी फिर भी कुछ लोगों द्वारा खेतों में पुआल फूंक धरती का टेम्प्रेचर बढ़ाया जा रहा है. पुआल फूंकने से जहां सूखे के कारण मवेशियों को खाने के लिये कुट्टी नहीं मिल सकेगी. वहीं भूमि की ऊपरी सतह जो कि उपजाऊ होती है जल कर कंकडि़ली हो जाती है जिससे उसका उपजाऊ क्षमता कम हो जाती है साथ ही जमीन के पानी सोखने की गति भी प्रभावित होती है इतना ही धुआं वायु प्रदूषण भी बढ़ाता है. आधुनिक यंत्रों द्वारा भले ही खेती करने में समय व श्रम की बचत होती है लेकिन दैनिक जीवन पर इसका विपरीत प्रभाव भी पड़ रहा है. यदि इसी प्रकार खेतों की उपजाऊ शक्ति स्वत: नष्ट हो जायेगी खेतों मे फूंके जा रहे पुआल से क्षति के सिवा फायदा नहीं है खेतों में गिरा अनाज जिसे पशु व पक्षी चुग कर अपना पेट भरते थे वो जल जा रहे है. साथ ही खेतों व खरपतवारों में रहने वाले छोटे कीड़े मकोड़े जल कर मर जा रहे है इसका विपरीत प्रभाव मानव जाति पर पड़ रहा है. फिर भी लोग नहीं समझ रहे है पानी का लेयर नीचे भागने से ठंडी के मौसम में ही चापाकल व ट्यूब वेल जवाब दे रहे है तो आने वाली गरमी में क्या होगा? किसान खेतों के पटवन के लिये परेशान है तो वहीं कुछ लोग खेत में पुआल फूंक धरती के टैम्प्रेचर को बढ़ाने मे लगे है.

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