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लू-दस्त से बेहाल बगैर मां-बाप के बच्चे ने अस्पताल में तोड़ा दम

मृतक बच्चा चांद थाने के मरहीया गांव का था रहनेवाला चाइल्ड लाइन की टीम अनाथ बच्चे का सदर अस्पताल में करा रही थी इलाज भभुआ सदर : अगर किसी अनाथ का कोई सहारा न हो तो उसका क्या हश्र होता है, यह सदर अस्पताल भभुआ में उस वक्त देखने को मिला जब एक बगैर मां-बाप […]

मृतक बच्चा चांद थाने के मरहीया गांव का था रहनेवाला

चाइल्ड लाइन की टीम अनाथ बच्चे का सदर अस्पताल में करा रही थी इलाज
भभुआ सदर : अगर किसी अनाथ का कोई सहारा न हो तो उसका क्या हश्र होता है, यह सदर अस्पताल भभुआ में उस वक्त देखने को मिला जब एक बगैर मां-बाप का 10 वर्षीय बालक दीपू ने लू और दस्त से बेहाल होकर दम तोड़ दिया. दीपू का इलाज चाइल्ड लाइन की टीम द्वारा सदर अस्पताल में कराया जा रहा था. मानवता की बात तब और शर्मशार हो गयी कि जब इस अनाथ बच्चे के शव का पोस्टमार्टम कराने के लिए लोगों ने चंदा इकट्ठा कर 150 रुपया अस्पताल के कर्मी को दिया.
इस मामले में पता चला है कि बुधवार की भरी दोपहर भूख और बीमारी से बेहाल 10 वर्षीय दीपू चांद खराठी गांव के स्कूल के पास गिरा पड़ा था. उसे गांव के चौकीदार एवं एक आशा ने मानवता दिखलाते हुए चांद पीएचसी पहुंचाया. चांद पीएचसी पहुंचाने के बाद किसी ने बगैर परिजन के लावारिस हालत में बेसुध पड़े बच्चे की जानकारी चांद बीडीओ को दी और उसके इलाज में मदद मांगी. सूचना पर चांद के प्रखंड विकास पदाधिकारी द्वारा इसकी जानकारी भभुआ चाइल्ड लाइन की टीम को दी गयी. सूचना मिलने के बाद चाइल्ड लाइन की टीम मौके पर पहुंच बच्चे का इलाज कराने लगी. लेकिन, रात 10 बजे तक बच्चे की स्थिति नहीं सुधरी और उसे जब होश नहीं आया, तब मौजूद डॉक्टर ने बच्चे को सदर अस्पताल भभुआ के लिए रेफर कर दिया.
सदर अस्पताल लाये जाने के बाद बच्चे का इलाज डॉ अरविंद कुमार ने शुरू किया. बच्चे को स्लाइन चढ़ाये जाने के बाद उसकी हालत में सुधार होना शुरू हुआ. लेकिन, हालात सुधरने पर न तो उसे कोई कुछ खिलाने वाला था और न ही कोई देखनेवाला. बच्चे को सदर अस्पताल में भर्ती करा इलाज करा रही चाइल्ड लाइन की टीम भी गार्ड को बच्चे को देखने को कहते हुए निकल गयी. इधर, बच्चे ने लू लगने, दो दिन से दस्त और खाली पेट रहने की वजह से रात दो बजे अस्पताल में ही दम तोड़ दिया. सदर अस्पताल में अपनों के बगैर मरा दीपू चांद थाना क्षेत्र के मढ़रिया गांव निवासी स्वर्गीय अमर चौहान का 10 वर्षीय बेटा था.
मदद के लिए भटकता रहा इधर-उधर
बताया जाता है कि मृत दीपू की तबीयत लू लगने से तीन दिन से खराब थी. लेकिन, किसी अपने के नहीं होने से वह भूखे प्यासे भटकता रहा. बुधवार को अपने गांव से दूर बगल के गांव खराठी जा पहुंचा, वहां पहुंचने के बाद प्राथमिक विद्यालय के पास बेहोश होकर गिर पड़ा. इधर, चाइल्ड लाइन की टीम गुरुवार को जब बच्चे की मौत हो गयी, तब सदर अस्पताल पहुंची और खोजबीन के बाद मौत की जानकारी उसके गांव पहुंच उसके चाचा विजय चौहान को दी गयी.
बेसहारा था दीपू, एक भाई रहता है मुंबई
मृत दीपू के गांव के रहनेवाले और उसके मुंहबोले चाचा विजय चौहान ने बताया कि उसकी मां की मौत करीब छह वर्ष पहले हो गयी थी. बाद में दो वर्ष बाद ही उसके पिता भी इस दुनिया से चल बसे. एक बड़ा भाई दीपक है, जो अपनी पत्नी के साथ मुंबई में रहता है. दीपू भी माता-पिता के मरने के बाद चंदौली जिले के सकलडीहा थाना अंतर्गत बिंदापुर में रहनेवाली अपनी बुआ के पास ही रहता था. लेकिन, दो माह पूर्व वह अपने बुआ के यहां से किसी बात से नाराज होकर गांव आकर रह रहा था. लेकिन, उसके नाते रिश्तेदारों द्वारा उसे खाने को नहीं दिया जाता था. वह इधर-उधर से मांग कर अपना पेट पाल रहा था. जैसा तैसा खाना खाने से उसकी तबीयत बिगड़ गयी. उसे डायरिया और लू लग गया. इस दौरान वह भटक कर बगल के गांव खराठी चला गया और शरीर में जान नहीं रहने के चलते वहीं पास में गिर पड़ा और अचेत हो गया.

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