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दो दिनों की बारिश से खेतों में लगी फसलों में आयी जान

भभुआ : जिले में पटवन के अभाव में सूख रही धान की फसल के लिए पिछले दो दिनों से जिले में हो रही भारी बारिश राहत का संदेश लेकर आयी है. पटवन के अहम मौके पर बादलों का मुंह खुलने से किसानों का कलेजा गदगद हो गया है. इस भारी बारिश से जहां सूख रहे […]

भभुआ : जिले में पटवन के अभाव में सूख रही धान की फसल के लिए पिछले दो दिनों से जिले में हो रही भारी बारिश राहत का संदेश लेकर आयी है. पटवन के अहम मौके पर बादलों का मुंह खुलने से किसानों का कलेजा गदगद हो गया है. इस भारी बारिश से जहां सूख रहे धान के पौधों को जहां एक बार फिर ऊर्जा मिली है, वहीं फसल में लगने वाले कीड़ों से भी किसानों को राहत मिली है. तेलहन और दलहन के फसल के बुआई में भी इस बारिश का लाभ किसानों को मिलेगा.

गौरतलब है कि सितंबर में बरसात नहीं होने से किसानों के चेहरे की रंगत उड़ने लगी थी. पटवन को लेकर किसान हलकान थे, तभी अचानक मंगलवार की दोपहर बाद मौसम का मिजाज बदला और जिले में धुआंधार बारिश ने रंग पकड़ा. बादलों की गड़गड़हाट और आसमानी बिजली की चमचमाहट से जहां एक तरफ लोगों का दिल धड़कने लगा, वहीं बरसात की बौछारों ने गांव से लेकर शहर तक पानी उड़ेल दिया. घंटों भारी बारिश के बाद पूरी रात वर्षा की हल्की लड़ी चलती रही.
रही सही कसर बुधवार को दोपहर में लगातार तीन घंटे से अधिक समय तक चली भारी बारिश ने पूरी कर दी. खेत से लेकर ताल-तलैया तक लबालब दिखने लगे.
पिछले दो दिनों में 86 एमएम से ज्यादा बारिश होने का अनुमान : जिले में हुई भारी बरसात के बाद पिछले दो दिनों में 85.7 एमएम से अधिक बरसात होने का अनुमान लगाया जा रहा है. कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार मंगलवार को जिले में 49 एमएम वर्षा रिकार्ड की गयी थी, जबकि बुधवार को मंगलवार से भी अधिक वर्षा हुई.
इस आधार पर अनुमान लगाया जा रहा था कि पिछले दो दिनों में जिले में 85.7 एमएम से ज्यादा बरसात हुई है. जहां तक जिले में इस माह में मंगलवार तक हुई बरसात का सवाल है, तो कृषि विभाग के अनुसार बुधवार तक जिले में 1243 एमएम से अधिक वर्षा रिकार्ड की जा चुकी है. हालांकि सितंबर में बुधवार तक जितनी वर्षा की जरूरत थी, उससे अभी भी लगभग 28 एमएम वर्षा कम बतायी जा रही थी.
धान की फसल को मिली नयी ऊर्जा
जिले में हुई अच्छी बारिश के बाद न सिर्फ सूख रही धान की फसल को नयी ऊर्जा मिली है, बल्कि फसल में लग रहे कीड़ों से भी किसानों को राहत मिली है. इस संबंध में भभुआ प्रखंड के कमता गांव के रहने वाले मौला बिंद ने बताया कि अगर सितंबर में एक सप्ताह पानी बरसने में देर हो जाती, तो धान की आधी फसल निश्चित रूप से मार खा जाती, क्योंकि अधिकांश खेतों में धान की फसल पानी के अभाव में लाली पकड़ने लगी थी.
हालांकि, डीजल से पटवन कर फसल को बचाने का प्रयास किया जा रहा था. लेकिन, फसल में रंगत नहीं आ रही थी. रामगढ़ प्रखंड के गोड़सरा गांव के किसान विजय मल्ल चौधरी ने बताया कि इस समय न केवल धान की फसल मरने के कगार पर थी, बल्कि धान में झुलसा रोग का प्रकोप भी तेजी से फैल रहा था. तना छेदक कीड़े फसल को काट रहे थे. लेकिन, इस बरसात के बाद कीड़ों की धुलाई भी हो गयी है.
फसल की बुआई के लिए जमीन हो गयी तैयार
जिले में इस भारी बारिश के बाद तेलहन और दलहन के फसल की बुआई के लिये भी एक अच्छी जमीन तैयार हो गयी है. इस संबंध में चैनपुर प्रखंड के शिवरामपुर के किसान दिनेश कुमार तथा भगवानपुर प्रखंड के मोकरम गांव के किसान जितेंद्र सिंह ने बताया कि खेतों के लबालब भरने के बाद अब मिट़टी में इतनी नमी आ जायेगी कि दलहन और तेलहन की फसल की बुआई में राहत मिलेगी. दशहरा के बाद उचास खेत जहां धान की रोपनी नहीं हुई है, वहां तीसी, सरसों, चना आदि की बुआई किसान शुरू कर सकेंगे.
बुधवार तक जिले में हुई बारिश का प्रखंडवार आंकड़ा
प्रखंड वर्षा (एमएम में)
भभुआ 245.8
भगवानपुर 127.8
चैनपुर 161.2
चांद 82.0
रामपुर 66.4
मोहनियां 134.4
कुदरा 61.0
दुर्गावती 115.4
रामगढ़ 148.8
नुआंव 92.4
अधौरा 172.2
सितंंबर में विगत कई वर्षों से नहीं देखी ऐसी बारिश
सितंबर में विगत कई वर्षों से लोगों ने ऐसी बरसात नहीं देखी थी. इस संबंध में 72 साल के भभुआ प्रखंड के नोनरा गांव के रहने वाले किसान मार्कंडेय सिंह ने बताया कि जब वह जवान थे तब कभी- कभी ऐसी बरसात देखी थी.
लेकिन, इधर 30-40 वर्षों के दौरान उन्होंने सितंबर में ऐसी बरसात कभी नहीं देखी. सितंबर की यह रिकार्ड बारिश है. अब अगर हथिया नक्षत्र में हल्की बरसात भी हो गयी, तो धान की फसल पूरी की पूरी खलिहनों में उतर जायेगी.

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