भभुआ सदर : जिले में गर्म हवा और प्रचंड धूप के चलते हीट स्ट्रोक का कहर जारी है. बढ़ती गर्मी से सरकारी से लेकर निजी अस्पतालों में हीट स्ट्रोक के मरीजों की संख्या बढ़ी है. मंगलवार को करकटगढ़ में वन विभाग द्वारा कराये जा रहे निर्माण कार्य को लेकर जा रहा पटना जिले का एक राजमिस्त्री सहित दर्जन भर से अधिक लोग हीट स्ट्रोक के शिकार होकर इलाज के लिए सदर अस्पताल पहुंचे. यहां भर्ती कर सभी का इलाज किया जा रहा है.
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हीट स्ट्रोक का कहर, राजमिस्त्री सहित दर्जन भर लोग लाये गये अस्पताल
भभुआ सदर : जिले में गर्म हवा और प्रचंड धूप के चलते हीट स्ट्रोक का कहर जारी है. बढ़ती गर्मी से सरकारी से लेकर निजी अस्पतालों में हीट स्ट्रोक के मरीजों की संख्या बढ़ी है. मंगलवार को करकटगढ़ में वन विभाग द्वारा कराये जा रहे निर्माण कार्य को लेकर जा रहा पटना जिले का एक […]
मंगलवार को हीट स्ट्रोक की चपेट में आनेवालों में पटना निवासी और करकटगढ़ में निर्माण करने जा रहे राजमिस्त्री महेंद्र प्रसाद, पुलिस लाइन के सिपाही अभिनव चंद्र, रमेश कुमार, वार्ड छह की रिया कुमारी, सोनहन के सुदर्शन शर्मा, सूर्यपुरा बेलांव के आदित्य पांडेय, गोबरछ के महेंद्र सिंह, कबार की सुमित्रा देवी, मोहनपुर की सीमा कुमारी, पुसौली के सुनील केशरी और गेंहुआ के पति पत्नी आशा देवी और रामनारायण पाठक बताये जाते हैं.
गौरतलब है कि डीएम डॉ नवल किशोर चौधरी व जिले के स्वास्थ्य विभाग को हीट स्ट्रोक से बचाव को लेकर एक एडवायजरी जारी किया है. इसमें बच्चों व बुजुर्गों को सावधानी बरतने की बात कही गयी है.
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ अरुण कुमार तिवारी ने बताया कि तापमान लगातार बढ़ता ही जा रहा है. पारा चढ़ने के कारण आने वाले दिनों में लोगों को गर्म हवा के थपेड़ों से भी दो-चार होना पड़ेगा. बढ़ते तापमान से लोगों को हीट स्ट्रोक का भी सामना करना पड़ रहा है. इसलिए मरीजों को चाहिए कि वह लापरवाही न बरतें. खासकर बच्चों व बुजुर्गों को विशेष सतर्क रहने की जरूरत है.
जिला अस्पताल में वरिष्ठ फिजिशियन व डीएस डॉ विनोद कुमार सिंह ने बताया कि हीट स्ट्रोक को उष्माघात भी कहा जाता है. यह ऐसी अवस्था है जिसमें पीड़ित के शरीर का तापमान अत्यधिक धूप या गर्मी की वजह से बढ़ने लगता है. चूंकि मानव शरीर की बनावट ऐसी होती है, जिसमें अत्यधिक गर्मी पसीने के रूप में बाहर निकलती रहती है. इससे शरीर का तापमान ज्यों का त्यों बना रहता है. हीट स्ट्रोक में शरीर की प्राकृतिक कूलिंग सिस्टम सुचारु रूप से काम करना बंद कर देती है. इसकी वजह से शरीर का तापमान कम नहीं हो पाता है और शरीर का तापमान बढ़ता जाता है.
अगर इस तापमान को सही समय पर काबू नहीं किया गया, तो मरीज की जान भी जा सकती है. डॉ सिंह ने बताया कि मानव शरीर का थर्मल पॉइंट 97.7 से 99.5 फॉरेनहाइट होता है. शरीर का तापमान इस स्तर से अधिक होने पर हीट स्ट्रोक होता है. इसमें मरीज को हाई फीवर हो जाता है और बेहोशी आने लगती है, तुरंत इलाज न होने पर मरीज की जान भी जा सकती है.
हीट स्ट्रोक में सावधानियां जरूरी
डॉ विनोद कुमार सिंह के अनुसार, अगर पैरासिटमॉल खाने के बाद भी बुखार न उतरे, तो यह हीट स्ट्रोक का लक्षण होता है. ऐसी स्थिति में मरीज को ठंडा पानी पिलाने के साथ ठंडे पानी से शरीर पोछना चाहिए और तुरंत अस्पताल लाना चाहिए. हीट स्ट्रोक शरीर में पानी की मात्रा की कमी के कारण होता है. इस भीषण गर्मी में ज्यादा से ज्यादा स्वच्छ पानी का सेवन करना चाहिए. घर से बाहर निकलने पर साफ पानी लेकर जरूर निकलें. हीट स्ट्रोक से हाइ फीवर के कारण ब्रेन डैमेज होने का खतरा रहता है. ऐसे में तेज धूप में सिर को ढककर रखें. खाली पेट घर से बाहर न जाएं.
हीट स्ट्रोक के लक्षण
नब्ज की दर तेज होना
श्वास उथली व तेज होना
व्यवहार में परिवर्तन
भ्रम की स्थिति
सिर दर्द, थकान, कमजोरी
चक्कर आना
बदन पर चकत्ते पड़ना
अधिक पसीना आना
बदन में झटके
बेहोशी
इन चीजों का प्रयोग लाभदायक
लस्सी
चावल का पानी
नींबू की शिकंजी
नारियल का पानी
ओआरएस का घोल
पर्याप्त मात्रा में पानी पिए
चटक रंगों के कपड़े न पहने
खाली पेट घर से न निकले
घर में बने पेय पदार्थ का प्रयोग करें
हीट स्ट्रोक से बचाव
दोपहर 12 से 3 बजे के बीच बाहर निकलने से बचें
हीट स्ट्रोक के लक्षण दिखते ही चिकित्सक की सलाह ले
धूप से बचाव के लिए चश्मा, टोपी, छाता, जूते का प्रयोग करें
डिहाइड्रेशन से बचने के लिए मौसमी फलों का प्रयोग करें
बासी खाना, खुले में बिकने वाला रस, कटे हुए फल, प्लास्टिक में बिकने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन न करें
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