- जिले में जल्द शुरू होगा एग्रो इकोलॉजिकल सर्वे
- सरकार की एसआरइपी योजना
- जलवायु के अनुकूल उपयुक्त खेती और अधिकतम उत्पादन की खंगाली जायेंगी संभावनाएं
- योजना का उद्देश्य है किसानों के इनपुट योजना में सुधार करना
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जिले में जल्द शुरू होगा एग्रो इकोलॉजिकल सर्वे
जिले में जल्द शुरू होगा एग्रो इकोलॉजिकल सर्वे सरकार की एसआरइपी योजना जलवायु के अनुकूल उपयुक्त खेती और अधिकतम उत्पादन की खंगाली जायेंगी संभावनाएं योजना का उद्देश्य है किसानों के इनपुट योजना में सुधार करना भभुआ : जिले में कृषि योग्य भूमि के एग्रो इकोलॉजिकल सर्वे करने हेतु आत्मा परियोजना द्वारा तीन टीमों का गठन […]
भभुआ : जिले में कृषि योग्य भूमि के एग्रो इकोलॉजिकल सर्वे करने हेतु आत्मा परियोजना द्वारा तीन टीमों का गठन किया गया है. उक्त टीमें अपने-अपने जोन में जलवायु के अनुकूल उपयुक्त फसलों की खेती और अधिकतम उत्पादन की संभावनाओं का पता लगायेंगी. सर्वे के लिए पूरे जिले को तीन जोन में बांटा गया है.
गौरतलब है कि सरकार द्वारा एसआरईपी (स्ट्रेटेजिक रिसर्च एंड एक्सटेंशन प्लान )योजना के तहत विभिन्न जिलों में खेती योग्य भूमि का एग्रो इकोलॉजिकल सर्वे कराने का निर्देश दिया गया है.
इस योजना का उद्देश्य किसानों के इनपुट योजना में सुधार करना है, जिससे जलवायु के आधार पर उक्त क्षेत्र में खेती के लिए उपयुक्त फसलें कौन होंगी, जिनसे किसानों को अधिकतम उत्पादन प्राप्त हो सके इसका पता लगाया जा सके. सर्वे के बाद प्राप्त आंकड़ों के आधार पर सरकार जिलों के लिए अनुसंधान और विस्तार की प्रक्रिया आरंभ करायेगी, ताकि जिलों में कृषि उत्पादन को अधिकतम बिंदु तक ले जाया जा सके.
इस संबंध में जानकारी देते हुए आत्मा परियोजना के उप निदेशक श्याम बिहारी सिंह ने बताया कि इसे लेकर तीन टीमों का गठन किया गया है. प्रत्येक टीम में एक टीम लीडर पदाधिकारी के साथ कृषि से संबंधित विभिन्न विभागों के सात अन्य अधिकारियों और कनीय अभियंताओं को रखा गया है, जिन्हें सर्वे करने के तरीके को लेकर प्रशिक्षित करने की प्रक्रिया आरंभ करा दी गयी है.
प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद सभी टीमें अपने आवंटित जोन में सर्वे के लिए रवाना हो जायेंगी. सर्वे का आधार जलवायु के आधार पर होने वाली खेती और खेती के प्रणाली पर आधारित होगा.
टीम के सदस्य किसानों से मिल कर यह आंकड़ा संग्रह करेंगे कि उक्त क्षेत्र में किसान किस फसल का उत्पादन पसंद करते हैं और किस फसल के उत्पादन को नहीं पसंद करते हैं, उसका क्या कारण है. साथ ही किसान कितने भू भाग में कौन- कौन सी फसल की खेती करते हैं. इसके भी आंकड़े टीम द्वारा प्राप्त किये जायेंगे.
सर्वे के लिए पूरे जिले को तीन जोन में किया गया है विभक्त
इस संबंध में जानकारी देते हुए आत्मा परियोजना के उप निदेशक ने बताया कि सर्वे के लिए पूरे जिले को तीन भागों में बांटा गया है, जिसमें मुख्य रूप से कैमूर जिले के पठारी क्षेत्र अधौरा को पहला जोन बनाया गया है.
इस जोन का टीम लीडर प्रखंड कृषि पदाधिकारी भगवानपुर को बनाया गया है, जबकि जिले के मैदानी भाग को दो जोन में बांटा गया है. दूसरा जोन दुर्गावती नदी का बायां तट क्षेत्रीय इलाका और तीसर जोन दुर्गावती नदी का दायां तटीय इलाका है. दूसरे जोन का टीम लीडर प्रखंड कृषि पदाधिकारी चैनपुर को तथा तीसरे टीम का जोन लीडर प्रखंड तकनीकी प्रबंधक रामगढ़ को बनाया गया है.
टीम के सदस्य किसानों से मिल कर यह आंकड़ा संग्रह करेंगे कि उक्त क्षेत्र में किसान किस फसल का उत्पादन पसंद करते हैं और किस फसल के उत्पादन को पसंद नहीं करते हैं, उसका क्या कारण है. साथ ही किसान कितने भू भाग में कौन- कौन सी फसल की खेती करते हैं. इसके भी आंकड़े टीम द्वारा प्राप्त किये जायेंगे.
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