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योजना बना कर पॉलीथिन को अपने से हटाया जा सकता है दूर

सांस की तकलीफ और एलर्जी की होती है बीमारी भभुआ सदर : एक अगस्त को वन पर्यावरण दिवस के दिन शहरभर के सभी जगहों पर पौधारोपण तो हो गया. अब जैविक विघटन नहीं होने वाले पॉलीथिन जैसे जहरीली पकड़ से अपने ग्रीन सिटी भभुआ को मुक्त कराया जाये. यह जरूरी भी है क्योंकि, आज हम […]

सांस की तकलीफ और एलर्जी की होती है बीमारी

भभुआ सदर : एक अगस्त को वन पर्यावरण दिवस के दिन शहरभर के सभी जगहों पर पौधारोपण तो हो गया. अब जैविक विघटन नहीं होने वाले पॉलीथिन जैसे जहरीली पकड़ से अपने ग्रीन सिटी भभुआ को मुक्त कराया जाये. यह जरूरी भी है क्योंकि, आज हम जरूरतों के लिये जिस प्रकार घर बाहर पॉलीथिन बैग के हमलोग आदि हो चुके है उससे छुटकारे की जरूरत है. नहीं तो आनेवाले समय में इस मरदूद पॉलीथिन के चलते स्वास्थ्य पर तो असर पड़ेगा ही खाने के भी लाले पड़ सकते है. यह तो एक उदाहरण मात्र है. इसलिए, जब तक हमलोग खुद जागरूक नहीं होंगे प्रशासन या सरकार के स्तर से इसे हटाना नामुमकिन है. अगर लोग खुद पॉलीथिन का प्रयोग बंद कर दे और दुकानदारों से भी पॉलीथिन में सामान ना ले तो स्वयं बगैर किसी योजना और अभियान के पॉलीथिन को अपने से दूर हटाया जा सकता है.
कचरे में 60 प्रतिशत मात्रा पॉलीथिन की :शहर से निकलनेवाले कूड़े में गंदगी के अलावा कागज, कपड़े व पॉलीथिन होते हैं. करीब दस वर्ष पहले शहर से जो कूड़े निकलते थे. उसमें पॉलीथिन की मात्रा आधे प्रतिशत से भी कम होती थी़ अब कचरे में प्लास्टिक की मात्रा करीब 60 प्रतिशत होती है. इसमें पॉलीथिन बैग निस्तारण एक गंभीर समस्या बन चुकी है़ यह किसी भी हालत में न ष्ट नहीं होती है. कूड़े में निकलने वाले काफी पदार्थ अपने आप नष्ट हो जाते हैं, कुछ खाद के रूप में प्रयोग होते हैं. पॉलीथिन नष्ट नहीं होती़
कई बीमारियों का कारण:हर जगह फैला पॉलीथिन कई बीमारियों का कारण बनता है. आईएमए के प्रवक्ता डॉ संतोष सिंह बताते हैं कि पॉलीथिन नष्ट नहीं होती़ इस कचरे को आग लगा दी जाये. तो इससे जहरीला धुआं निकलता है. जो वातावरण के लिए हानिकारक है. इससे अस्थमा के मरीजों को भी भारी दिक्कत पैदा होती है. पॉलीथिन से सांस की तकलीफ तथा एलर्जी की बीमारी भी अधिक फैलती है. जो जानलेवा भी साबित हो सकता है.
शहर से पॉलीथिन हटाने का हो चुका है प्रयास:पहले भी शहर में पॉलीथिन के खरीद फरोख्त पर प्रतिबंध लगाया गया था. ग्रीन सिटी व क्लीन सिटी के बाद विकसित भभुआ के लिए तत्कालीन डीएम राजेश्वर प्रसाद सिंह ने नगर पर्षद को शहर सहित पूरे जिले में प्लास्टिक (पॉलीथिन) की खरीद-बिक्री पर रोक लगाने का निर्देश दिया था. नगर पर्षद ने भी ध्वनि विस्तारक यंत्र से घोषणा करा कर प्लास्टिक की बिक्री पर रोक लगाने की बात कही थी. यह उनके लिए खतरनाक साबित होता है. उनमें बांझपन व दूध कम होने की शिकायतें रहती हैं.
डीएम ने दिखायी सख्ती
डीएम ने कहा कि वन पर्यावरण दिवस के बाद उनका फोकस अब शहर को पॉलीथिन मुक्त करने की ओर है. नप भी इसके लिए कमर कस रही है. नप ईओ अनुभूति श्रीवास्तव बताते है कि शहर के दुकानदार एवं शहरवासी आगामी एक महीने में पॉलीथि न के उपयोग पर पूरी तरह से रोक लगा दें और उसकी जगह कागज के ठोंगे एवं पैकेट का इस्तेमाल करें. एक महीने बाद जो भी पॉलीथिन के इस्तेमाल करते हुए पकड़े जायेंगे. उनका पॉलीथिन जब्त करने के साथ-साथ जुर्माना भी लगाया जायेगा.
पर्यावरण चक्र को कर देता अवरुद्ध
प्लास्टिक कचरे के जमीन में दबने की वजह से वर्षा जल का भूमि में संचरण नहीं हो पाता. परिणामस्वरूप भू-जलस्तर गिरने लगता है. प्लास्टिक कचरा प्राकृतिक चक्र में नहीं जा पाता. जिससे पूरा पर्यावरण चक्र अवरुद्ध हो जाता है. पॉलीथिन पेट्रो-केमिकल उत्पाद है. जिसमें हानिकारक रासायनों का इस्तेमाल होता है.
सभी को करें जागरूक
पॉलीथिन बैन एक अच्छा कदम है. इससे पर्यावरण को काफी सपोर्ट मिलेगा. हमारा धर्म है कि हम इस अभियान का सपोर्ट करें, इसलिए हमलोग अब से जान का दुश्मन बने पॉलीथिन बैग छोड़ कर झोला लेकर चलना शुरू कर देना चाहिए. ताकि, हमारे आपके देखा-देखी दूसरे भी इसका अनुसरण कर सके.
रवि सिंह
पॉलीथिन से सभी को नुकसान है. इसको पहले ही बैन हो जाना चाहिए था. इससे खाने के सामानों में भी खतरनाक केमिकल पहुंच जाते हैं. जो हमें काफी नुकसान पहुंचाते हैं. इसलिए पॉलीथिन के लिए हमें खुद से जागरूक होना होगा.
प्रवीण श्रीवास्तव

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